Russia China Secret Anti Missile Drill: रूस ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के दौरान चीन के साथ तीसरी संयुक्त एंटी-मिसाइल ड्रिल की. इस दौरान दोनों देशों के युद्धपोत और पनडु्ब्बियों ने जापान सागर में दुश्मन की मिसाइलों को रोकने और मार गिराने का अभ्यास किया. इसके साथ ही प्रमुख मिसाइल इंस्टॉलेशन्स को नष्ट करने की ट्रेनिंग भी शामिल थी. इसे चीन और रूस के रक्षा सहयोग का नया अध्याय माना जा रहा है. इस अभ्यास की समयसीमा और स्थिति को देखते हुए इसे रणनीतिक बैलेंस के तौर पर भी देखा जा रहा है, खासकर तब जब चीन और भारत के बीच पुराना सीमा विवाद और 1962 का युद्ध रहा है.
Russia China Secret Anti Missile Drill: तकनीकी सहयोग और रणनीतिक भरोसा के लिए ड्रिल
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, चीन के सैन्य विशेषज्ञ सॉन्ग झोंगपिंग के अनुसार, चीन ने इस अभ्यास की जानकारी बाद में जारी कर राजनीतिक नाजुकता को कम किया और तकनीकी सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने कहा कि यह अभ्यास चीन और रूस के नेताओं की रणनीतिक सोच के अनुसार स्वाभाविक था. अभ्यास के बाद जानकारी साझा करने से पारदर्शिता बढ़ती है और कुछ देशों द्वारा इसे भड़काने का मौका नहीं मिलता. सॉन्ग ने यह भी बताया कि इस अभ्यास से दोनों देशों को अपनी तकनीकी और सामरिक क्षमताओं में सुधार करने में मदद मिलती है. साथ ही, साझा मिसाइल चेतावनी प्रणाली तैयार करना अब जरूरी हो गया है.
Russia China Secret Anti Missile Drill in Hindi: रणनीतिक सुरक्षा पर चर्चा
चीन के वरिष्ठ नेता वांग यी ने 1-2 दिसंबर को रूस में 20वें चीन-रूस रणनीतिक सुरक्षा परामर्श में भाग लिया. इस दौरान दोनों देशों ने रणनीतिक सुरक्षा, मिसाइल रक्षा और उच्च स्तरीय सहयोग पर सहमति बनाई. एक अन्य विशेषज्ञ के अनुसार, यह अभ्यास सिर्फ तकनीकी सहयोग ही नहीं दिखाता, बल्कि दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक भरोसे का संकेत भी देता है. दोनों पक्षों ने WWII की जीत और उसके परिणामों की रक्षा, जापानी साम्राज्यवाद की कोशिशों का विरोध और वैश्विक शांति बनाए रखने का संकल्प दोहराया.
रूस-चीन नो-लिमिट्स स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप
रूस और चीन ने 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले नो-लिमिट्स स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप पर हस्ताक्षर किए. इसमें दोनों देशों ने अपनी सेनाओं के बीच तालमेल और नियमित मिलिट्री एक्सरसाइज करने का वादा किया. दोनों देशों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “गोल्डन डोम” मिसाइल शील्ड और न्यूक्लियर हथियारों के परीक्षण फिर से शुरू करने की योजना पर भी चिंता जताई.
भारत के लिए चुनौती और बढ़ती टेंशन
चीन और रूस के बढ़ते रक्षा संबंध भारत के लिए रणनीतिक चुनौती बन सकते हैं. यदि रूस और चीन के बीच तकनीकी और सामरिक सहयोग मजबूत होता है, तो यह भारत की सुरक्षा रणनीति पर असर डाल सकता है. चीन और भारत के बीच पुराने सीमा विवाद और कई बार हुए सीमा संघर्षों को देखते हुए यह चिंता और बढ़ जाती है. हालांकि रूस का कहना है कि उसके चीन के साथ संबंधों का भारत पर कोई असर नहीं होगा. लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, चीन और रूस की बढ़ती सैन्य ताकत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में संतुलन को प्रभावित कर सकती है और भारत की टेंशन बढ़ा सकती है.
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