न्यूयॉर्क : भारत ने आज बिल्कुल स्पष्ट कर दिया कि पांच दिन की अमेरिका यात्रा पर यहां पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्द गिर्द सुरक्षा का कड़ा घेरा है और इस बात का सवाल ही नहीं उठता कि कोई उन्हें सम्मन दे सके तथा मामले में कार्रवाई जारी है.
अमेरिका की एक संघीय अदालत द्वारा मोदी के खिलाफ गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों में कथित भूमिका के लिए सम्मन जारी किये जाने के एक दिन बाद भारत की यह कड़ी प्रतिक्रिया आई है. व्हाइट हाउस ने हालांकि इस मुद्दे को कमतर करते हुए इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी है.
इसके प्रेस सचिव जोश एर्नेस्ट ने कहा कि इसका (कानूनी वाद) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अत्यंत महत्वपूर्ण यात्रा पर कोई असर नहीं पडने जा रहा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकारों के वर्तमान प्रमुखों को अमेरिका में रहने के दौरान निजी संरक्षा प्राप्त है जिसका मतलब है कि कानूनी वाद शुरु करने के लिए उन्हें निजी तौर पर कोई भी दस्तावेज सौंपा या दिया नहीं जा सकता है.
सम्मन के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, भारतीय प्रतिनिधि के ईद गिर्द सुरक्षा का कड़ा घेरा किया गया है. इस बात का कोई सवाल ही नहीं उठता कि कोई भारत के संप्रभु प्रतिनिधि को सम्मन पहुंचा सके. यह बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट कर दिया गया है कि इस तरह का कोई मुद्दा नहीं होगा. विदेश विभाग भी आज यह स्पष्ट कर चुका है. उन्होंने कहा कि सरकार प्रक्रिया के अनुरुप मामले से निपटेगी और इस पर कार्रवाई जारी है.
न्यूयॉर्क आधारित अमेरिकन जस्टिस सेंटर (एजेसी) की ओर से दायर कानूनी वाद पर अमेरिका की दक्षिणी न्यूयॉर्क जिला संघीय अदालत ने मोदी के खिलाफ सम्मन जारी किए थे. गैर लाभप्राप्त इस मानवाधिकार संगठन ने 2002 की गुजरात हिंसा में जीवित बचे दो अनाम लोगों के साथ वाद दायर किया था. पूर्व में प्रवक्ता ने मामले को प्रधानमंत्री की संयुक्त राष्ट्र महासभा यात्रा और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ द्विपक्षीय बैठक से ध्यान हटाने का ओछा और दुर्भानावपूर्ण प्रयास करार करार दिया था.
अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर काफी उत्सुक है और उनके शानदार स्वागत की तैयारी की है. उन्होंने कहा,मामले में आरोप निराधार हैं और पूर्व में प्रधानमंत्री पर लगाए गए अन्य आरोपों की तरह ही हैं. भारत के उच्चतम न्यायालय की निगरानी में व्यापक जांच हुई और इन आरोपों को निराधार पाकर खारिज कर दिया गया.
प्रवक्ता ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि निहित स्वार्थों से मामले को यात्रा के दौरान सिर्फ माहौल खराब करने के लिए उठाया जा रहा है. मामले के समाधान के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं.वर्ष 2002 में गुजरात में हुए दंगों के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज कराने वाले नागरिक अधिकार संगठन ने भारतीय प्रधानमंत्री तक अदालत के सम्मन पहुंचाने वाले को 10,000 डॉलर का इनाम देने की घोषणा की है.
न्यूयॉर्क में रहने वाले कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नुन ने कल यहां संवाददाताओं को बताया कि अमेरिकन जस्टिस सेंटर (एजेसी) ने अगले दो दिनों में शहर में मोदी के विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान अदालत के सम्मन उन तक (मोदी तक) पहुंचाने वाले को 10,000 डॉलर का इनाम देने की पेशकश की है. यह इनाम उस व्यक्ति को दिया जाएगा जो मोदी को सम्मन देगा और सबूत के तौर पर तस्वीर और वीडियो ला कर देगा.
यह तस्वीर या वीडियो इस बात का प्रमाण होगी कि उस व्यक्ति ने मोदी तक अदालत का सम्मन पहुंचा दिया. समूह ने मोदी को सम्मन देने के लिए कुछ लोगों को भाडे पर नियुक्त भी किया है. इस समूह का कहना है कि जो कुछ किया जा रहा है वह न्यू यार्क के कानून के अनुसार किया जा रहा है जिसके मुताबिक, यह काम कम से कम 10 फुट की दूरी से भी किया जा सकता है और संबद्ध व्यक्ति पर दस्तावेज फेंके भी जा सकते हैं. इस प्रक्रिया को इस तरह माना जाएगा कि सम्मन दिया जा रहा है.