Pakistan ex-ISI chief Faiz Hameed sentenced 14 years Jail: पाकिस्तान के इतिहास में 2025 एक अनोखे बदलाव के रूप में समाप्त हो रहा है. पहले पाकिस्तान आर्मी के चीफ आसिम मुनीर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज बने. सुप्रीम कोर्ट से ऊपर एक और कोर्ट बनी. अब पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी पूर्व आईएसआई प्रमुख को सैन्य अदालत द्वारा पूर्व आईएसआई प्रमुख फैज हमीद को 14 साल की सख्त कैद की सजा सुनाई है. इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने गुरुवार को बताया कि हमीद को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट (OSA) के उल्लंघन के आरोप में दोषी पाया गया.
फैज हमीद के खिलाफ कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया 12 अगस्त 2024 को शुरू की गई थी. फैज, पाकिस्तान की सर्वशक्तिशाली खुफिया एजेंसी इंटर- सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के पहले ऐसे प्रमुख हैं जिन्हें कोर्ट मार्शल किया गया है. फैज हमीद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी माने जाते हैं. खान ने हमीद को 2019 में आईएसआई का प्रमुख नियुक्त किया था. इसके लिए उन्होंने आसिम मुनीर को पद से हटा दिया था. यानी तकनीकी तौर पर मुनीर सीनियर होते हुए भी, फैज हमीद के अंडर काम कर रहे थे.
इमरान से निकटता पड़ी भारी
फैज हमीद का पतन तब शुरू हुआ जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से उनकी निकटता बढ़ी. वे अंतिम बार 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की जीत के बाद काबुल में चाय पीते हुए नजर आए थे. इसके बाद से ही उनके सितारे गर्दिश में चले गए. मौजूदा हाइब्रिड शासन जिसका नेतृत्व आर्मी चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ कर रहे हैं, उनके खिलाफ पूरी तरह से हाथ धोकर पड़ा हुआ है. 2024 में उनके खिलाफ शुरू हुआ केस कोर्ट मार्शल से लेकर 15 महीनों बाद 14 साल की कठोर जेल के रूप में समाप्त हुआ है. फैज की यह सजा 11 दिसंबर से ही चालू हो गई है. सेना ने कहा कि उनके मुकदमे में सभी कानूनी प्रावधानों का पालन किया गया. इस तरह वह पाकिस्तान आर्मी एक्ट के उल्लंघन के आरोप में अभियुक्त बनाए जाने वाले पहले पूर्व जासूसी प्रमुख बन गए हैं.
फैज पर चार आरोपों में चला मुकदमा
डॉन के अनुसार, ISPR ने बताया कि फैज हमीद के ऊपर चार मुकदमों में सुनवाई हुई. पहला- राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होना. दूसरा- राज्य की सुरक्षा और हितों को नुकसान पहुंचाते हुए OSA का उल्लंघन करना. तीसरा- अधिकारों और सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करना और चौथा- व्यक्तियों को अवैध नुकसान पहुंचाना. ISPR ने कहा कि लंबी और विस्तृत कानूनी प्रक्रिया के बाद, आरोपी को सभी आरोपों में दोषी पाया गया है और उसे 14 साल की सख्त कैद की सजा दी गई है. ISPR ने यह भी बताया कि राजनीतिक तत्वों के साथ मिलकर राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने से संबंधित एक अन्य मामला अभी अलग से चल रहा है. यह इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) द्वारा 9 मई 2023 को किए गए कथित एंटी-आर्मी प्रदर्शनों में फैज की भूमिका से जुड़ा बताया जाता है.
अधिकारों का गलत इस्तेमाल- लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद
जनरल फैज हमीद के खिलाफ मामला टॉप सिटी हाउसिंग सोसाइटी के सीईओ कंवर मुहीज खान की उस याचिका से जुड़ा है जिसमें आरोप लगाया गया कि ISI अधिकारियों और पाक रेंजर्स ने एक कथित आतंकवाद केस के नाम पर उनके दफ्तर और घर पर छापा मारा और सोना, हीरे, नकद व अन्य कीमती सामान ले गए. याचिका के अनुसार रावलपिंडी की आतंकवाद रोधी अदालत से बरी होने के बाद जनरल फ़ैज़ ने अपने ब्रिगेडियर cousin के जरिए मुलाकात कर छापे में लिए गए सामान को वापस करने की पेशकश की, लेकिन 400 तोला सोना और नकदी को छोड़कर. साथ ही, याचिका में यह भी आरोप है कि ISI के पूर्व ब्रिगेडियर नईम फखर और गफ्फार ने 4 करोड़ रुपये नकद देने और कुछ महीनों तक एक निजी टीवी चैनल को स्पॉन्सर करने के लिए उन्हें मजबूर किया. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को रक्षा मंत्रालय सहित संबंधित मंचों पर ले जाने को कहा, लेकिन 8 नवंबर 2023 के आदेश में कोर्ट ने माना कि फैज हमीद पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं और सही साबित होने पर संस्थाओं की साख को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसी के नौ महीने बाद फ़ैज़ हमीद को सैन्य हिरासत में लिया गया और दिसंबर में औपचारिक रूप से अभियुक्त घोषित किया गया.
अपील का है अधिकार
फैज हमीद के पास संबंधित मामले मे अगले फोरम में अपील करने का अधिकार है. पाकिस्तान सेना ने कहा कि फैज को अपनी पसंद की डिफेंस टीम सहित पूरे कानूनी अधिकार दिए गए. पूरे मामले में जांच के बाद उन्हें दोषी ठहराया गया है. अभी हमीद के खिलाफ एक मामले में सजा सुनाई गई है. जिस हिसाब से आसिम मुनीर ने सत्ता पर पकड़ बनाई है, उस हिसाब से यह तय लग रहा है कि इमरान खान और फैज हमीद के ऊपर पाकिस्तानी कानून का शिकंजा और कसेगा.
विवादों से घिरे रहे फैज हमीद
फैज हमीद पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार आईएसआई के पूर्व प्रमुख को कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ा था. इसकी असली वजह सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर द्वारा अपने आलोचकों पर की जा रही कार्रवाई थी. नवंबर 2022 में मुनीर के पदभार संभालने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को आईएसआई प्रमुख पद से इस्तीफा देना पड़ा, जबकि 2018 में मुनीर का कार्यकाल अचानक खत्म होने पर उन्होंने ही उनकी जगह ली थी. 2018 के चुनावों में विवादों के केंद्र में रहने से लेकर 2017 के फैजाबाद समझौते तक हमीद हमेशा सुर्खियों में रहे. वे तत्कालीन सेना प्रमुख कमर बाजवा के बेहद करीबी माने जाते थे, लेकिन समय के साथ उनके संबंध बिगड़ गए क्योंकि इमरान खान चाहते थे कि हमीद नए सेना प्रमुख बनें. आईएसआई के आंतरिक सुरक्षा विंग का नेतृत्व करते हुए उन पर 2018 चुनावों में खान की जीत सुनिश्चित करने के लिए धांधली करने के आरोप भी लगे. लेकिन 2023 में इमरान खान की सत्ता से विदाई के बाद भी हामिद दो शीर्ष सैन्य पदों की रेस में शामिल छह वरिष्ठ जनरलों में थे, लेकिन मुनीर के चुने जाने के तुरंत बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद से उनके दुर्दिन शुरू हो गए.
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