वाशिंगटन : जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ऐतिहासिक पेरिस समझौता अमेरिकी नेतृत्व के बिना होना असंभव करार देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि उनकी कूटनीति चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों को इस समझौते के लिए एकसाथ लेकर आई है. ओबामा ने इस समझौते का विरोध करने वाली रिपब्लिकन पार्टी को भी निशाने पर लिया.
ओबामा ने कहा, ‘जब मैं कोपेनहेगन गया तो मैं इस मूल सिद्धांत को कायम रखने के लिए 24 घंटे कूटनीति में लगा रहा कि सभी देशों की भागीदारी होनी चाहिए ताकि जब इस समस्या को हल करने की बात आए तो विकसित और विकासशील देशों के बीच एक गहरी रेखा न खिंच जाए.’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘दूसरे देशों के साथ काम करना, चीन के साथ साझी घोषणा करना, भारत, ब्राजील और अन्य बडे एवं उभरते देशों को शामिल करना, यूरोपीय देशों के साथ काम करना और इसे पूरा करना…यह सब अमेरिकी नेतृत्व के बिना नहीं हुआ होता.’
ओबामा ने जलवायु परिवर्तन के इस समझौते का विरोध करने वाली रिपब्लिकन पार्टी और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए इसके दावेदारों पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विश्वभर में इकलौती ऐसी पार्टी है जो जलवायु परिवर्तन को नकारती है.
ओबामा ने व्हाइट हाउस में कल आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया, ‘इस समय, अमेरिकन रिपब्लिकन पार्टी आधुनिक विश्व की ऐसी इकलौती बडी पार्टी है जो प्रभावी ढंग से जलवायु परिवर्तन से इंकार करती है.’ ओबामा ने कहा कि लक्ष्य तय करने के मामले में पेरिस समझौता कानूनी रुप से बाध्यकारी नहीं है लेकिन इसने विश्वभर में एक ऐसा खाका खींचा है, जहां देश कह रहे हैं कि यह वह दिशा है, जहां वे जलवायु परिवर्तन के अपने लक्ष्यों के साथ बढ रहे हैं.
ओबामा ने कहा, ‘हम इस स्वच्छ उर्जा के भविष्य की ओर बढेंगे. इस तरह हम अपने लक्ष्य पूरे करेंगे. हम सौर उर्जा दोगुनी करेंगे. पवन उर्जा दोगुनी करेंगे. जैव ईंधनों में ज्यादा निवेश करेंगे. हम बैटरी तकनीकों की खोज करेंगे. ‘