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ऐतिहासिक जनमत संग्रह में स्कॉटलैंड ने आजादी को नकारा

इडेनबरा : स्कॉटलैंड ब्रिटेन से आजाद नहीं होगा. आज ऐतिहासिक जनमत संग्रह मेंस्कॉटलैंडके लोगोंनेआजादी को खारिज कर दिया और ब्रिटेन के साथ अपने 307 साल पुराने रिश्ते को बरकरार रखने का निर्णय किया. जनमत संग्रह में 54 प्रतिशत लोगों ने ब्रिटेन से अलग होने के विरोध में अपना वोट डाला.इस जनमत संग्रह ने जहां दोनों […]

इडेनबरा : स्कॉटलैंड ब्रिटेन से आजाद नहीं होगा. आज ऐतिहासिक जनमत संग्रह मेंस्कॉटलैंडके लोगोंनेआजादी को खारिज कर दिया और ब्रिटेन के साथ अपने 307 साल पुराने रिश्ते को बरकरार रखने का निर्णय किया. जनमत संग्रह में 54 प्रतिशत लोगों ने ब्रिटेन से अलग होने के विरोध में अपना वोट डाला.इस जनमत संग्रह ने जहां दोनों पक्षों के बीच तीखे मतभेद पैदा कर दिए थे वहीं दूसरी ओर यूनाइटेड किंगडम में ‘विकेंद्रीकरण क्रांति’ का मार्ग भी प्रशस्त कर दिया.

आजादी समर्थक खेमे को 55 फीसदी से अधिक स्काटिश जनता ने करारी मात दी और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के साथ रहने का फैसला किया. सभी 32 कौंसिल के परिणामों में आजादी को ‘ना’ कहने वालों की, आजादी को ‘हां’ कहने वालों पर जीत हुई. आजादी के पक्ष में 1,617,989 मत पडे तो वहीं इसके विरोध में 2,001,926 मत पडे. कुल 32 में से 28 कौंसिल में नतीजा आजादी के खिलाफ रहा जबकि केवल चार ने इसका समर्थन किया.

‘बैटर टुगेदर’ अभियान के लिए जीत का प्रतिशत 44.7 के मुकाबले 55.3 रहा जो कि अंतिम जनमत संग्रह के अनुमानित नतीजों से कहीं अधिक था. जनमत संग्रह से पूर्व ‘हां’ और ‘ना’ के बीच कांटे की टक्कर होने की आशंका जतायी जा रही थी. इस जनमत संग्रह में 84.6 फीसदी मतदान हुआ जो ब्रिटेन के किसी चुनाव में सर्वाधिक मतदान है. इंग्लैंड और वेल्स के साथ 307 साल पुराने संबंधों की समाप्ति के खिलाफ स्काटलैंड की जनता द्वारा 10.6 फीसदी के अंतर से अपनी राय जाहिर किए जाने के बाद प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने परिणामों की घोषणा की.

प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही पूरे ग्रेट ब्रिटेन में ‘विकेंद्रीकरण क्रांति’ का वादा किया. काफी राहत महसूस कर रहे कैमरन ने लंदन में अपने 10 डाउनिंग स्टरीट कार्यालय के बाहर एक बयान में कहा, ‘लाखों और लोगों की तरह, मैं खुश हूं. जैसा कि मैंने अभियान के दौरान कहा था कि हमारे यूनाइटेड किंगडम को खत्म होते देख मेरा दिल टूट जाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘स्काटलैंड के लोगों को अपने मामलों में अधिक शक्तियां हासिल होंगी ताकि वे भी इंग्लैंड, वेल्स और नार्दर्न आयरलैंड के लोगों के बराबर हो जाएं जिन्हें अपने मामलों में अधिकार हासिल हैं.’

स्काटलैंड सरकार के प्रमुख (फर्स्ट मिनिस्टर) एलेक्स सालमंड ने एकजुटता का आह्वान किया और केंद्रीय दलों से अधिक शक्तियां दिए जाने की अपील की. कल हुए इस जनमतसंग्रह के साथ ही इस मुद्दे को लेकर पिछले दो साल से चला आ रहा अभियान संपन्न हो गया और अब चर्चा स्काटलैंड को अधिक शक्तियां प्रदान किए जाने पर शुरु होगी. आजादी के समर्थकों को चार स्थानों पर बडी सफलता मिली जिनमें सबसे बडे शहर ग्लासगो में 53 फीसदी, वेस्ट डनबार्टनशायर में 53 फीसदी, दुंदे में 57 फीसदी और नार्थ लेनार्कशायर में 51 फीसदी मत पडे. लेकिन 26 अन्य कौंसिल में ‘ना’ का पलडा मजबूत रहा और एडिनबर्ग, एबेर्दीनशायर तथा बार्डर्स में इसके पक्ष में अपेक्षा से कहीं अधिक मतदान हुआ.

यूरोपीय संसद के अध्यक्ष मार्टिन शूल्ज ने सबसे पहले इस पर प्रतिक्रिया जाहिर की और कहा कि उन्होंने राहत की सांस ली है. यूरोपीय आयोग के निवर्तमान अध्यक्ष जोस मैन्युअल बारोसो ने कहा कि इससे यूरोपीय संघ मजबूत होगा. लेबर नेता ऐड मिलिबैंड ने कहा कि हम स्काटलैंड को अधिक शक्तियां देकर उसे एक मजबूत स्काटलैंड बनाएंगे. प्रधानमंत्री कैमरन जनवरी तक स्काटलैंड के लिए नयी योजनाओं का खाका पेश करेंगे. ‘ना’ के पक्ष में परिणाम घोषित होते ही एशियाई कारोबारी घंटों में पाउंड स्टर्लिंग में यूरो के मुकाबले तेजी से उछाल आया और यह दो साल की नयी उंचाई पर पहुंच गया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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