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दान एवं विनम्रता ही यीशु के जन्मोत्सव का संदेश

सिस्टर डॉ मेरी ग्रेस प्राचार्या, उर्सुलाइन इंटर कॉलेज, रांची (उत्कृष्ट शिक्षण के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित) uicr@rediffmail.com बेल्जियम में एक भारतीय व्यक्ति मित्र को क्रिसमस कार्ड भेजने हेतु कार्ड की खोज कर रहा था. उसने लोगों से पूछा कि मुझे वैसा ही क्रिसमस कार्ड चाहिए, जिसमें प्रभु यीशु का चित्र हो. लोगों के पास जवाब […]

सिस्टर डॉ मेरी ग्रेस
प्राचार्या, उर्सुलाइन इंटर कॉलेज, रांची
(उत्कृष्ट शिक्षण के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित)
uicr@rediffmail.com
बेल्जियम में एक भारतीय व्यक्ति मित्र को क्रिसमस कार्ड भेजने हेतु कार्ड की खोज कर रहा था. उसने लोगों से पूछा कि मुझे वैसा ही क्रिसमस कार्ड चाहिए, जिसमें प्रभु यीशु का चित्र हो. लोगों के पास जवाब नहीं था. क्रिसमस कार्ड तो हर जगह उपलब्ध थे, पर उसमें यीशु गायब थे. कार्ड में सांता क्लॉज हैं, क्रिसमस ट्री, रेनडियर है, स्नो है, सिल्वर बेल्स, जिंग्लस बेल्स हैं, लेकिन यीशु मसीह, पवित्र परिवार आदि दृश्य हाशिए पर चले गये हैं.
यह कितनी बड़ी विडंबना है कि ख्रीस्त के जन्मोत्सव में बाकी सब कुछ है, सिवाय ख्रीस्त के. आज के बाजारीकरण युग में क्रिसमस पर भी बाजार का प्रभाव हावी हो गया है. क्रिसमस मतलब, अच्छा बिजनेस, अच्छी कमाई!
बाहरी रूप से जबरदस्त तैयारी, पर दिल रूपी चरनी की तैयारी के प्रति घोर उदासीनता. हम अपने घरों को चाहे जितना भी सजा लें, शृंगार कर लें, रंग-रोगन करा लें, अगर अपने दिल को साफ नहीं किया, तो सारी तैयारी बेकार. अगर हम यीशु को अपने दिल में जन्म न दें, तब इस पर्व का औचित्य ही क्या?
आगमन के इस पुण्य काल में C for Christ हमारे जीवन में कहां है? मुझे आमंत्रण मिला है- क्रिसमस संदेश के लिए और मैं यह संदेश दो स्वर्गिग गुणों पर केंद्रित करना चाहूंगी- वह है ‘देना’ (to give) या दानशीलता और दूसरा विनम्रता (Humility).
एक चर्चित लघु कथा है. क्रिसमस गैदरिंग पर एकांकी प्रस्तुत हो रहा था. जोसेफ गर्भवती मरियम को लेकर नाम लिखाने के लिए बेतलेहम गये. दरवाजे-दरवाजे, रात बिताने के लिए लालटेन लेकर आश्रय ढूंढ रहे थे. ठंड से शरीर ठिठुरा जा रहा था. उन्हें घर में जगह नहीं मिल रही थी. एक सराय के मालिक ने बेरहमी से कह दिया- ”घर में जगह नहीं है, कहीं और जाइए.”
ये वाक्य स्कूली छात्र ने सराय मालिक का किरदार निभाते तो कह दिया, पर वह छात्र भूल गया कि यह नाटक है और जोसेफ और गर्भवती महिला को तकलीफ से परेशान होते देख चिल्ला उठा-‘‘कृपया लौट आइए, मेरे घर में आपके रात बिताने के लिए काफी जगह है.’’
यहां नाटक का क्रम तो भंग हो गया, लेकिन सभी दर्शकों को एक हृदय स्पर्शी संदेश दे गया और वह है- ‘देना’, दूसरों पर उपकार करना, दूसरों की सेवा करना. अर्थात पूरे मन और दिल से देना, खुशी से देना, हाथ फैला कर देना, नि:स्वार्थ भाव से देना, पाने की इच्छा किये बिना देना. उस लघु नाटिका में अनायास ही पात्र के दायरे से बाहर निकल उस छात्र ने ‘सराय’ दान करने की उद्घोषणा की.
पिता ईश्वर ने इकलौते पुत्र को मानव शरीर धारण कर इस दुनिया में भेजा, इसलिए कि संपूर्ण मानव जाति की मुक्ति हो. उन्होंने इकलौते पुत्र को दान दे दिया. वे लोगों के बीच रहे और मानव मुक्ति हेतु संपूर्ण जीवन का बलिदान किया और बदले में वे हमसे बस इतना चाहते हैं कि हम बुराई से दूर रहें, पाप न करें और दूसरों की भलाई करते रहें.
बाइबल के अनुसार, विनम्रता का अर्थ है- व्यक्ति का यह समझना कि वह ईश्वर की शक्ति और कृपा के बिना कुछ भी नहीं. कोलकाता की धन्य मदर टेरेसा अनाथाश्रम के बच्चों एवं बीमार लोगों के लिए भीख मांगा करती थीं.
एक बार एक धनी व्यापारी के घर का दरवाजा खटखटाया. वह व्यक्ति भड़क गया. उसने मदर की हथेली पर थूक दिया. मदर थोड़ी देर चुपचाप रहीं, फिर दूसरी हथेली पसारते हुए कहा- सर, यह थूक मेरे लिए है, अब मेरे गरीब बच्चों के लिए कुछ दे दीजिए. वह धनी व्यक्ति मदर की विनम्रता देख अपनी करतूत पर शर्मिंदा हुआ. उसने माफी मांगी और उनका सबसे बड़ा परोपकारी एवं हितैषी बन गया.
यीशु ख्रीस्त के जीवन-मार्गों पर चलने से स्वत: हम इन महान गुणों को अपना सकते हैं. क्रिसमस हमें ईश्वर की विनम्रता, दीनता और दयालुता, दानशीलता का प्रमाण देता है और हमें भी इन्हीं गुणों के साथ जीने का संदेश देता है. पुन: ख्रीस्त जन्म पर्व की ढेरों शुभकामनाएं एवं नववर्ष 2020 की मंगलकामनाएं!
विशेषकर इन श्रेणियों में आनेवालों के लिए करें दान
स्कूली बच्चों के बीच मुझे हर वर्ष क्रिसमस गैदरिंग का सुनहरा अवसर प्राप्त होता रहा है. हर वर्ष आगमन आंरभ होने के साथ ही, सभी स्कूली छात्राओं को आध्यात्मिक तैयारी के लिए दान एवं विनम्रता की बातों से आमंत्रित करती हूं. ‘हम छात्र/छात्राएं दान करें, प्रार्थना के साथ-साथ हम दान करने का प्रण करें’.
बच्चे जो अपने बाल अधिकार से वंचित हैं, जिनके पास कॉपी, किताब, पेन, पेंसिल आदि नहीं हैं, उन्हें हम पढ़ाई की सामग्री दान करेंगे. संभव हो तो खरीद कर भी दान करेंगे, ताकि वे स्कूल जा सकें.
शिक्षा का दान उत्तम दान माना जाता है. क्यों न हम अपने में प्रण करें कि हम कम-से-कम एक व्यक्ति को शिक्षित करेंगे. हर शिक्षित व्यक्ति सिर्फ एक बच्चे/अनपढ़ को शिक्षित करने का बीड़ा उठा ले, तो हमारे समाज, देश का कायाकल्प हो जायेगा.
हम अपने पहनने के कपड़े, जो अच्छी स्थिति में हैं, उन्हें दान करें, चाहे वे यूनिफॉर्म के कपड़े या फिर अन्य कपड़े हों. जो निर्धन बच्चों के साथ-साथ दूसरे गरीबों के भी प्रयोग में आ सकें. फेंकने लायक कपड़े न दें, बल्कि ऐसे कपड़े दें, जिनको देने में दिल में दर्द का अनुभव हो.
हम अपनी पॉकेट मनी से कटौती कर पैसे भी दान करें, जिनसे जरूरतमंदों की आवश्यकता की पूर्ति हो सके. पूरा न सही, कुछ अंश तक ही आवश्यकता की पूर्ति हो.
हम अंग्रेजी वर्णमाला के C अक्षर से कुछ सीखें
C – Christmas – Crib (चरनी), Cake (केक), Carols (गीत), Celebration (त्योहार), Candles (मोमबत्ती), Christmas Tree (क्रिसमस ट्री), Christmas Card (क्रिसमस कार्ड), Santa Clause (सांता क्लॉज), किंतु इन सबके बीच कहां है – Christmas C – CHRIST.
दान की श्रेणी में क्या नहीं आता है?
यदि हम बाध्यता वश किसी को कुछ देते हैं, तो यह दान नहीं, बल्कि पारस्परिक आदान-प्रदान है, दानशीलता नहीं.
यदि हम निष्ठावान, वफादारिता, स्वामी भक्ति से देते हैं, तो भाईचारा, परस्पर निर्भरता निभाते हैं, जो दानशीलता नहीं.
यदि हम किसी व्यक्ति विशेष की चाहत पर कुछ देते हैं, तो वह महज निजी स्वार्थ है, दानशीलता नहीं.
यदि किसी को आपसी प्रेम-संबंधों के कारण कुछ देते हैं, तो वह प्यार वश हुआ, दानशीलता नहीं.
हम नि:स्वार्थ भाव से जरूरतमंदों को दान करें, बिना कुछ पाने की इच्छा लिये दान करें और खुश रहें तभी वह सही मायने में दान है.

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