26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

यूपी चुनाव: अब छठा द्वार भेदने की जंग, पढें कुछ प्रमुख सीटों का हाल

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के छठे चरण में चार मार्च को सात जिलों की 49 सीटों के लिए मतदान होगा. इस चरण में मतदान के साथ ही 362 विधान सभा सीटों पर चुनाव संपन्न हो जायेगा. छठे चरण में जिन 49 सीटों पर मतदान होना है, उसमें 2012 के चुनावों में सपा […]

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के छठे चरण में चार मार्च को सात जिलों की 49 सीटों के लिए मतदान होगा. इस चरण में मतदान के साथ ही 362 विधान सभा सीटों पर चुनाव संपन्न हो जायेगा. छठे चरण में जिन 49 सीटों पर मतदान होना है, उसमें 2012 के चुनावों में सपा को 27, बसपा को नौ, भाजपा को सात, कांग्रेस को चार सीटें मिली थीं. इसके अलावा एनसीपी और कौमी एकता दल को दो-दो सीटें मिली थीं.

छठे चरण के जिन जिलों में चुनाव हो रहा है, उनमें कई जिलों की सीमा बिहार से सटी है. इसलिए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद भी कांग्रेस-सपा गंठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार के लिए उतरे हैं. इस चरण में ही भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ वाली विधान सभा सीटों पर भी मतदान होगा. योगी तो चुनाव में पूरी ताकत लगाये हैं, लेकिन मुलायम प्रचार से पूरी तरह दूर हैं.

छठे चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की विधान सभा सीटों पर भले ही मतदान नहीं होना है, फिर भी इस चरण में वाराणसी से सटे जिलों में चुनाव होने के कारण विरोधी इसे पीएम की प्रतिष्ठा से जोड़ रहे हैं. इसी चरण में मुसलिम बाहुल्य मऊ, आजमगढ़ और महराजगंज जैसे जिलों में भाजपा के सामने खाता खोलने की चुनौती है. 2012 के चुनाव में भाजपा का इन जिलों में खाता तक नहीं खुला था. 2012 में आजमगढ़ की 10 विधान सभा सीटों में सपा ने नौ सीटों पर कब्जा जमाया था, तो 2014 में मोदी लहर के बाद भी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव यहां से लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे थे.

इस बार मुलायम सिंह चुनावी समर से बाहर हैं. इससे होनेवाले नुकसान की भरपाई करना सपा के लिए बड़ी चुनौती है. बसपा को सिर्फ नौ सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

चुनावी चक्रव्यूह: इन सीटों पर सबकी नजर

पडरौना : स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा का चेहरा

कुशीनगर जिले की पडरौना सीट पर स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार भाजपा प्रत्याशी हैं. पिछली बार वह बसपा से चुनाव जीते थे. बसपा ने उन्हें विधानसभा में नेता विरोधी दल बनाया था. चुनाव से पहले वह बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये. उनके सामने कांग्रेस से शिवकुमारी देवी और बसपा से जावेद इकबाल चुनाव मैदान में हैं.

पथरदेवा : शाही और शाकिर आमने-सामने

देवरिया की पत्थरदेवा सीट पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही का मुकाबला सपा के शाकिर अली से है. शाकिर ने 2012 के विधानसभा चुनाव में शाही को हराया था. बसपा ने नीरज को चुनाव मैदान में उतारा है. देवरिया केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र का संसदीय क्षेत्र है.

फूलपुर पवई: पूर्व सीएम-पूर्व सांसद के बेटे आमने-सामने

आजमगढ़ की इस सीट पर पूर्व सांसद रमाकांत यादव के बेटे अरुण कुमार यादव भाजपा से और पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव के बेटे श्याम बहादुर सिंह यादव सपा से मैदान में हैं. रामनरेश, मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके थे. कुछ माह पहले ही उनका निधन हो गया. बसपा ने अब्दुल कैस आजमी को प्रत्याशी बनाया है.

फेफना : तिकोनी जंग में फंसे अंबिका चौधरीसपा छोड़कर बसपा में शामिल होने वाले पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी बलिया जिले की इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वह 2012 में यहां भाजपा के उपेंद्र तिवारी से चुनाव हार गये थे. दोनों फिर आमने-सामने हैं. सपा ने पूर्व जिलाध्यक्ष संग्राम सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है.

बलिया नगर : नारद का इम्तिहान

बलिया नगर से सपा सरकार के पूर्व मंत्री नारद राय बसपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. सपा ने उनके प्रतिद्वंद्वी रहे लक्ष्मण को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने आनंद को टिकट दिया है.

मऊ : जेल से लड़ रहा माफिया मुख्तार

मऊ सीट पर माफिया मुख्तार अंसारी बसपा से चुनाव मैदान में है. वह पूर्व विधायक कृष्णानंद हत्याकांड में जेल में बंद है. यहां सपा से अल्ताफ अंसारी और सुहेलदेव भासपा से महेंद्र राजभर प्रत्याशी हैं.

नौतनवां : अमनमणि निर्दल लड़ रहा

कांग्रेस के विधायक कुंवर कौशल किशोर सिंह इस बार सपा के टिकट पर हैं. उनके सामने भाजपा के समीर त्रिपाठी और बसपा के एजाज अहमद के साथ ही पत्नी की हत्या का आरोपी अमनमणि त्रिपाठी निर्दलीय मैदान में है.

मायावती को मुख्तार अंसारी पर भरोसा

इस क्षेत्र में अपनी स्थिति सुधारने के लिए ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने उस बाहुबली मुख्तार अंसारी तक को ‘गले’ लगाने से परहेज नहीं किया, जिसको सपा में शामिल करने को लेकर समाजवादी परिवार दो फाड़ हो गया था. माया को उम्मीद है कि मुख्तार के सहारे वह मुसलिम वोटरों को अपने पाले में ला सकती हैं, लेकिन मुख्तार को (जो मऊ विधान सभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं) को प्रचार के लिए अदालत से पैरोल नहीं मिलने से बसपा के मंसूबों पर ग्रहण लग सकता है. इस बार मुख्तार के साथ उनका बेटा अब्बास अंसारी भी बसपा के टिकट पर मऊ जिले की घोषी सीट से चुनाव लड़ रहा है. मुख्तार ने पिछला चुनाव कौमी एकता दल के टिकट से जीता था. मुख्तार के लिए यह चुनाव काफी चुनौती भरा माना जा रहा है.

देवरिया में भाजपा की ब्राह्मणों पर नजर

कभी कांग्रेस का गढ़ रही देवरिया संसदीय क्षेत्र की सीटों पर भी छठे चरण में मतदान होना है. देवरिया से 2014 में भाजपा का ब्रहमण चेहरा समझे जाने वाले कलराज मिश्र लोकसभा चुनाव जीते थे और इस वजह से उनकी प्रतिष्ठा भी यहां से जुड़ी है. यह चक्र उनकी कड़ी परीक्षा लेगा. भाजपा ने कलराज मिश्रा से ब्राह्मण बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में खूब प्रचार कराया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें