रियो डि जिनेरियो : फर्राटा किंग उसेन बोल्ट और महान तैराक माइकल फेल्प्स के ढेरों ओलंपिक स्वर्ण पदकों ने ओलंपिक का पूरा परिदृश्य बदल दिया और खेलों के महाकुंभ में उनकी आखिरी भागीदारी के बाद ओलंपिक में एक बड़ा सूनापन आ जाएगा.
अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुख थॉमस बाक ने दोनों खिलाडियों को ‘‘महानायक” बताया है लेकिन 31वें ओलंपिक खेल खत्म होने के बाद वह सोचेंगे कि इस सूनेपन को कैसा भरा जाए. 30 साल के बोल्ट ने नौ जबकि 31 साल के फेल्प्स ने 23 स्वर्ण पदक जीते हैं.
बाक ने कल कहा, ‘‘हमने ऐसे खिलाड़ी देखे हैं जो यहां आने से पहले ही महानायक बन गए थे, जिन्होंने महानायकों के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत की जैसे कि माइकल फेल्प्स और उसेन बोल्ट.” दोनों ने ओलंपिक में पहली बार हिस्सा लेने के बाद से लगातार अपना प्रदर्शन बेहतर किया. 15 साल के फेल्प्स ने पहली बार 2000 के सिडनी ओलंपिक में 200 मीटर में हिस्सा लिया था जबकि 17 साल के बोल्ट 2004 के एथेंस ओलंपिक में 200 मीटर की अपनी हीट में पांचवें स्थान पर रहे थे.
लेकिन एथेंस ओलंपिक में फेल्प्स ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए छह स्वर्ण एवं दो कांस्य पदक जीतकर मार्क स्प्ट्जि के सात खिताबों के रिकार्ड को चुनौती दी थी. 2008 के बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने तैराकी की अपनी सभी आठ प्रतिस्पर्धाओं में आठ स्वर्ण जीतकर इतिहास रच दिया जबकि बोल्ट ने वहां 100 मीटर, 200 मीटर और चार गुणा 100 मीटर दौड़ स्पर्धाओं में स्वर्ण जीतकर बर्ड्स नेस्ट स्टेडियम में दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया.
2012 के लंदन ओलंपिक में बोल्ट ने फिर से तीनों स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीता जबकि फेल्प्स ने अपने खाते में चार और स्वर्ण जोड़े. रियो में पांच स्वर्ण जीतकर अमेरिकी तैराक ने 23 स्वर्ण सहित अपने पदकों की कुल संख्या 28 कर ली जबकि बोल्ट ने फिर से तीन स्पर्धाओं का स्वर्ण जीत लिया. बोल्ट के नाम नौ ओलंपिक स्वर्ण हैं.
तमाम उपलब्धियों की वजह से ही बोल्ट ने अब कहा है, ‘‘मैंने दुनिया को साबित कर दिया कि मैं महानतम हूं.” वहीं फेल्प्स ने कहा, ‘‘एक बच्चे के तौर पर मैंने अपने लिए एक ऐसा लक्ष्य तय किया था जिसे पहले कोई हासिल नहीं कर पाया. अब मैं अपने करियर पर नजर जमाउं तो कह सकता हूं कि मैंने ऐसा कर दिखाया.”