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विशेषज्ञों की राय में भारत-अमेरिका संबंधों को नयी दिशा में ले जाना चाहते हैं मोदी

वाशिंगटन : विशेषज्ञों का मानना है कि दस साल तक वीजा प्रतिबंध झेलने का कटु अनुभव होने के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिए हैं कि वह अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को एक नयी दिशा में लेकर […]

वाशिंगटन : विशेषज्ञों का मानना है कि दस साल तक वीजा प्रतिबंध झेलने का कटु अनुभव होने के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिए हैं कि वह अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को एक नयी दिशा में लेकर जाना चाहते हैं.

कार्नेगी एनडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के एश्ले टेलिस ने कहा, ‘उन्होंने (मोदी ने) एक तरह से, यह संदेश दिया है कि वह अमेरिका के बारे में जो भी सोचते हों. वह निश्चित तौर पर संबंध को एक नयी दिशा में ले जाना चाहते हैं. मुझे लगता है कि यह निमंत्रण निश्चित तौर पर एक महत्वपूर्ण बिंदु को दर्शाता है.’ उन्होंने कहा कि मोदी ने निमंत्रण का इस्तेमाल ऐसा संकेत देने में किया है कि भारत को आगे बढाने की उनकी गणनाओं में अमेरिका को वाकई महत्वपूर्ण माना गया है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है क्योंकि हम सब जानते हैं कि मोदी का अमेरिका के साथ एक कठिन निजी इतिहास रहा है और इस बारे में थोडी अनिश्चितता थी कि जब वह सत्ता में आएंगे तो वह अमेरिका को किस नजरिए से देखेंगे.’

टेलिस ने कहा, ‘यह (दुर्लभ निमंत्रण) इसलिए भेजा गया क्योंकि मोदी राष्ट्रपति ओबामा के प्रति बहुत अच्छी भावनाएं लेकर वाशिंगटन से रवाना हुए थे. मेरा कहने का अर्थ यह है कि जब वह यहां आए थे, तब अमेरिका के साथ अपना परेशानी भरा इतिहास जुडा होने के कारण, वाकई उन्हें अंदाजा नहीं था कि यहां उनका स्वागत किस तरह से किया जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘न्यूयॉर्क मोदी के लिए एक जीत थी. मेरा मतलब है कि वहां वह एक सुपरस्टार थे. लेकिन वाशिंगटन भी उनके लिए एक जीत के समान ही था. भले ही यहां कोई सार्वजनिक समारोह नहीं हुए थे लेकिन राष्ट्रपति की ओर से उन्हें दिए गए रात्रिभोज का आयोजन शानदार रहा.’

उन्होंने कहा, ‘रात्रिभोज पर उन्होंने काफी समय साथ बिताया और अगली सुबह उनके बीच विस्तृत बातचीत हुई. इस दौरान एक बार फिर उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छे नतीजे रहे. मार्टिन लूथर किंग के स्मारक तक जाना उनके लिए वाकई दिल छूने वाला अनुभव रहा.’

काउंसिल फॉर फॉरेन रिलेशन्स की एलीसा आयर्स ने कहा कि मोदी के सामने ऐसी केाई नाजुक समस्या नहीं है, जो संभवत: उनके पूर्ववर्तियों के समक्ष रही होगी कि यदि हम अमेरिका की ओर अत्यधिक झुकाव या करीबी रखते हुए दिखे, तो इसका क्या अर्थ होगा.’

सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी के अध्यक्ष रिचर्ड फॉन्टेन ने कहा कि इस बार जब ओबामा नयी दिल्ली पहुंचेंगे, तो देखेंगे कि बीते मई में मोदी द्वारा भारी चुनावी जीत हासिल करने के बाद से राजनीतिक परिदृश्य कितने नाटकीय ढंग से बदला है.

उन्होंने कहा, ‘मोदी की अमेरिकी यात्रा के महज चार माह बाद हो रही ओबामा की यात्रा प्रतीकवाद और दूरदर्शिता पर आधारित होगी.’ अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के सदानंद धूमे ने कहा, ‘बीते मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन से नयी दिल्ली और वाशिंगटन के उन संबंधों में एक नये उत्साह का संचार हुआ है, जो कई बार कठिन समय का सामना कर चुके हैं.’

Prabhat Khabar Digital Desk
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