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नेपाल की संसद से विवादित नक्शा पास, वोटिंग में नेपाली कांग्रेस और जेएसपीएन ने दिया सरकार का साथ

नेपाल की संसद से देश के विवादित राजनीतिक नक्शे को लेकर पेश संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी गयी है. इसके लिए संसदी की ओर से करायी गयी वोटिंग विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया है. भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस नये नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है. कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने देश के नक्शे में बदलाव के लिए संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए इसे पेश किया था.

काठमांडू : नेपाल की संसद से देश के विवादित राजनीतिक नक्शे को लेकर पेश संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी गयी है. इसके लिए संसदी की ओर से करायी गयी वोटिंग विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया है. भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस नये नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है. कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने देश के नक्शे में बदलाव के लिए संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए इसे पेश किया था.

नेपाली संसद का विशेष सत्र शनिवार को शुरू हुआ, जिसमें सरकार द्वारा देश के राजनीतिक नक्शे को संशोधित करने से संबंधित महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन विधेयक पर चर्चा की गयी. संसद में प्रवक्ता रोजनाथ पांडेय ने कहा कि प्रतिनिधि सभा ने संशोधन विधेयक पर चर्चा शुरू कर की और चर्चा पूरी होने के बाद इस पर वोटिंग करायी गयी.

सूत्रों की मानें, तो इस विवादित नक्शा के विधेयक का अनुमोदन निश्चित था, क्योंकि विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल ने नये नक्शे को शामिल कर राष्ट्रीय प्रतीक को अपडेट करने के लिए संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन करने का फैसला पहले ही कर लिया था.

एक वरिष्ठ मंत्री के अनुसार, देश के 275 सदस्यों वाले निचले सदन में विधेयक को पारित करने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है. निचले सदन से पारित होने के बाद विधेयक को नेशनल असेंबली में भेजा जाएगा, जहां उसे एक बार फिर इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा. नेशनल असेंबली को विधेयक के प्रावधानों में संशोधन प्रस्ताव (अगर कोई हो तो) लाने के लिए सांसदों को 72 घंटे का वक्त देना होगा. नेशनल असेंबली से विधेयक के पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा.

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संसद ने 9 जून को आम सहमति से इस विधेयक के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जतायी थी, जिससे नये नक्शे को मंजूर किये जाने का रास्ता साफ हो गया था. सरकार ने बुधवार को विशेषज्ञों की एक 9 सदस्यीय समिति बनायी थी, जो इलाके से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य और साक्ष्यों को जुटाने का काम करेगी. हालांकि, कूटनीतिज्ञों और विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि नक्शे को जब मंत्रिमंडल ने पहले ही मंजूर कर जारी कर दिया है, तो फिर विशेषज्ञों के इस कार्यबल का गठन किसलिए किया गया?

भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा, जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया. नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है. भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया कि यह सड़क पूरी तरह उसके भूभाग में स्थित है.

नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था. भारत यह कहता रहा है कि यह तीन इलाके उसके हैं. काठमांडू द्वारा नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश करने का प्रयास न करे. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस महीने के शुरू में कहा था कि उनकी सरकार कालापानी मुद्दे का समाधान ऐतिहासिक तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर कूटनीतक प्रयासों और बातचीत के जरिये चाहती है.

Posted By : Vishwat Sen

Prabhat Khabar Digital Desk
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