वाशिंगटन : एक अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा है कि भारत की खरीदने की क्षमता एवं भूराजनैतिक प्रभाव बढ़ रहा है, ऐसे में हाई टेक रक्षा सामग्री की खरीदारी के संबंध में पाकिस्तान पर विश्व में अलग-थलग पड़ने का खतरा मंडरा रहा है. ‘स्टिम्सन सेंटर’ ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘पाकिस्तान लंबी अवधि में वैश्विक बाजार में सबसे अत्याधुनिक हथियार प्रणाली तक पहुंच बनाने में शायद सक्षम नहीं रहेगा, बल्कि उसके पास चीन और संभवत: रूस की सैन्य प्रणाली पर निर्भर रहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा, जो पाकिस्तान की रक्षा आवश्यकताओं के लिए उचित हो भी सकता या नहीं भी हो सकता है.’
‘मिलिटरी बजट्स इन इंडिया एंड पाकिस्तान : ट्रैजेक्टरीज, प्रायोरिटीज एवं रिस्क्स’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत की खरीदारी की बढ़ती क्षमता एवं बढ़ते भूराजनैतिक प्रभाव के कारण उच्च प्रोद्यौगिकी तक पाकिस्तान की पहुंच बाधित हो सकती है.’ अमेरिकी सैन्य सहायता वर्ष 2002 से लेकर 2015 के बीच पाकिस्तान के रक्षा खर्च का 21 प्रतिशत थी जिसकी मदद से पाकिस्तान ने अपने संघीय बजट एवं समग्र अर्थव्यवस्था पर भार को कम करते हुए अपनी सैन्य खरीदारी के उच्च स्तरों को बनाये रखा.
इसमें कहा गया है, ‘पाकिस्तान को लंबी अवधि में महंगी हथियार प्रणालियां खरीदने संबंधी मुश्किल चयन तब तक करना होगा जब तक उसे ये रियायती दरों पर नहीं मिलती हैं.’ रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की ओर से वित्तीय एवं सैन्य सहयोग में ‘लगभग निश्चित गिरावट’ के कारण पाकिस्तान को अपनी रक्षा खरीदारी के बड़े हिस्से का भार उठाना पड़ेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि सैन्य खरीदारी के मामले में पाकिस्तान भारत के साथ मुकाबला नहीं कर सकता और इसी लिए वह परमाणु हथियारों में खर्च बढ़ा सकता है.
हालांकि उसने चेतावनी दी कि पारंपरिक क्षमताओं की कीमत पर परमाणु हथियारों में निवेश से पाकिस्तान की देश के भीतर आतंकवाद संबंधी चुनौतियों से निपटने की क्षमता कमजोर होगी. इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान लंबी अवधि में भारत से पारंपरिक रूप से मुकाबला नहीं कर सकता और ऐसा करने की कोई भी कोशिश उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर कर देगी. इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान का रक्षा बजट आधिकारिक अनुमानों से अधिक है.
रिपोर्ट के अनुसार ‘हालांकि पाकिस्तान ने हालिया वर्षों में अपने रक्षा खर्च में पारदर्शिता बढाई है लेकिन देश के रक्षा दस्तावेज उत्तर देने के बजाए और अधिक प्रश्न खड़े कर देते हैं.’ भारत परमाणु हथियारों पर अपने रक्षा बजट का कम से कम चार प्रतिशत खर्च करता है जबकि पाकिस्तान अपने सैन्य बजट का कम से कम 10 प्रतिशत परमाणु हथियारों पर खर्च करता है. इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान वर्ष 2016 में परमाणु हथियारों पर 74 करोड़ 70 लाख डालर खर्च करेगा और भारत इस पर एक अरब 90 करोड़ डॉलर खर्च करेगा.