Old Army Veteran Ed Bambs of Michigan: 88 साल की उम्र में जब लोग आराम से घर पर बैठकर जीवन बिताते हैं, तब अमेरिका के मिशिगन के आर्मी वेटरन एड बाम्बस मेयर (Meijer) के ग्रॉसरी स्टोर में रोज 40 घंटे की शिफ्ट कर रहे थे. पेंशन चली गई, बचत खत्म हो गई और पत्नी की बीमारी ने पूरी जमा पूंजी खा ली. ऐसा लगता है जैसे जिंदगी ने हर मोड़ पर इन्हें परखा हो. लेकिन इसी बीच एक छोटा-सा वीडियो इंटरनेट पर आया और देखते-ही-देखते बाम्बस की पूरी दुनिया बदल गई.
Old Army Veteran Ed Bambs of Michigan: कौन हैं एड बाम्बस?
एड बाम्बस सेना में सेवा कर चुके हैं. आर्मी छोड़ने के बाद उन्होंने जनरल मोटर्स में नौकरी की और 1999 में रिटायर हुए. सब ठीक चल रहा था, लेकिन 2012 में जब कंपनी दिवालिया हुई तो उनकी पेंशन खत्म हो गई. दिक्कत यहीं खत्म नहीं हुई. उनकी पत्नी गंभीर रूप से बीमार हो गईं. इलाज में इतना पैसा लग गया कि बाम्बस को अपना घर और जमीन तक बेचनी पड़ी. सालों की कमाई कुछ ही महीनों में खत्म हो गई. पत्नी का निधन करीब सात साल पहले हुआ. तब से अकेले रह रहे बाम्बस के पास इतना भी पैसा नहीं था कि आराम से जिंदगी काट सकें. मजबूरी में उन्होंने दोबारा नौकरी पकड़ी और सुपरमार्केट में फुल-टाइम काम करने लगे. नीचे आप वीडियो देख सकते हैं.
कैसे वायरल हुई इनकी कहानी?
यह कहानी बाहर आई एक संयोग की वजह से. ऑस्ट्रेलिया के इंफ्लुएंसर सैमुअल वीडेनहोफर मिशिगन घूमने आए थे. एक दिन वह मेयर स्टोर पहुंचे और बाम्बस से मुलाकात हुई. बातचीत के दौरान बाम्बस ने अपनी जिंदगी की मजबूरी बताई पेंशन खोना, पत्नी का इलाज, बचत खत्म होना और 88 की उम्र में काम करना. वीडेनहोफर ने यह छोटी-सी बातचीत रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया पर डाल दी. और बस कुछ घंटों में मिलियनों लोगों की नजर इस वीडियो पर गई. लोग भावुक हुए, गुस्सा हुआ और सबसे ज्यादा मदद करने की इच्छा जागी.
GoFundMe अभियान और चंद घंटों में करोड़ों की मदद
वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद वीडेनहोफर ने GoFundMe पर एड बाम्बस की मदद के लिए एक ऑनलाइन फंडरेजर शुरू किया. उन्होंने खुद सबसे पहले 400 डॉलर डोनेट किए. इसके बाद दुनिया भर के लोग जुड़ते गए और 36 घंटे में 1 मिलियन डॉलर से ज्यादा डोनेट किया. कुल 36,000 से ज्यादा लोगों ने योगदान दिया. अंतिम राशि पहुंची 1.443 मिलियन डॉलर (लगभग 1.7 मिलियन डॉलर के करीब) न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, यह अपने आप में एक रिकॉर्ड जैसा रहा. वीडेनहोफर ने कहा कि इतनी बड़ी मदद इस बात का संकेत है कि लोग एक मेहनतकश बुजुर्ग वेटरन को सम्मान के साथ रिटायर होते देखना चाहते थे.
अब एड बाम्बस की जिंदगी में क्या बदलने वाला है?
वीडेनहोफर ने बताया कि पूरी राशि जल्द ही बाम्बस को दे दी जाएगी. इसका मतलब ये है कि अब बाम्बस को फुल-टाइम नौकरी नहीं करनी पड़ेगी. वह आरामदायक और सुरक्षित जीवन जी पाएंगे. कई सालों की संघर्षभरी जिंदगी के बाद उन्हें सुकून मिलेगा. एक छोटी-सी मुलाकात, एक सच्ची बातचीत और दुनिया भर के लोगों की दया ने 88 साल के इस वेटरन की जिंदगी को पलट दिया.
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