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पाक उच्च न्यायालय ने दो महीने के अंदर मुंबई आतंकी हमले की सुनावई पूरी करने का दिया निर्देश

इस्लामाबाद: इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने आज एक निचली अदालत को 2008 के मुंबई आतंकी हमले की सुनवाई दो महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने आगाह किया है कि अगर निचली अदालत ऐसा करने में नाकाम रहती है तो लश्कर ए तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी की […]

इस्लामाबाद: इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने आज एक निचली अदालत को 2008 के मुंबई आतंकी हमले की सुनवाई दो महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने आगाह किया है कि अगर निचली अदालत ऐसा करने में नाकाम रहती है तो लश्कर ए तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी की जमानत रद्द करने का पाकिस्तान सरकार का अनुरोध स्वीकार कर लिया जायेगा.

न्यायमूर्ति नूरउल हक कुरैशी की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने इस्लामाबाद की आतंकवाद निरोधक अदालत को मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड लखवी और छह अन्य के खिलाफ वर्ष 2009 से जारी मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए ‘‘दो महीने’’ का समय दिया. पीठ 55 वर्षीय लखवी की जमानत रदद करने का अनुरोध करने वाली सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा, ‘‘यह अदालत निचली अदालत को मुंबई मामले (की सुनवाई)को पूरा करने के लिए दो महीने देती है और तब तक (लखवी की जमानत रदद करने के अनुरोध के) इस मामले को स्थगित करती है.’’ अभियोजन प्रमुख चौधरी अजहर ने यहां सुनवाई के बाद कहा कि न्यायाधीश ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अगर लखवी के वकीलों की तरफ से देरी हुई तो अदालत लखवी की जमानत रदद कर देगी.
न्यायाधीश ने टिप्पणी की, ‘‘अदालत मुंबई मामले(की सुनवाई) पूरी होने तक दो महीने के लिए इस मामले को लंबित छोडती है. अगर यह रिपोर्ट मिली कि बचाव पक्ष के वकीलों की देरी करने की रणनीति के कारण मुंबई मामला (दो महीने में) पूरा नहीं हो पाया तो यह अदालत लखवी की जमानत रदद कर देगी।’’ वह अभियोजन की इन दलीलों पर जवाब दे रहे थे कि बचाव पक्ष के वकीलों की विलंब करने की रणनीति के कारण मुंबई मामले में देरी हो रही है.
इससे पहले, लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मोहम्मद अनवारुल हक ने नौ अप्रैल को लोक व्यवस्था संबंधी कानून के तहत लखवी की हिरासत पर रोक लगाते हुए कहा था कि सरकार अदालत में उसके खिलाफ ‘‘संवेदनशील सबूत’’ पेश करने में नाकाम रही.

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