Bangladesh anarchist situation Muhammad Yunus: बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सरकार का पतन हुआ. एक हिंसक आंदोलन के बाद सैकड़ों लोगों की मौत के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ. लेकिन, हिंसा का दौर अब भी समाप्त नहीं हुआ है. हाल के दिनों में विशेषकर बांग्लादेश में आने वाले 12 फरवरी 2026 को चुनावों का ऐलान होने के बाद से हिंसक झड़प और विरोध प्रदर्शनों की भरमार हो गई है. इनमें उस्मान हादी की हत्या, मीडिया ऑफिसों के ऊपर हमले और तोड़फोड़, पत्रकारों को जान से मारने की कोशिश, भारतीय उच्चायोग पर पत्थरबाजी, हिंदू युवक की मॉब लिंचिंग और उसको जलाना तक शामिल हैं. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इसके लिए मोहम्मद यूनुस को ही जिम्मेदार ठहराया है.
पिछले सप्ताह हुई हिंसक झड़पों और विरोध प्रदर्शनों के बाद ढाका में भले ही फिलहाल तनावपूर्ण शांति बनी हुई है, लेकिन बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इन घटनाओं को लेकर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर तीखा हमला बोला है. इंकलाब मंच के संयोजक शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद भड़की हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए हसीना ने कहा कि ऐसी घटनाएं न केवल देश को अंदर से अस्थिर करती हैं, बल्कि पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को भी नुकसान पहुंचाती हैं. एएनआई को दिए एक ईमेल इंटरव्यू में शेख हसीना ने आरोप लगाया कि जिस “कानूनहीनता” के कारण उनकी सरकार गिराई गई थी, वही स्थिति अब मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के शासन में कई गुना बढ़ गई है.
अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न भारत देख रहा
पूर्व प्रधानमंत्री ने देश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का मुद्दा भी उठाया और कहा कि भारत इस अराजकता को साफ तौर पर देख रहा है. शेख हसीना ने कहा, “यह दुखद हत्या उसी कानूनहीनता को दर्शाती है, जिसने मेरी सरकार को उखाड़ फेंका और जो यूनुस के नेतृत्व में और अधिक बढ़ गई है. हिंसा अब सामान्य बात बन चुकी है, जबकि अंतरिम सरकार या तो इससे इनकार करती है या इसे रोकने में पूरी तरह असमर्थ है. ऐसी घटनाएं बांग्लादेश को आंतरिक रूप से कमजोर करती हैं और पड़ोसी देशों के साथ हमारे रिश्तों को भी अस्थिर करती हैं, जो जायज चिंता के साथ हालात को देख रहे हैं. भारत इस अराजकता, अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और उन सभी उपलब्धियों के क्षरण को देख रहा है, जिन्हें हमने मिलकर बनाया था. जब आप अपने देश के भीतर बुनियादी व्यवस्था भी कायम नहीं रख पाते, तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर आपकी विश्वसनीयता खत्म हो जाती है. यही यूनुस के बांग्लादेश की हकीकत है.”
हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा
जुलाई आंदोलन से जुड़े एक प्रमुख चेहरा शरीफ उस्मान हादी को 12 दिसंबर को ढाका के बिजयनगर इलाके में रिक्शा से यात्रा करते समय बेहद करीब से गोली मार दी गई थी. गोली उनके सिर में लगी थी, जिसके बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर एयरलिफ्ट किया गया. हालांकि तमाम चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद 18 दिसंबर को उनकी मौत हो गई. हादी की मौत के बाद ढाका में विरोध प्रदर्शन और अशांति फैल गई. मीडिया ऑफिसों पर हमले किए गए, प्रथम आलो और डेली स्टार जैसे मीडिया के ऑफिस पर हमला किया गया और पत्रकारों को अंदर दम घुटने के लिए छोड़ दिया. हालांकि बाद में पुलिस की मदद से उन्हें बचाया गया.
यूनुस ने चरमपंथियों को कैबिनेट में जगह दी
शेख हसीना ने बांग्लादेश में कट्टर इस्लामी ताकतों को लेकर भी गंभीर चेतावनी दी. उन्होंने आरोप लगाया कि यूनुस ने जेल से दोषी आतंकियों को रिहा किया है और जमात-ए-इस्लामी पर लगे प्रतिबंध को हटाने के संकेत भी दिए हैं. इसके साथ ही उन्होंने अंतरिम सरकार की कड़ी आलोचना की. शेख हसीना ने कहा, “यह चिंता केवल मेरी नहीं है, बल्कि उन लाखों बांग्लादेशियों की भी है, जो उस सुरक्षित और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र को पसंद करते हैं, जो हम कभी थे. यूनुस ने चरमपंथियों को कैबिनेट में जगह दी, दोषी आतंकियों को जेल से रिहा किया और अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़े समूहों को सार्वजनिक जीवन में भूमिका निभाने की अनुमति दी. वह कोई राजनेता नहीं हैं और उन्हें इतने जटिल देश को चलाने का कोई अनुभव नहीं है. मेरा डर यह है कि कट्टरपंथी ताकतें उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने एक स्वीकार्य चेहरा बनाकर पेश कर रही हैं, जबकि वे भीतर ही भीतर हमारी संस्थाओं को कट्टर बना रही हैं.”
धर्मनिरपेक्षता को मूर्ख चरमपंथियों की सनक पर कुर्बान नहीं किया जा सकता
उन्होंने आगे कहा, “यह स्थिति सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया की स्थिरता में विश्वास रखने वाले हर देश के लिए चिंता का विषय होनी चाहिए. बांग्लादेशी राजनीति का धर्मनिरपेक्ष चरित्र हमारी सबसे बड़ी ताकतों में से एक रहा है और इसे कुछ मूर्ख चरमपंथियों की सनक पर कुर्बान नहीं किया जा सकता. जब लोकतंत्र बहाल होगा और जिम्मेदार शासन लौटेगा, तब ऐसी गैर-जिम्मेदार बातें अपने आप खत्म हो जाएंगी.”
भारत-बांग्लादेश में बढ़ते कूटनीतिक तनाव पर जताई चिंता
शेख हसीना ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में बढ़ते कूटनीतिक तनाव पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि भारत विरोधी प्रदर्शनों और 27 वर्षीय हिंदू युवक दीपु चंद्र दास की हत्या के लिए यूनुस जिम्मेदार हैं. दीपु चंद्र दास को कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था और 18 दिसंबर को उनके शव को आग के हवाले कर दिया गया. इस घटना के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया और मामले में 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई. हसीना ने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार ने नई दिल्ली के खिलाफ शत्रुतापूर्ण बयान दिए और धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में नाकाम रही.
यह तनाव यूनुस की देन
उन्होंने कहा, “आप जो तनाव देख रहे हैं, वह पूरी तरह यूनुस की देन है. उनकी सरकार भारत के खिलाफ बयान देती है, धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा नहीं करती और चरमपंथियों को विदेश नीति तय करने देती है, फिर तनाव बढ़ने पर हैरानी जताती है. भारत दशकों से बांग्लादेश का सबसे भरोसेमंद मित्र और साझेदार रहा है. हमारे देशों के रिश्ते गहरे और बुनियादी हैं और किसी अस्थायी सरकार से कहीं आगे तक जाएंगे. मुझे भरोसा है कि वैध शासन लौटने पर बांग्लादेश फिर से उस समझदार साझेदारी की ओर लौटेगा, जिसे हमने पंद्रह वर्षों में विकसित किया था.”
भारत ने बंद किया वीजा आवेदन केंद्र
इसी बीच, चटगांव में भारतीय वीजा आवेदन केंद्र (IVAC) ने सुरक्षा कारणों से तत्काल प्रभाव से सभी वीजा सेवाएं निलंबित करने की घोषणा की. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शेख हसीना ने कहा कि भारत की चिंताएं पूरी तरह जायज हैं. उन्होंने कहा, “यह दुश्मनी उन चरमपंथियों द्वारा गढ़ी जा रही है, जिन्हें यूनुस शासन ने खुली छूट दे दी है. यही वे लोग हैं, जिन्होंने भारतीय दूतावास की ओर मार्च किया, मीडिया दफ्तरों पर हमले किए, अल्पसंख्यकों पर बेखौफ हमले किए और जिन्होंने मेरे परिवार और मुझे जान बचाकर देश छोड़ने पर मजबूर किया. यूनुस ने ऐसे लोगों को सत्ता में जगह दी और दोषी आतंकियों को जेल से बाहर निकाला. भारत के कर्मियों की सुरक्षा को लेकर उसकी चिंता बिल्कुल जायज है. एक जिम्मेदार सरकार दूतावासों की रक्षा करती और धमकी देने वालों पर कार्रवाई करती, लेकिन यूनुस ऐसे उपद्रवियों को संरक्षण देता है और उन्हें ‘योद्धा’ कहता है.”
चिकन नेक या सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर बयान खतरनाक
बांग्लादेश इस समय लगातार विरोध प्रदर्शनों और तोड़फोड़ की घटनाओं के कारण अशांति के दौर से गुजर रहा है. कई मीडिया संस्थानों की इमारतों को आग के हवाले किया जा चुका है. यह सब ऐसे समय हो रहा है, जब देश में अगले वर्ष आम चुनाव प्रस्तावित हैं. वहीं कुछ बांग्लादेशी नेताओं द्वारा “चिकन नेक” या सिलीगुड़ी कॉरिडोर का हवाला दिए जाने वाले बयानों पर टिप्पणी करते हुए शेख हसीना ने ऐसी बयानबाजी को “खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना” बताया. उन्होंने कहा कि कोई भी गंभीर नेता ऐसे पड़ोसी को धमकी नहीं देगा, जिस पर बांग्लादेश व्यापार, परिवहन और स्थिरता के लिए निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि ऐसी आवाज़ें “बांग्लादेशी जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं” और विश्वास जताया कि “जब लोकतंत्र बहाल होगा और जिम्मेदार शासन लौटेगा, तो इस तरह की लापरवाह बयानबाजी अपने आप खत्म हो जाएगी.”
सत्ता के पदों पर कट्टरपंथी, दोषी आतंकियों को जेल से रिहा किया
उन्होंने आगे कहा, “यह शत्रुता उन कट्टरपंथियों द्वारा गढ़ी जा रही है, जिन्हें यूनुस शासन ने और ताकत दी है. यही वे लोग हैं जिन्होंने भारतीय दूतावास की ओर मार्च किया, हमारे मीडिया दफ्तरों पर हमले किए, अल्पसंख्यकों पर बेखौफ हमला किया और मुझे तथा मेरे परिवार को जान बचाकर भागने पर मजबूर किया. यूनुस ने ऐसे तत्वों को सत्ता के पदों पर बैठाया है और दोषी आतंकियों को जेल से रिहा किया है. भारतीय कर्मियों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताएँ पूरी तरह जायज हैं. एक जिम्मेदार सरकार राजनयिक मिशनों की रक्षा करती और उन्हें धमकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करती. इसके उलट, यूनुस उपद्रवियों को संरक्षण देता है और उन्हें योद्धा बताता है.”
शेख हसीना की ये टिप्पणियाँ ऐसे समय आई हैं, जब कुछ दिन पहले ही भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोगों के बाहर हुए प्रदर्शनों से जुड़े सुरक्षा मुद्दों को लेकर नई दिल्ली में बांग्लादेशी राजदूत को तलब किया था. इसके जवाब में ढाका ने इससे पहले भारत के उच्चायुक्त को बुलाकर उन गतिविधियों पर आपत्ति जताई थी, जिन्हें उसने भारत में रह रहे बांग्लादेशी राजनीतिक नेताओं से जुड़ी चुनाव-विरोधी गतिविधियाँ बताया था.
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