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नेपाल के नये संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाया जा सकता है

काठमांडू : नेपाल में शीर्ष नेताओं का कहना है कि नए संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाया जा सकता है क्योंकि बहुत सारे लोग इसे उचित नहीं मानते हैं.यूसीपीएन (माओवादी) प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता शब्द उचित नहीं है और नए संविधान में इसके स्थान पर कोई दूसरा उचित शब्द लाया जाना […]

काठमांडू : नेपाल में शीर्ष नेताओं का कहना है कि नए संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाया जा सकता है क्योंकि बहुत सारे लोग इसे उचित नहीं मानते हैं.यूसीपीएन (माओवादी) प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता शब्द उचित नहीं है और नए संविधान में इसके स्थान पर कोई दूसरा उचित शब्द लाया जाना चाहिए.

अपने आवास पर पत्रकारों के साथ बातचीत में प्रचंड ने कहा कि नए संविधान को अंतिम रुप देते समय इस शब्द को बदलने का विचार चल रहा है क्योंकि यह आम लोगों की भावनाओं को आहत करता है.माय रिपब्लिका के अनुसार प्रचंड ने कहा, हमने लोगों की राय लेने के दौरान पाया कि लोग धर्मनिरपेक्षता शब्द के इस्तेमाल से बहुत नाराज और आहत हैं. ऐसे में संविधान में इस शब्द को किसी दूसरे उचित शब्द से बदला जाएगा.
बीते शुक्रवार को सीपीएन-यूएमएल प्रमुख केपी शर्मा ओली ने भी इसका संकेत दिया था कि नए संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाया जाएगा.उन्होंने कहा, मैंने सुना है कि बडी संख्या में लोग नए संविधान में धर्मनिरपेक्षता शब्द के खिलाफ हैं. इसे बदला जा सकता है. उधर, कांतिपुर ऑनलाइन के एक संपादकीय में कहा गया, पिछले कुछ दिनों से संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाने से जुडा अभियान गति पकड रहा है. सीपीएन-यूएमएल और नेपाली कांगे्रस के कई नेता हमेशा से नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किए जाने के खिलाफ रहे हैं और वे नेपाल को हिंदू राष्ट्र के तौर परिभाषित करने का गोपनीय रूप से समर्थन करते रहे हैं.

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