बगदाद: इराक में सुन्नी उग्रवादी हमलों को अंजाम दे रहे खूंखार जेहादियों ने इस्लामी खिलाफत की घोषणा की है और दुनियाभर में मुसलमानों को उनके नेता के प्रति निष्ठा रखने को कहा है. उग्रवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट ने अपना नाम बदलकर इस्लामिक स्टेट (आईएस) कर लिया है और दुनियाभर में जेहादी आंदोलन पर अपनी पकड मजबूत बनाने के मकसद से अल-कायदा को साफ साफ चुनौती देते हुए अपने प्रमुख को दुनिया के मुसलमानों का नेता घोषित किया है.
इस बीच इराकी बलों ने मारे जा चुके तानाशाह सद्दाम हुसैन के गृहनगर तिकरित पर उग्रवादियों का कब्जा खत्म करने के लिए सोमवार को अभियान छेडा. आईएस के लडाकों ने तिकरित समेत अनेक शहरों पर कब्जा कर लिया है और उनके हमलों में 1,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं. इससे प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी पर भी दबाव बन रहा है. हमलों के बाद तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की मलिकी की कोशिश को झटका लगा है और अप्रैल में हुए चुनावों के बाद मंगलवार को शुरु हो रहे संसद सत्र में वह इस पद की दौड में सबसे आगे नहीं दिखाई दे रहे.
आईएस ने घोषणा की थी कि वह खिलाफत की स्थापना कर रहा है. आखिरी बार ओटोमन अंपायर में इस तरह की इस्लामी शासन व्यवस्था देखी जाती थी और अब उत्तरी सीरिया के अलेप्पो से पूर्वी इराक के दियाला प्रांत तक फैली है.
ऑनलाइन प्रसारित एक ऑडियो रिकॉर्डिंग में संगठन ने अपने प्रमुख अबू बकर अल-बगदादी को खलीफा तथा दुनियाभर के मुस्लिमों का नेता बताया है. संगठन ने कहा है कि प्रमुख को अब खलीफा इब्राहिम के नाम से जाना जाएगा. विश्लेषकों का कहना है कि इस कदम का जमीनी तौर पर तत्काल असर नहीं होगा लेकिन यह संगठन की सोच को दर्शाता है और अल-कायदा के खिलाफ कदम के तौर पर भी इसे देखा जा रहा है, जिससे कि यह अलग होकर बना है.
दोहा में ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन के चार्ल्स लिस्टर ने 2001 में अमेरिका में अल-कायदा के हमले का जिक्र करते हुए कहा, 9-11 के बाद से अंतरराष्ट्रीय जेहाद में खिलाफत सबसे बडा घटनाक्रम है.