ढाका : बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का विरोध कर रही विपक्षी बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी और प्रतिबंधित संगठन जमात सिबिर ने अब वहां रह रहे हिंदुओं पर निशाना साधना शुरू कर दिया है.
आलम ये है कि रविवार को हुए हिंसक चुनाव के बाद से लगातार देश के कई जिलों में हिंदू आबादी पर संगठित हमले हो रहे हैं. उनके घरों और दुकानों को लूट लिया गया है. कहीं मंदिर, तो कहीं खुले मैदान में शरण लिए ये लोग वापस नहीं लौट रहे हैं, क्योंकि प्रशासन भी उनकी सुरक्षा का आश्वासन नहीं दे पा रहा है.
बांग्लादेश के अखबार डेली स्टार के मुताबिक रविवार को मतदान के बाद बीएनपी और जमात सिबिर के लोगों ने हिंदुओं को लूटा और उनके घरों में आग लगा दी. हिंसा की ये वारदातें ठाकुरगांव, दिनाजपुर, रंगपुर, बोगरा, चिटगांव में हुईं. इस हिंसा को देख कर लोगों को 1971 की याद आ गयी. तब भी सेना समर्थित कट्टरपंथियों ने हिंदू आबादी को ऐसे ही निशाना बना कर जुल्म ढाये थे.
अभयनगर के विश्वजीत सरकार ने बताया कि 1971 में पाकिस्तानी फौज व रजाकरों ने हमारे गांव में आग लगा दी थी. अब 2014 में भी वैसा ही माहौल बन गया है. दंगाइयों ने पेशे से मछुआरे विश्वजीत की दुकान व घर में आग लगा दी.
* अब भुगतो अंजाम
गांव वालों के मुताबिक, जमात शिविर के एक्टिविस्ट ने चुनाव में हिस्सा न लेने की धमकी दी थी. मालोपारा समेत कई क्षेत्रों के वोटरों ने इसकी परवाह नहीं की. इसके बाद वोटिंग वाले दिन ही शाम को पांच सौ की भीड़ ने गांवों पर हमला करना शुरू कर दिया. दो घंटे तक हिंसा का नंगा नाच चला, जिसमें सैकड़ों बम फोड़े गये. सैकड़ों घर लूटे और जला दिये गये. हजारों लोगों को घर-गांव छोड़ कर भागना पड़ा.