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दक्षिण कोरिया ने भारत की सुरक्षा परिषद और एनएसजी की सदस्यता के प्रयासों का किया समर्थन

सोल : दक्षिण कोरिया ने आज माना कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने से वैश्विक परमाणु अप्रसार प्रयासों की मजबूती में सकारात्मक प्रभाव पडेगा और उसने एनएसजी समेत चार बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण संगठनों में शीघ्र सदस्यता हासिल करने के भारत के प्रयास का समर्थन किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरिया […]

सोल : दक्षिण कोरिया ने आज माना कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने से वैश्विक परमाणु अप्रसार प्रयासों की मजबूती में सकारात्मक प्रभाव पडेगा और उसने एनएसजी समेत चार बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण संगठनों में शीघ्र सदस्यता हासिल करने के भारत के प्रयास का समर्थन किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क गुन-हे ने परमाणु अप्रसार तथा चार बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण संगठनों – परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी), मिसाइल टेक्नॉलोजी कंट्रोल रिजीम, आस्ट्रेलिया ग्रुप और वास्सेनार एरेंजमेंट से जुडने की भारत की कोशिश समेत विविध मुद्दों पर चर्चा की.
वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, भारत और आरओके (दक्षिण कोरिया) ने वैश्विक परमाणु अप्रसार उद्देश्यों को मजबूत करने में अपने साझे हितों पर बल दिया. आरओके ने अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण संगठनों से जुडने की भारत की इच्छा का संज्ञान लिया और इस बात से सहमत हुआ कि भारत के प्रवेश से वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्थाओं की मजबूती पर सकारात्मक असर पडेगा.
बयान में कहा गया है, आरओके ने इन चारों बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण संगठनों में से प्रत्येक की अंदरुनी आम सहमति से भारत को उनकी जल्द सदस्यता मिलने के प्रति अपना समर्थन जताया.
भारत और दक्षिण कोरिया ने सुरक्षा परिषद के विस्तार समेत संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सुधार की जरुरत स्वीकार किया, सुरक्षा परिषद का विस्तार होने से वह और प्रतिनिधिकारक, जवाबदेह और प्रभावी बनेगी. दोनों देश संयुक्त राष्ट्र सुधार की दिशा में मिलकर काम करने पर सहमत हुए ताकि इस वैश्विक संगठन में समसामयिक वास्तविकताओं की झलक मिले और बडे विकाशसील देशों को उसमें जगह मिले.
मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति पार्क की इस चिंता को वह भी साझा करते हैं कि परमाणु आयुद्ध एवं अन्य जनसंहारक हथियारों का प्रसार इस क्षेत्र के देशों के हित में नहीं है. उन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप के शांतिपूर्ण एकीकरण के लिए कोरियाई जनता के प्रति भारत के समर्थन की पेशकश की.
संयुक्त बयान के मुताबिक दोनों नेताओं ने उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों एवं बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के विकास पर चिंता प्रकट की क्योंकि यह उसकी अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं एवं कटिबद्धताओं के प्रतिकूल है.
वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा की और सभी प्रकार के आंतकवाद के उन्मूलन के प्रति कटिबद्धता दोहरायी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस चुनौती से निबटने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र समझौते से जुडी वार्ता के शीघ्र समापन का आह्वान किया.
बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने संबंधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों को लागू कर तथा हिंसक चरमपंथ का मुकाबला करने के प्रयासों को तेज कर आतंकवादियों के पनाहगाह और बुनियादी ढांचों का सफाया करने, आतंकवादी नेटवर्कों एवं उनके धनस्रोत को तोडने, आतंकवादियों के सीमापार आने जाने पर रोक लगाने की जरुरत को माना.
Prabhat Khabar Digital Desk
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