इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ की मेडिकल रिपोर्ट आज एक विशेष अदालत में पेश की गयी और इस पर गौर करने के बाद ही अदालत उनके मामले में आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी. वर्ष 2007 में आपातकाल लगाने के लिए देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे 70 वर्षीय मुशर्रफ पर सरकार द्वारा गठित विशेष अदालत में मामला चल रहा है. उन्हें कल निजी तौर पर पेश होने से छूट दी गयी लेकिन प्रशासन से उनके मेडिकल रिकार्ड्स आज पूर्वाह्न 11.30 तक पेश करने को कहा गया.
विशेष अदालत के रजिस्ट्रार अब्दुल घनी सुमरु द्वारा सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गयी. अदालत ने रावलपिंडी में आम्र्ड फोर्सेज इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी से रिपोर्ट की मांग की थी. पिछले सप्ताह हृदय संबंधी परेशानियों के बाद मुशर्रफ को यहीं पर भर्ती कराया गया था. विशेष अदालत के प्रमुख न्यायमूर्ति फैसल अरब ने कहा कि रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद अदालत इस पर अपना फैसला देगी.
मुशर्रफ के वकील अनवर मंसूर ने आज की सुनवाई के दौरान कहा कि विशेष अदालत को सीमित अधिकार है और वह मामले में अकरम शेख को मुख्य अभियोजक के तौर पर नहीं देखते हैं.इस दौरान मंसूर ने कल हुयी सुनवाई के दौरान अपनी दलीलों के लिए अदालत से माफी भी मांगी. अभियोजन द्वारा पूर्व पाकिस्तानी सैन्य शासक को सैन्य अस्पताल में ‘छिपा’ ‘भगोड़ा’ बताए जाने के बाद विशेष अदालत में मुशर्रफ का कानूनी बचाव कर रही टीम और अभियोजन के बीच जुबानी जंग शुरु हो गयी.
अदालत के बाहर मीडिया से बातचीत में मुशर्रफ के वकील अहमद रजा कसूरी ने अभियोजक शेख की आलोचना की और कहा कि देशद्रोह का यह मामला पूर्व राष्ट्रपति का नहीं बल्कि सैन्य बल संस्थान का मुकदमा है. कसूरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अभियोजक ने एएफआईसी को ठिकाना और मुशर्रफ को भगोड़ा बताया है. यह पाकिस्तान सेना का अपमान है.’’