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लघु एवं मंझोली इकाइयों के लिए है खुला अवसर, अपने व्यवसाय को ऐसे दें नयी उड़ान

II ललित त्रिपाठी निदेशक II वेदांत एसेट एडवाइजर्स छोटे और मंझोले उपक्रमों (एसएमई) को स्टॉक एक्सचेंज आइपीओ के माध्यम से पूंजी लाने की सुविधा 2012 से ही दे रहे हैं. इसके तहत बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने बीएसई एसएमई के नाम से और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने एनएसई इमर्ज के नाम से एसएमई प्लेटफॉर्म बनाया है. […]

II ललित त्रिपाठी निदेशक II
वेदांत एसेट एडवाइजर्स
छोटे और मंझोले उपक्रमों (एसएमई) को स्टॉक एक्सचेंज आइपीओ के माध्यम से पूंजी लाने की सुविधा 2012 से ही दे रहे हैं. इसके तहत बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने बीएसई एसएमई के नाम से और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने एनएसई इमर्ज के नाम से एसएमई प्लेटफॉर्म बनाया है.
यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसके द्वारा छोटे व्यवसायी अपने सपनों को साकार करने के लिए बाजार से आवश्यक पूंजी प्राप्त कर सकते हैं. वे अपनी कंपनी का आइपीओ ला सकते हैं और अपने व्यवसाय को ऊंचे मुकाम पर ले जा सकते हैं, जिसमें न सिर्फ कॉरपोरेट गवर्नेंस लाकर, बल्कि अच्छे व कुशल व्यक्तियों को अपने साथ लेकर प्रोफेशनल तरीके से एक प्रतिष्ठित घराने के रूप में विकसित कर सकते हैं.
एसएमई स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग की अनिवार्यता
पिछली ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम शुद्ध वास्तविक संपत्ति (नेट टैंजेबल एसेट) तीन करोड़ होनी चाहिए.
नेटवर्थ न्यूनतम 3 करोड़ रुपये होना चाहिए.
पिछले तीन वित्तीय वर्षों में कम- से-कम दो वर्ष में कंपनी को लाभ होना चाहिए.
पोस्ट इशू पेड अप कैपिटल न्यूनतम 3 करोड़ रुपये का हो.
कंपनी को अनिवार्य रूप से डीमैट शेयर्स में ही ट्रेडिंग सुनिश्चित करना होगा.
कंपनी की अपनी कॉरपोरेट वेबसाइट होनी चाहिए.
पिछले एक वर्ष में कंपनी के प्रमोटर में कोई बदलाव नहीं होनी चाहिए.
इसके अलावा कंपनी को बीआइएफआर में निर्दिष्ट नहीं होना चाहिए और न ही उसे समाप्त करने की याचिका लंबित होनी चाहिए.
सएमई आइपीओ
लिस्टिंग करने की प्रक्रिया
मर्चेंट बैंकर की नियुक्ति : आइपीओ लाने की प्रक्रिया शुरू करने में सबसे पहले एक मर्चेंट बैंकर का चुनाव करना होता है. यह मर्चेंट बैंकर आपकी कंपनी के आइपीओ निकालने से जुड़ी लगभग सभी प्रक्रिया को पूरा करने में आपकी मदद करता है. इसकी पूरी प्रक्रिया इस प्रकार है.
पूंजी में हिस्सेदारी का निर्धारण करना और उससे जुड़ी दस्तावेज तैयार करना
जरूरी विभिन्न लोगों को तय करना जैसे बैंकर, रजिस्ट्रार, मार्केट मेकर आदि
आइपीओ के प्रस्ताव को तैयार करना, दस्तावेज को एक्सचेंज में जमा करना
एक्सचेंज से सहमति प्राप्त करना, आइपीओं को लोगों के लिए खोलने से पहले की पूरी तैयारी करना
आइपीओ की बंदी के बाद शेयरों का अलॉटमेंट करना
स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध और ट्रेडिंग शुरू होना
लगने वाला अनुमानित समय
जरूरी सूचनाएं समयानुसार उपलब्ध होने की स्थिति में आइपीओ लाने की प्रक्रिया को पूरा करने में मरचेंट बैंकर की नियुक्ति के बाद कम से कम तीन से छह महीने लग जाता है.
प्रारंभिक तैयारी करने में : एक सप्ताह
पूंजी का हिस्सेदारी तय करने में : 4-5 सप्ताह
तैयार दस्तावेज को एक्सचेंज में जमा करने में : एक-दो सप्ताह
एक्सचेंज में जांच प्रक्रिया में : दो-तीन सप्ताह
ऑफर डॉक्यूमेंट की तैयारी में : एक-दो सप्ताह
इश्यू की अवधि : तीन दिन (न्यूनतम)
शेयर अलॉटमेंट : दो-तीन सप्ताह
एनएसई इमर्ज
अब तक 100 से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध हैं
कुल मार्केट कैप 7600 करोड़ है
बीएसई एसएमई
अब तक 218 कंपनियां सूचीबद्ध हैं
कुल मार्केट कैप 22736 करोड़ है.
इनमें से 43 कंपनी बड़ी कंपनियों में तब्दील हो चुकी हैं.
एसएमई के लिए सेबी ने मुख्य मानदंड
पब्लिक शेयर होल्डिंग : आइपीओ की कुल पूंजी का 25% (न्यूनतम)
आइपीओ के सबस्क्राइबर (न्यूनतम) : 50 निवेशक
आवेदन की न्यूनतम राशि : एक लाख रुपये
न्यूनतम आइपीओ सीमा : तीन करोड़, अधिकत्तम : 25 करोड़
तीन से छह महीने में ला सकते हैं अपना आइपीओ
निवेशकों को लाभ
एसएमई प्लेटफार्म पर जारी होने वाले आइपीओ में निवेश करनेवालों को 36 प्रतिशत तक का लाभ मिल चुका है.एसएमई प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग के फायदे
छोटी व मंझोली कंपनियों को इक्विटी के माध्ययम से बाजार से पूंजी उठाने और अपने व्यवसाय को विकसित करने का मौका मिलता है.
निवेशकों की संख्या में बढ़ोतरी होती है जिससे भविष्य में सेकेंडरी फाइनेंसिंग के रास्ते खुल जाते हैं.
बड़े पैमाने पर कंपनी का प्रचार प्रसार होता है, विजिबिलिटी बढ़ती है.
कंपनी के कर्मचारियों को इंसेंटिव के तौर पर स्टॉक ऑप्शन मुहैया कराने से उनका मनोबल बढ़ता है और छोटी कंपनी भी टैलेंटेड लोगों को बाहर से बुला कर जोड़ सकती हैं.
कैपिटल मार्किट रिस्क ट्रांसफर का एक बेहतरीन प्लेटफार्म है जो रिस्क डिस्ट्रीब्यूशन को कुशलता से अंजाम दे सकता है.पूंजी बढ़ना (वेल्थ मैक्सिमाइजेशन) : कंपनी की संपत्ति में इजाफा होता है.
कॉरपोरेट गवर्नोंस को बढ़ावा : एक व्यक्ति पर कंपनी आश्रित नहीं रहती है और बाहर से अच्छे टैलेंट को साथ जोड़ने का मौका मिलता है.
ट्रेडिशनल से प्रोफेशनल एप्रोच : कंपनी किसी एक परिवार पर निर्भर नहीं करता. ट्रेडिशनल के बजाय उसमें प्रोफेशनल एप्रोच बढ़ जाता है.
अन्य लाभ : बेहतर कर्मचारियों को बनाये रखने में सुविधा, व्यवसाय से जुड़े लोगों को आराम.
मेन बोर्ड में प्रवेश का मौका : दो साल के लिस्टिंग के बाद जब कंपनी का पेड अप कैपिटल 10 करोड का हो, तो उसे मेन बोर्ड (सीधे स्टॉक एक्सचेंज) में सूचीबद्ध होने का अवसर मिल जाता है. इसके लिए न्यूनतम 500 शेयर होल्डर होने चाहिए.
निवेशकों को लाभ : अच्छे एसएमई के प्रारंभिक दौर में निवेश का अवसर उपलब्ध होता है. जारी आंकडों के मुताबित एसएमई ने अपने निवेशकों को औसतन 36 प्रतिशत का लाभ दिया है.

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