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क्या पाक-अफगान जंग होकर ही रहेगी? सऊदी अरब में भी इस वजह से नहीं बनी बात, शांति वार्ता हुई फेल

Afghanistan Pakistan War: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सऊदी अरब में भी बातचीत बेनतीजा समाप्त हुई. पाकिस्तान की ओर से वही अधिकारी इस वार्ता में शामिल हुए जो तुर्की में गए थे. दोनों के बीच आतंकवादियों गतिविधियों पर रोक लगाने पर ही अटक रहा है. ऐसे में क्या दोनों देश अब जंग की ओर बढ़ रहे हैं?

Afghanistan Pakistan War: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बातचीत की टेबल कोई रंग नहीं ला रही है. दोनों देशों की ओर से बॉर्डर पर चल रहे तनाव को कम करने का हर प्रयास विफल हो रहा है. पहले दोनों ने तुर्की में बात की, जो बेनतीजा रही. वहीं अब सऊदी अरब में भी बातचीत बेनतीजा रही. पिछले हफ्ते के अंत में सऊदी अरब की मेजबानी में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हुई सीधी वार्ता किसी ठोस प्रगति तक नहीं पहुंच सकी. दोनों पड़ोसी देशों ने अपने-अपने कठोर रुख में बदलाव से साफ इनकार कर दिया. सोमवार को जारी मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि यह प्रयास तनाव कम करने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन अंततः वार्ता बेनतीजा रही. पाक और अफगान सीमा पर तनाव पिछले महीनों में काफी बढ़ गया है. दोनों देशों के बीच डूरंड लाइन पर हैवी फायर एक्सचेंज हुआ था. वहीं पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के अंदर हवाई हमले भी किए. 

पीटीआई के अनुसार, इस बैठक से जुड़े दो सूत्रों ने जानकारी दी कि रियाद में यह बातचीत अत्यंत गोपनीय वातावरण में हुई और रविवार देर रात बिना किसी सहमति के समाप्त हो गई. सऊदी अधिकारियों ने पर्दे के पीछे से इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया, ताकि सीमा पार आतंकवाद के कारण बढ़ते तनाव को कम करने की कोशिश की जा सके. सूत्रों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि दोनों पक्ष अपने पुराने रुख पर अड़े रहे और किसी भी तरह की रियायत देने का संकेत नहीं दिया. यही जिद और समझौते की कमी वार्ता के निष्फल रहने की प्रमुख वजह बनी. उन्होंने यह भी बताया कि इस बैठक को लेकर पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान दोनों की ओर से सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की गई है.

दोनों देशों के बीच गतिरोध बरकरार

इस बातचीत में अफगानिस्तान की ओर से तालिबान के शीर्ष नेता अनस हक्कानी, उप गृहमंत्री रहमतुल्लाह नबीब, विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन अब्दुल कहर बल्खी शामिल थे. यह बातचीत भले ही कोई सकारात्मक नतीजा लेकर न आई हो, हालांकि सूत्रों का यह मानना है कि निकट भविष्य में सऊदी अरब की मध्यस्थता में एक और दौर की बातचीत आयोजित की जा सकती है. यह वार्ता उस समानांतर प्रक्रिया से अलग थी, जो तुर्की और कतर की संयुक्त पहल के तहत चल रही है. इसके बावजूद गतिरोध बरकरार है और दोनों देशों की स्थिति में कोई खास लचीलापन दिखाई नहीं दिया है. 

सऊदी अरब में भी वही अधिकारी हुए शामिल

सूत्रों ने आगे बताया कि रियाद की इस बैठक में वही अधिकारी शामिल थे, जिन्होंने पहले इस्तांबुल में हुई चर्चाओं का हिस्सा लिया था. पाकिस्तानी दल में विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ राजनयिक को भी शामिल किया गया था. वार्ता के दौरान सऊदी अधिकारियों ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर बातचीत जारी रखते हुए अफगानिस्तान के साथ रुका हुआ द्विपक्षीय व्यापार फिर से शुरू करने पर विचार कर सकता है, लेकिन इस्लामाबाद ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया, जिसके चलते बातचीत का दायरा और सीमित हो गया.

तुर्की की कोशिश अब तक रंग नहीं लाई

उधर, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने पाकिस्तान भेजे जाने वाले एक विशेष प्रतिनिधिमंडल की योजना पहले ही घोषित की थी, लेकिन यह यात्रा अभी तक संपन्न नहीं हो पाई है. अक्टूबर की शुरुआत में दोनों देशों की सीमा पर हुई झड़पों के बाद तुर्की और कतर की मदद से 19 अक्टूबर को एक अस्थायी संघर्ष विराम लागू किया गया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने हालिया प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि संघर्ष विराम में व्यवधान इसलिए आया, क्योंकि इसका पूरा ढांचा आतंकवादी गतिविधियों पर रोक पर निर्भर था.

अब क्या जंग ही एक विकल्प?

वहीं संघर्ष विराम न होने की स्थिति में अब जंग के बादल और घने हो रहे हैं. जहां पाकिस्तान अफगानिस्तान के अंदर हवाई हमले कर रहा है. वहीं पाकिस्तान के अनुसार टीटीपी से संबद्ध आतंकी खैबर पख्तूनख्वा में लगातार सुसाइड हमले कर रहे हैं. पाकिस्तान ने काबुल में एयरस्ट्राइक करके टीटीपी चीफ नूर वली महसूद को मारने का दावा किया था, लेकिन वह बच निकला. इसके बाद डूरंड लाइन पर अफगानिस्तान की ओर से फायरिंग की गई थी. इसके बाद एक बार फिर से पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हमला करके 10 मासूम लोगों की जान ले ली, जिसमें 9 बच्चे शामिल थे. वहीं पाकिस्तान में केपीके के पेशावर में फेडेरल कांस्टेबुलरी में एक फिदायीन हमला हुआ, जिसमें 3 पुलिस अधिकारी मारे गए. अब अगर दोनों देशों के बीच बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला, तो जंग एक लाजिमी नतीजा दिख रहा है.

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प्रभात खबर पॉडकास्ट में रवि शास्त्री 7 दिसंबर को

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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