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वैश्विक ऊर्जा समीकरण बदलेंगे भारत और चीन!

दुनिया का दूसरे और तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक देश चीन और भारत संयुक्त रूप से मिलकर एक ‘खरीदार गुट’ बनाने की प्रक्रिया में हैं. यह गुट तेल आपूर्तिकर्ता देशों से तेल खरीद के लिए मोलभाव करेगा, साथ ही तेल कीमतों पर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले निर्यातक संघ के प्रभाव को भी कम करेगा. […]

दुनिया का दूसरे और तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक देश चीन और भारत संयुक्त रूप से मिलकर एक ‘खरीदार गुट’ बनाने की प्रक्रिया में हैं.
यह गुट तेल आपूर्तिकर्ता देशों से तेल खरीद के लिए मोलभाव करेगा, साथ ही तेल कीमतों पर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले निर्यातक संघ के प्रभाव को भी कम करेगा. इसी के मद्देनजर बीते महीने चीन के राष्ट्रीय ऊर्जा प्रशासन के डिप्टी एडमिनिस्ट्रेटर ली फानरॉन्ग भारत दौरे पर आये थे. परस्पर साामरिक तौर पर प्रतिद्वंद्वी दोनों देशों ने संयुक्त रूप से कच्चे तेल का आयात करने की योजना बनायी है.
अगर यह योजना प्रभावी तरीके से लागू होती है, तो निश्चित ग्लोबल एनर्जी आर्किटेक्चर बदल सकता है. भारत खरीदार गुट को और मजबूत व प्रभावी बनाने के लिए जापान तथा दक्षिण कोरिया को भी साथ शामिल करना चाहता है. जापान और कोरिया क्रमश: दुनिया के चौथे और पांचवें सबसे बड़े तेल आयातक देश हैं.
महंगाई में वृद्धि का अनुमान
चालू खाता घाटे के बढ़ने से रुपये में गिरावट की स्थिति पहले ही देखी जा चुकी है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरल 10 डॉलर की बढ़ोतरी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का चालू खाता घाटा 0.4 प्रतिशत बढ़ेगा. ऐसी स्थिति में महंगाई का दबाव बढ़ना स्वाभाविक है. अनुमानत: कच्चे तेल की कीमत में प्रति बैरल 10 डॉलर की वृद्धि होने पर भारत की महंगाई में 10 बेसिस प्वॉइंट की बढ़ोतरी होगी.
भारत की आयात पर निर्भरता
(आंकड़े प्रतिशत में)
वर्ष कच्चे तेल पर प्राकृतिक गैस पर
2015-16 80.6 40.7
2016-17 81.7 44.5
2017-18 82.9 45.3
2018-19* 83.3 47.0
*(अप्रैल-अक्तूबर/ प्रोविजनल डाटा)
स्रोत : पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय
वित्त वर्ष 2019 में विभिन्न देशों से भारत द्वारा आयात
(बिलियन डॉलर में)
देश आयात के मूल्य कल हिस्सेदारी
सऊदी अरब 22.4 17.4
इराक 20.6 16.0
यूएई 12.3 9.6
ईरान 11.6 9.0
नाइजीरिया 9.5 7.4
कतर 8.6 6.7
वेनेजुएला 6.6 5.1
कुवैत 5.8 4.5
अमेरिका 4.7 3.7
11 महीने के आंकड़े, 128.7 बिलियन डॉलर का कुल पीओएल (पेट्रोलियम, ऑयल व लुब्रिकेंट) आयात
स्रोत : सीएमआईई
ईरान से तेल आयात हुआ आधा
होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी
अमेरिका द्वारा भारत समेत बड़े तेल उपभोक्ता देशों की तेल खरीद पर रोक लगाने के बाद ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी है. होर्मुज जलडमरूमध्य ओमान सल्तनत के दक्षिणी तट और उत्तरी सिरे के बीच का वह संकरा रास्ता है जिसके जरिये दुनिया का एक तिहाई समुद्री तेल हर दिन गुजरता है. इससे पहले भी ईरान इस रास्ते को बंद करने की धमकी दे चुका है, जिस कारण वर्षों तक पश्चिमी देशों के साथ ईरान के रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं.
चाबहार बंदरगाह है अहम
ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में हिंद महासागर स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं. चाबहार मध्य एशियाई देशों के साथ भारत, ईरान और अफगानिस्तान के व्यापार का द्वार माना जाता है.
इसका सामरिक महत्व भी है. मई 2016 में भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत तीनों देश पारगमन और परिवहन गलियारे की स्थापना के लिए चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकेंगे.
ऊंचे स्तर पर तेल कीमतें
ब्रेंट क्रूड बेंचमार्क के आधार पर मापे जानेवाले कच्चे तेल का वैश्विक मूल्य बीते 25 तारीख को रिकॉर्ड 75 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया. आशंका है कि यह कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल को पार भी कर सकती है. तेल खरीद की छूट मियाद नहीं बढ़ाये जाने और रूस द्वारा कच्चे तेल के निर्यात में कटौती करने के कारण ही इस वर्ष पहली बार वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें इतने ऊंचे स्तर पर पहुंच गयी हैं.
अमेरिका से हाेगी एलएनजी, इथेन की खरीद
दो वर्ष पहले भारत ने पहली बार अमेरिका से कच्चे तेल का आयात किया था. 2 अक्तूबर, 2017 को अमेरिकी कच्चे तेल की पहली खेप पारादीप पहुंची.
अक्तूबर, 2017 के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की चार इकाईयों ने 11.84 मिलियन बैरल कच्चे तेल का ऑर्डर दिया है, जिसका मौजूदा बाजार मूल्य लगभग 730 मिलियन डॉलर है.
आठ मिलियन मीट्रिक टन तरल प्राकृतिक गैस यानी एलएनजी (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) और संघनित इथेन (कंडेनसैट इथेन) प्रतिवर्ष अमेरिका से खरीदने का अनुबंध किया है भारतीयकंपनियों ने.
30 मार्च, 2018 को अमेरिका से आनेवाली लंबी अवधि की एलएनजी की पहली खेप भारत ने हासिल की.
फरवरी 2018 तक भारतीय तेल कंपनियों ने ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, कोलंबिया, इंडोनेशिया, इराक, कजाकिस्तान, लीबिया, मोजाम्बिक, नाइजीरिया, रूस और यूएई सहित 27 देशों के शेयर प्राप्त किये थे.
हाल ही में भारतीय संघ, जिसमें ओवीएल, आईओसी और भारत पेट्रोरिसोर्सेस लिमिटेड शामिल हैं, ने यूएई के लोअर जखुम अपतटीय तेल क्षेत्र (ऑफशोर ऑयल फील्ड) में 10 प्रतिशत और आईओसीएल ने आेमान के मखैजना तेल क्षेत्र में 17 प्रतिशत का संग्रहण किया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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