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इस बार गर्मी में पानी की होगी किल्लत ? टैंकर के लिए भी करना होगा लंबा इंतजार

पानी ऐसी जरूरत जिसकी कमी की कल्पना भी हम सभी को डरा देती है. देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां पानी की परेशानी होती है. झारखंड भी उन राज्यों में एक बन रहा है जहां पानी की समस्या एक बड़ी परेशानी के रूप में खड़ी है.

पानी ऐसी जरूरत जिसकी कमी की कल्पना भी हम सभी को डरा देती है. देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां पानी की परेशानी होती है. झारखंड भी उन राज्यों में एक बन रहा है जहां पानी की समस्या एक बड़ी परेशानी के रूप में खड़ी है. गर्मी आने वाली है, पानी की परेशानियों पर खूब बात होगी. कहां – कहां किल्लत है इस पर चर्चा होगी लेकिन हम तैयार कितने है. हम कितने तैयार है इन परेशानियों से लड़ने के लिए.

गर्मियों पर टैंकर पर निर्भर होते हैं

झारखंड की राजधानी रांची में कई इलाके ऐसे हैं जो पूरी तरह गर्मियों पर टैंकर पर निर्भर होते हैं. टैंकर से पानी लेने के लिए लंबी कतार और लंबा इंतजार होता है. नगर निगम परिषद की बैठक में 30 पानी का टैंकर खरीदने का निर्णय लिया गया था. इसके लिए टेंडर भी निकला,लेकिन मेयर-नगर आयुक्त के बीच विवाद बढ़ने पर टैंकर की खरीदारी नहीं हुई. टैंकर खरीदारी व बारेवेल लगाने के लिए नगर विकास विभाग से 19 करोड़ रुपए मांगने का प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन पैसे नहीं मिले जाहिर है इस बार फिर एक बार फिर पानी की समस्या होगी.

झारखंड के सिर्फ शहरी इलाके में 20% रेन वाटर हार्वेस्टिंग

एक आंकड़े के अनुसार पूरे झारखंड के सिर्फ शहरी इलाके में 20% रेन वाटर हार्वेस्टिंग हो रहा है.अगर शहरी इलाके में यह आंकड़ा 98% पहुंच जाए तो 354 अरब लीटर पानी बचा लेंगे, जो हमारी शहरी जरूरत पूरा कर सकता है. 24% शहरी आबादी में 20% मकानों में हार्वेस्टिंग के अनुसार लगभग 2.40 लाख घरों में यह सिस्टम है.

98% घरों में हार्वेस्टिंग से आपूर्ति हो सकती है

अनुमान के मुताबिक 100 वर्ग मी. छत वाले घर से 3 लाख लीटर पानी प्रति वर्ष हार्वेस्टिंग से बचता है। ऐसे में 2.40 लाख घरों से 72 अरब लीटर पानी बच रहा है. तब शहरी आबादी को 354 अरब लीटर पानी चाहिए. जो कि 98% घरों में हार्वेस्टिंग से आपूर्ति हो सकती है। अगर सभी 100% शहरी घरों में हार्वेस्टिग कर दें तो जरूरत के बाद भी 6 अरब ली. पानी बच जाएगाय सिर्फ और सिर्फ शहरी जरूरत हमारी हार्वेस्टिंग से ही हो जाएगी .

प्रमुख नदियों की क्या है स्थिति 

राज्य की दो सबसे बड़ी नदियों सुवर्णरेखा और दामोदर नदी से अब और पानी की उम्मीद नहीं की जा सकती. झारखंड की सभी प्रमुख नदी बेसिनों की बात करें तो इनमें सुवर्णरेखा, खरकाई, दामोदर और उसकी सहायक नदी बराकर, उत्तर कोयल, दक्षिण कोयल, गुमानी, अजय मयूरकाक्षी प्रमुख हैं. दामोदर से उद्योगों को अधिकतम 721 एमसीएम पानी मुहैया कराया जा सकता है, जबकि 304 एमसीएम पानी पूर्व में ही आवंटित किया जा चुका है

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