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सीरिया के मदाया में भूख से रोने पर बच्चों को दवा देकर सुला देते हैं माता-पिता

बेरुत : हाल में भुखमरी को लेकर चर्चा में आये सीरिया के मदाया कस्बे पर यूनिसेफ ने अपनी प्रतिक्रिया रखी है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने कहा है कि उसने सीरिया के मदाया शहर में फंसे बच्चों में कुपोषण के कई मामले देखे हैं और ‘उसकी आंखों के सामने’ एक किशोर की मौत हुई है. […]

बेरुत : हाल में भुखमरी को लेकर चर्चा में आये सीरिया के मदाया कस्बे पर यूनिसेफ ने अपनी प्रतिक्रिया रखी है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने कहा है कि उसने सीरिया के मदाया शहर में फंसे बच्चों में कुपोषण के कई मामले देखे हैं और ‘उसकी आंखों के सामने’ एक किशोर की मौत हुई है.

मदाया दमिश्क के पास स्थित है. अंतरराष्ट्रीय मानवीय चिकित्सा सहायता संगठन डॉक्टर्स विदाउट बॉडर्स ने कहा कि मंगलवार दोपहर को संयुक्त राष्ट्र के पहले मानवीय सहायता काफिले के पहुंचने के बाद से कुपोषण के कारण पांच लोग मारे जा चुके हैं. अक्तूबर के बाद मंगलवार को मदाया में इस तरह की पहली सहायता पहुंचायी गयी थी.

सीरिया में यूनिसेफ की प्रतिनिधि हाना सिंगर ने एक बयान में कल कहा कि गुरुवार को 16 साल के अली की शहर के एक क्लीनिक में कुपोषण के कारण मौत हो गयी.

चिकित्सा सहायता संगठन के अभियान निदेशक बीडीएल विंग्ने ने कहा कि यह ‘चौंकाने वाली बात’ है कि खाने के सामान और दवाएं पहुंचाने के बावजूद लोग मर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ वर्तमान मरीज शायद एक और दिन जीवित नारहें. गंभीर रूप से बीमार और कुपोषण के शिकार अधिकतर लोगों को तत्काल बाहर ले जाने की आवश्यकता है और यह समझना मुश्किल है कि इस तरह के मरीजों को पहले ही बाहर क्यों नहीं ले जाया गया.’ संगठन ने कहा कि मदाया में दिसंंबर में कुपोषण से 23 मरीज मारे गए, दस जनवरी को पांच मरीज मारे गए और मंगलवार को जब पहला काफिला आ रहा था तब दो और लोगों की मौत हो गयी.

डॉक्टर्स विदाउट बॉडर्स ने कहा कि काफिले के आने के साथ पांच लोगों की मौत के बाद मदाया में कुपोषण से कुल 35 लोगों के मरने की पुष्टि की गयी है.

संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता के प्रमुख स्टीफन ओब्रायन ने मंगलवार को कहा कि आपात इलाज के लिए करीब 400 लोगों को मदाया से बाहर ले जाने की जरुरत है.

भुखमरी की खबरेंं सामने आने के बाद संयुक्त राष्ट्र और दूसरे मानवीय संगठनों के ट्रक गुरुवार को एक हफ्ते में दूसरी बार मदाया पहुंचे. सरकारी बलों ने महीनों से शहर की घेराबंदी कर रखी है.

सीरियाई विद्रोहियों से घिरे उत्तरी सीरिया के फोआ और क्फारया समुदायों को भी सहायता अभियान में शामिल किया गया.

अंतरराष्ट्रीय सहायताकर्मियों के मदाया में होने के बावजूद किशोर की मौत ने शहर और घेराबंदी वाले दूसरे इलाकों में मानवीय संकट के स्तर को गहरा दिया है.

मदाया पहुंचे एक और सहायताकर्मी अबीर पामुक ने कहा कि हालात इतने दर्दनाक हैं कि व्याकुल माता पिता बच्चों की भूख को शांत करने के लिए उन्हें सोने की दवाएं दे रहे हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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