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हाइड्रोजन बम विस्फोट पर UN ने बुलायी बैठक

सोल : उत्तर कोरिया ने आज कहा कि उसने हाइड्रोजन बम का ‘‘सफल’ परीक्षण किया और यदि यह बात सच है तो इससे उत्तर कोरिया के प्रतिबंधित परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंताएं बढ़ गयी हैं. पड़ोसी दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने परीक्षण की ‘‘कड़ी निंदा’ की है जबकि जापान के प्रधानमंत्री ने इसे […]

सोल : उत्तर कोरिया ने आज कहा कि उसने हाइड्रोजन बम का ‘‘सफल’ परीक्षण किया और यदि यह बात सच है तो इससे उत्तर कोरिया के प्रतिबंधित परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंताएं बढ़ गयी हैं. पड़ोसी दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने परीक्षण की ‘‘कड़ी निंदा’ की है जबकि जापान के प्रधानमंत्री ने इसे एक ऐसा ‘‘बडा खतरा’ बताया जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन दर्शाता है.उत्तर कोरिया द्वारा हाइड्रोजन बम विस्फोट के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलायी है.

एक सरकारी टेलीविजन चैनल कहा, ‘‘गणराज्य का पहला हाइड्रोजन बम परीक्षण सुबह 10 बजे (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार तीन बजकर 30 मिनट पर) सफलतापूर्वक किया गया.’ चैनल ने कहा, ‘‘अपने ऐतिहासिक हाइड्रोजन बम की सटीक सफलता से हम विकसित परमाणु देशों की श्रेणी में शामिल हो गये हैं.’ किसी हाइड्रोजन या थर्मोन्यूक्लियर उपकरण श्रृंखला अभिक्रिया में संलयन का प्रयोग करता है जिससे अकेले प्लूटोनियम या यूरेनियम से होने वाले विखंडन विस्फोट की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली विस्फोट होता है. किम ने पिछले महीने यह संकेत दिया था कि प्योंगयांग ने पहले ही एक हाइड्रोजन बम विकसित कर लिया है लेकिन उनके इस दावे पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने प्रश्न उठाये थे और परीक्षण के संबंध में बुधवार को की गयी घोषणा को भी संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है.

रेंड कॉरपोरेशन में एक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ बू्रस बेनेट ने बीबीसी से कहा, ‘‘ यह हथियार संभवत: अमेरिका के हिरोशिमा बम के आकार का था लेकिन यह एक हाइड्रोजन बम नहीं था. यह विखंडन तकनीक पर आधारित था.’ बेनेट ने कहा, ‘‘ इससे जो विस्फोट होता वह इस विस्फोट से 10 गुणा अधिक जोरदार होता.’ कार्नेगी एंडोमेंट फौर इंटरनेशनल पीस में परमाणु नीति कार्यक्रम के सह निदेशक जेम्स एक्शन ने ट्वीट किया कि इससे जो अनुमानित ऊर्जा निकली, उसे देखते हुए इस बात की ‘संभावना नहीं लगती कि यह वास्तव में दूसरे चरण का थर्मोन्यूक्लियर बम था.

‘ यह परीक्षण उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के जन्मदिन के मात्र दो दिन पहले किया गया. इस परीक्षण की घोषणा किए जाने से पहले अंतरराष्ट्रीय भूकंप विज्ञान परिवीक्षकों ने उत्तर कोरिया के पूर्वोत्तर में देश के प्रमुख पुंगये री परमाणु स्थल के निकट 5.1 भूकंप दर्ज किए जाने की सूचना दी थी. अधिकतर विशेषज्ञों का मानना था कि प्योंगयांग एक थर्मोन्यूक्लियर विस्फोट विकसित करने से वर्षों दूर है जबकि इस बात के मूल्यांकन में मतभेद था कि उसने एक बैलिस्टिक मिसाइल में फिट हो सकने में सक्षम किसी उपकरण को छोटा आकार देने की तकनीक में कितना विकास किया है.

यह उत्तर कोरिया का चौथा परमाणु परीक्षण था, फिर भले ही यह हाइड्रोनज बम का परीक्षण था या नहीं.उत्तर कोरिया ने इससे पहले वर्ष 2006, वर्ष 2009 और वर्ष 2013 में परीक्षण किये थे जिसके बाद उस पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध लगाये गये थे. प्रतिबंधों के चौथा परीक्षण रोक पाने में नाकाम रहने के बाद सुरक्षा परिषद पर इस बात का दबाव बढ जाएगा कि वह इस बार और कडे कदम उठाए.

इस परीक्षण के बाद विशेष रुप से अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के सामने चुनौती पैदा हो गयी है जिन्होंने 2014 में दक्षिण कोरिया की अपनी यात्रा के दौरान उत्तर कोरिया को ‘‘अछूत देश’ करार दिया था और संकल्प लिया था कि यदि प्योंगयांग और परीक्षण करता है तो उसके खिलाफ और कड़े कदम उठाये जायेंगे.

इस परीक्षण के संबंध में उत्तर कोरिया के आर्थिक और राजनयिक संरक्षक चीन की प्रतिक्रिया अहम होगी. बीजिंग ने अमेरिका के नेतृत्व में देशों को पहले भी प्योंगयांग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से रोका है लेकिन परीक्षण रोकने से उसके इनकार के बाद चीन ने अपनी बढती हताशा भी जाहिर की है.

चीन उत्तर कोरिया में निरस्त्रीकरण के लिए छह पक्षीय सहायता वार्ता को फिर से शुरु करने पर जोर देता रहा है. चीन का कहना है कि प्योंगयांग के साथ वार्ता ही आगे बढने का एकमात्र रास्ता है.

दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, अमेरिका, चीन, जापान और रुस की संलिप्तता वाली इस छह पक्षीय वार्ता प्रक्रिया पर वर्ष 2007 से अनिश्चितता की स्थिति बनी हुर्ह है और चौथा परमाणु परीक्षण करने के निर्णय के साथ प्योंगयांग के आगे बढ़ने के बाद इस प्रक्रिया के आगे बढ़ने की संभावनाएं लगभग समाप्त हो गई हैं.

उत्तर कोरिया ने 2013 में परमाणु परीक्षण के बाद अपने अपने योंगब्योन परिसर में उस प्लूटोनियम संयंत्र को फिर से शुरु कर दिया था जिसे उसने निरस्त्रीकरण के लिए सहायता समझौते के तहत 2007 में बंद कर दिया था.योंगब्योन संयंत्र एक वर्ष में छह किलोग्राम प्लूटोनियम उत्पादन की क्षमता रखा है जो कि एक परमाणु बम बनाने के लिए काफी है.ऐसा माना जाता है कि उत्तर कोरिया के पास अभी इतना प्लूटोनियम है जिससे छह बम बनाये जा सकते हैं.

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