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पुनर्वास में अहम भूमिका निभा रहीं आधुनिक संचार सेवाएं

दुनियाभर में अनेक कारणों से पिछले वर्ष लगभग 6.56 करोड़ लोगों को जबरन अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा. दुर्भाग्यवश यह संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2000 से 2016 के बीच दुनियाभर में करीब 3.5 अरब लोग प्राकृतिक आपदाओं और मानव जनित त्रासदियों की चपेट में आये थे. विस्थापितों की जिंदगी को दोबारा पटरी […]

दुनियाभर में अनेक कारणों से पिछले वर्ष लगभग 6.56 करोड़ लोगों को जबरन अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा. दुर्भाग्यवश यह संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2000 से 2016 के बीच दुनियाभर में करीब 3.5 अरब लोग प्राकृतिक आपदाओं और मानव जनित त्रासदियों की चपेट में आये थे. विस्थापितों की जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने और वांछित आपदाओं से कारगर तरीके से निपटने के लिए स्थायी समाधान खोजने की प्रक्रिया जारी है़ आधुनिक मोबाइल तकनीकें आपात स्थितियों से निपटने में प्रभावी भूिमका निभा रही हैं
इससे न केवल आपदा में फंसी बड़ी आबादी से संपर्क साधने और सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित कराने में आसानी हो रही है, बल्कि जोखिम को कम करने के नये-नये रास्ते भी खुल रहे हैं़ बिहार के बड़े इलाके में आयी बाढ़ में भी लोगों तक पहुंचने में मोबाइल तकनीक का व्यापक योगदान देखा गया. आज के साइंस टेक में हम मोबाइल टेक्नोलॉजी के उन पांच तरीकों का जिक्र कर रहे हैं, जिनके जरिये इन बाधाओं को दूर करने में व्यापक कामयाबी हासिल हो रही …
बुनियादी ढांचे से सक्षम संचार
जैसे-जैसे मोबाइल उद्योग का दायरा बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे दुनिया के सभी हिस्सों तक इसका कवरेज बढ़ता जा रहा है. मौजूदा समय में संचार के इस साधन के जरिये पांच अरब से अधिक आबादी को यह सेवा मुहैया करायी जा रही है. अब तक कई बार ऐसा देखा गया है कि आपदा के समय मोबाइल नेटवर्क कई बार कारोबारी घाटे की परवाह किये बिना ग्राहकों के लिए बेहतर संचार सेवाएं मुहैया कराने पर जोर देते हैं.
वर्ष 2015 में नेपाल में आये भूकंप और वर्ष 2016 में इटली में आये भूकंप समेत मध्यपूर्व व यूरोप में शरणार्थी समस्याओं के दौर में इसकी भूमिका बेहद सराहनीय रही है. मानवजनित शरणार्थी समस्याओं और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान ‘बेसिक टेक्स्ट मैसेज’ या फोन कॉल ने बड़ी आबादी को बचाने में व्यापक योगदान दिया है. नेपाल समेत दुनिया के कई देशाें में ‘अर्ली वॉर्निंग सिस्टम’ तक विकसित किया गया है, ताकि विविध प्रकार के जोखिम में रहनेवाले समुदायों को एसएमएस आदि के माध्यम से समय रहते सतर्क किया जा सके.
डिजिटल कैश ट्रांसफर
आपदा के समय मानवतावादी संगठन पीड़ितों तक राहत और मदद पहुंचाने के लिए नयी और सक्षम तकनीकों की तलाश करते रहते हैं. मोबाइल मनी के इस्तेमाल से डिजिटल कैश ट्रांसफर की तकनीक को उल्लेखनीय रूप से सक्षम पाया गया है. जीएसएमए द्वारा मुहैया कराये गये आंकड़े दर्शाते हैं कि कम-से-कम 19 देशों में बैंक खातों से अधिक मोबाइल मनी खाते हैं, जबकि 37 देशों में रजिस्टर्ड मोबाइल मनी एजेंट्स की संख्या बैंक शाखाओं के मुकाबले 10 गुना ज्यादा हैं.
मानवतावादी संदर्भ में मोबाइल मनी का इस्तेमाल नकदी हस्तांतरण के लिहाज से व्यापक भौगाेलिक दायरे में सक्षम हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय बचाव समितियों ने इन्हीं तकनीकों के जरिये युगांडा समेत अफ्रीका के कई देशों में शरणार्थियों तक मदद मुहैया कराने में कामयाबी पायी है.
पहचान मुहैया कराना आसान
मानवीय समुदाय के लिए पहचान और लाभार्थियों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को सुधारने पर तेजी से जोर दिया जा रहा है. मोबाइल और डिजिटल तकनीकों के जरिये यह काम बेहद दक्षता के साथ किया जा सकता है, बल्कि किया जा रहा है. संकट में यह प्रक्रिया बहुत काम आती है. उदाहरण के तौर पर बिना पुख्ता पहचान के किसी शरणार्थी को अंतरराष्ट्रीय सीमाएं पार करने में बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
उसके कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता बाधित हो सकती है और वित्तीय सेवाओं के अलावा शिक्षा या स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाएं तक हासिल करने में उसे बेहद कठिनाई आ सकती है.
माेबाइल तकनीक की पहुंच और अन्य संबंधित तकनीकी इनोवेशंस का मतलब यह है कि डिजिटल पहचान के जरिये आपदा-प्रभावित आबादी की निजता कायम रखते हुए उनकी समस्याओं का समाधान मुहैया कराया जा सकता है. कई देशों में विविध एप के जरिये इन कार्यों को अनेक बार अंजाम दिया जा चुका है.
सेवाओं तक व्यापक रूप से पहुंच
मोबाइल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल उन लाखों लोगों के लिए ऊर्जा, पानी और स्वच्छता तक पहुंच में सुधार करने के लिए किया जा रहा है, जहां पारंपरिक ‘ग्रिड’ का विस्तार नहीं हो पाया है, लेकिन वे इलाके मोबाइल नेटवर्क कवरेज के दायरे में आते हैं. एनर्जी सेक्टर एक उभरता हुआ बाजार है, जिसमें पिछले चार वर्षों के दौरान 360 मिलियन डॉलर का निवेश हुआ है.
प्राइवेट सेक्टर के लिए यह नये कारोबारी मौके मुहैया करा रहा है और इन सुविधाओं से वंचित करीब पांच लाख लोगों को जीवन स्तर को उन्नत किया जा रहा है. दुनिया के कई देशों में निजी कंपनियां लोगों को लीज पर सोलर होम सिस्टम मुहैया करा रही हैं, और मोबाइल मनी के जरिये इन्हें भुगतान किया जा रहा है. शरणार्थी शिविरों में एयर टाइम और स्क्रैच कार्ड्स इस लिहाज से अहम भूमिका निभा रहे हैं.
शरणार्थियों के लिए बन रही मददगार
मोबाइल फोन तक बेसिक पहुंच होने से किसी चीज को चुनने और गरिमा की दशा में वृद्धि हो सकती है, खासकर अनिश्चित और दीर्घकालीन विस्थापन की दशा में इसकी महत्ता बढ़ जाती है. सूचना ही ताकत है, और रीयल टाइम में सूचना नेटवर्क तक लोगों को संपर्क मुहैया कराने की मोबाइल टेक्नोलॉजी की क्षमता अपनेआप में अद्भुत है.
ऐसे समय में मोबाइल तकनीक के जरिये पीड़ित समुदायों को स्थानीय स्तर पर मानवीय सेवाएं उपलब्ध करानेवाले संगठनों से जोड़ने और उनसे तालमेल कायम रखने की दिशा में संचार के बेहतर इंतजाम ज्यादा कारगर साबित होते हैं. मोबाइल मनी आधारित ह्यूमैनिटेरियन कैश ट्रांसफर्स के जरिये लाभार्थियों तक उनकी जरूरत की सेवाओं और उत्पादों को पहुंचाने में आसानी हो सकती है.
संकट से प्रभावित लोगों के जीवन को पटरी पर लाने के लिए मोबाइल तकनीक की संभावनाओं को भी कम करके आंका नहीं जाना चाहिए. इस संबंध में हाल ही में तंजानिया में शरणार्थियों पर की गयी एक रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि शरणार्थी शिविरों में रहने के दौरान इन्होंने मोबाइल फोन का इस्तेमाल न केवल अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से संपर्क में रहने के लिए किया, बल्कि रकम हस्तांतरण से लेकर शिक्षा तक पहुंच बनाये रखने समेत रोजमर्रा की अनेक जरूरी चीजों के निबटाने में किया. रिपोर्ट बताती है कि 65 फीसदी मोबाइल इंटरनेट यूजर्स ने समाचार और सूचना के लिए सर्च किया, जकि 35 फीसदी ने इसका इस्तेमाल मनोरंजन के लिए किया.

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