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African Penguins: अफ्रीका में भूख से तड़पकर मरे 60000 से ज्यादा पेंग्विन, वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता

African Penguins: पिछले 10 सालों में 60,000 से ज्यादा अफ्रीकी पेंग्विन मारे गए हैं. इस बड़े पैमाने पर गायब होने की मुख्य वजहें क्लाइमेट चेंज और बढ़ता प्रदूषण हैं.

African Penguins: एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि पिछले एक दशक में 60000 से ज्यादा पेंग्विन भुखमरी से मारे जा चुके हैं. इतनी बड़ी संख्या में पेंग्विन का मारा जाना पर्यावरण के लिए बडी चिंता का विषय है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है सारडीन मछली का लगातार घटता जाना है जो इन पेंग्विन का सबसे मुख्य आहार है  

 पेंग्विन हर साल अपने पुराने पंख बदलते हैं. इस प्रक्रिया में वो अपने पुराने पंख को छोड़ते हैं जो कि लगभग 21 दिनों तक चलती है. इस दौरान पेंग्विन न शिकार करने पानी में जा सकते हैं और नाही मछली खुद से पकड़कर खा सकते हैं.  इस प्रक्रिया को साइंस की भाषा में मोल्टिंग नाम से भी जाना जाता है. इस दौरान वो जमीन पर ही रहते हैं, लेकिन मोल्टिंग के दौरान इन्हें सबसे ज्यादा उर्जा की जरूरत होती है और ऐसा न होने पर पेंग्विन मार जाते हैं.

रिसर्च में सामने आया कि बढ़ते जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र का तापमान भी लगातार बढ़ रहा है जिससे सारडीन मछलियां अंडे नहीं दे पा रही हैं और इनकी संख्या लगातार घटते जा रही है. वहीं बड़े जहाज भी लगातार मछलियां पकड़ रहे हैं जिससे समुद्र में मछलियों की संख्या भी लगातार कम हो रही है. यही वजह है कि साल 2004 के बाद से पश्चिमी दक्षिण अफ्रीका में सारडीन मछलियों की संख्या 75% से भी कम हो गई है. 

अफ्रीकी पेंग्विन को गंभीर रूप से संकटग्रस्त घोषित कर दिया गया था (African Penguins Death)

साल 2024 में ही अफ्रीकी पेंग्विन को गंभीर रूप से संकटग्रस्त(Critically Endangered) घोषित कर दिया गया था. अब पूरे विश्व में दस हजार से भी कम पेंग्विन के प्रजनन जोड़े बचे हैं. यह दुनिया के लिए बड़ा ही चिंता का विषय है क्योंकि अगर जल्द से जल्द सारडीन मछलियों की संख्या बढ़ाई नहीं गई तो आने वाले कुछ सालों में अफ्रीकी पेंग्विन की प्रजाति पूरी तरह से खत्म हो जाएगी. 

केपटाउन में अफ्रीकी पेंग्विन की सबसे बड़ी कॉलोनी मौजूद है (Capetown has the biggest colony of african penguins)

पेंग्विन के लिए प्रचलित अफ्रीकी शहर केपटाउन जहां अफ्रीकी पेंग्विन की सबसे बड़ी कॉलोनी मौजूद है वहां भी पेंग्विन का दिखना मुश्किल हो गया है. जिस शहर में कभी हजारों की तादाद में पेंग्विन पाए जाते थे वहां अब पर्यटकों सिर्फ 10 से 15 पेंग्विन ही देख पाते हैं. यह आने वाले भविष्य के लिए बहुत ही चिंता का विषय है, साथ ही बढ़ते जलवायु परिवर्तन को देखते हुए समुद्री जीवों की रक्षा करना अब पहले से भी ज्यादा जरूरी हो गया है. 

वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर समय रहते सारडीन मछली की संख्या को फिर से नहीं बढ़ाया गया तो जल्द ही अफ्रीकी पेंग्विन की संख्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी. उन्होंने चेतावनी दी है कि यह सिर्फ पेंग्विन के बारे में नहीं है, ज्यादातर समुद्री प्रजातियां इसी मछली पर निर्भर करती है जिस वजह से इनका संरक्षण जरूरी है. अगर समय रहते इन्हें बचाया नहीं गया तो पूरे समुद्र का इकोसिस्टम बिगाड़ सकता है. 

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Sakshi Badal
Sakshi Badal
नमस्कार! मैं साक्षी बादल, MCU भोपाल से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी कर वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल में इंटर्न के तौर पर काम कर रही हूं, जहां हर दिन अपने लेखन को और बेहतर बनाने और खुद को निखारने का प्रयास करती हूं. मुझे लिखना पसंद है, मैं अपनी कहानियों और शब्दों के जरिए कुछ नया सीखने और लोगों तक पहुंचने की कोशिश करती हूं.

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