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काहिरा के म्यूजियम से 3,000 साल पुराना फराओ का सोने का कड़ा गायब, मिस्र में हड़कंप- क्या तस्करों ने रचा है बड़ा खेल?

Egyptian Museum 3000 Year Old Pharaoh Gold Bracelet Missing: मिस्र के काहिरा म्यूजियम से 3,000 साल पुराना फराओ राजा अमेनमोपी का सोने का कड़ा रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया. लैपिस लाजुली से जड़ा ये दुर्लभ खजाना अब अंतरराष्ट्रीय तस्करी के शक के घेरे में है. जांच और खोज जारी है.

Egyptian Museum 3000 Year Old Pharaoh Gold Bracelet Missing: सोचिए, अगर किसी म्यूजियम से अचानक तीन हजार साल पुराना खजाना गायब हो जाए तो? यही हुआ है मिस्र के काहिरा में. तहरीर स्क्वायर वाला Egyptian Museum, जहां से एक सोने का कड़ा हवा हो गया. ये कोई साधारण कड़ा नहीं था, बल्कि 21वीं वंशावली के राजा अमेनमोपी (Amenemope) का था. उस कड़े पर कीमती लैपिस लाजुली पत्थर भी जड़ा था. अब ये मामला पूरी तरह से मिस्र की सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन गया है.

Egyptian Museum 3000 Year Old Pharaoh Gold Bracelet Missing: कैसे हुआ गुम?

मिस्र के पर्यटन और पुरावशेष मंत्रालय ने बताया कि कड़ा म्यूजियम की restoration laboratory में रखा हुआ था. यही वह जगह है जहां पुरानी वस्तुओं की मरम्मत और संरक्षण का काम होता है. लेकिन इसी दौरान ये दुर्लभ कड़ा अचानक लापता हो गया. अब मामला सीधे कानून प्रवर्तन एजेंसियों और पब्लिक प्रॉसिक्यूशन के पास है. 

जैसे ही कड़ा गायब होने की खबर आई, सरकार ने तुरंत हरकत में आते हुए इसकी तस्वीरें एयरपोर्ट, सीपोर्ट और बॉर्डर चेकपॉइंट्स पर भेज दीं. ताकि अगर कोई इसे देश से बाहर ले जाने की कोशिश करे तो तुरंत पकड़ लिया जाए. हालांकि बीच में एक गड़बड़झाला भी हुआ. कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स ने जो तस्वीरें शेयर कीं, वो असली कड़े की नहीं बल्कि दूसरे कड़े की थीं, जो अब भी म्यूजियम की गैलरी में सुरक्षित रखा है. इस पर म्यूजियम के डायरेक्टर जनरल को सफाई देनी पड़ी.

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कौन था अमेनमोपी?

अब जरा उस राजा की कहानी सुन लीजिए, जिसका कड़ा गायब हुआ है. सीएनएन के अनुसार, अमेनमोपी मिस्र की 21वीं वंशावली का शासक था. इतिहासकार उसे “कम मशहूर लेकिन दिलचस्प शासक” बताते हैं. उसका असली मकबरा था NRT IV, जो तनिस (पूर्वी नील डेल्टा) के शाही समाधि स्थल में था. मकबरा बहुत सादा था, सिर्फ एक कमरे का. बाद में अमेनमोपी का शव Psusennes I (जो उस दौर का ताकतवर राजा था) के बगल में फिर से दफनाया गया. ये मकबरा 1940 में दोबारा खोजा गया.

अब क्या होगा आगे?

मिस्र का पर्यटन मंत्रालय कह रहा है कि अब restoration lab में रखी बाकी सभी वस्तुओं का पूरा इन्वेंटरी और रिव्यू किया जाएगा. इसके लिए एक विशेष समिति बनाई गई है. यानी बाकी चीजें सुरक्षित हैं या नहीं, इसकी गिनती करके देखी जाएगी.

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के फॉरेंसिक आर्कियोलॉजिस्ट क्रिस्टोस त्सिरोजियानिस को इस चोरी पर बिल्कुल हैरानी नहीं हुई. उनका कहना है कि दुनिया भर में प्राचीन मिस्री वस्तुओं की मांग बहुत अधिक है. उनके मुताबिक, दो ही रास्ते हैं, या तो ये कड़ा आगे चलकर किसी नीलामी घर, डीलर की गैलरी या ऑनलाइन मार्केट में दिखेगा, या फिर हो सकता है कि इसे पहले ही पिघलाकर सोने के रूप में बेच दिया गया हो.

मिस्र की पुरानी मुसीबत

सच कहें तो मिस्र लंबे समय से एक ही समस्या झेल रहा है. अपने ऐतिहासिक खजानों की चोरी और तस्करी. चाहे फिरौन के जमाने की ममी हो, या मंदिरों के अवशेष, या ऐसे सुनहरे कड़े हैं. इनकी वैश्विक डिमांड कभी कम नहीं हुई. सरकार बार-बार रोकथाम की कोशिश करती है, लेकिन चोर और माफिया हर बार नया रास्ता निकाल लेते हैं.

तो अब सवाल यही है कि क्या मिस्र की सुरक्षा एजेंसियां इस 3,000 साल पुराने कड़े को ढूंढ निकालेंगी? या फिर ये भी उन गुमशुदा खजानों में शामिल हो जाएगा, जिनकी सिर्फ कहानियां ही बची रह जाती हैं.

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Govind Jee
Govind Jee
गोविन्द जी ने पत्रकारिता की पढ़ाई माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से की है. वे वर्तमान में प्रभात खबर में कंटेंट राइटर (डिजिटल) के पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले आठ महीनों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं. गोविंद जी को साहित्य पढ़ने और लिखने में भी रुचि है.

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