वाशिंगटन : अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि लंबे समय से चले आ रहे आर्थिक विवाद को निपटाने के लिए अमेरिका ने ईरान को जो 40 करोड डॉलर की राशि दी थी, उसका ‘लाभ’ अमेरिकी कैदियों को रिहा करने में उठाया गया. यद्यपि रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रंप के प्रचार अभियान में दावा किया गया कि यह कुछ और नहीं बल्कि ‘फिरौती’ थी. रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और ट्रंप अभियान ने इस बयान का राजनीतिक लाभ लेने में ज्यादा देर न करते हुए तुरंत ही दावा किया कि यह राशि कुछ और नहीं बल्कि फिरौती का भुगतान था और यह बात अंतत: ओबामा प्रशासन ने स्वीकार कर ली है. इसके बारे में वॉल स्टरीट जनरल की खबर के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी कल कहा, ‘जब तक कैदियों को रिहा नहीं किया गया, तब तक 40 करोड डॉलर का भुगतान नहीं किया गया. मैं इसे नकार नहीं रहा.’
उन्होंने कहा, ‘हमने लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को लगभग एकसाथ निपटाने के लिए जानबूझकर उस मौके का फायदा उठाया. यह बात पहले से ही सार्वजनिक है कि हमने उसी अवधि में ईरान को उसके वह 40 करोड डॉलर लौटाए, जो हेग के निपटान समझौते का हिस्सा थे.’ किर्बी ने कहा कि ईमानदारी से कहूं तो ईरान और अमेरिका के बीच आपसी अविश्वास के कारण, ऐसी चिंताएं थीं कि ईरान कैदियों की रिहाई के मुद्दे पर मुकर सकता है. ऐसे में हम अमेरिकी नागरिकों की रिहाई तक ज्यादा से ज्यादा लाभ की स्थिति अपने पक्ष में रखना चाहते थे.
हालांकि रिपब्लिकन उम्मीदवार ने नॉर्थ कैरोलीना स्थित एक चुनावी रैली में कहा, ‘विदेश मंत्रालय की घोषणा के जरिए अब हम जानते हैं कि राष्ट्रपति ओबामा ने ईरान को नकद के रूप में दिए गए 40 करोड डॉलर के बारे में झूठ बोला था. उन्होंने इस बात से इंकार किया था कि यह राशि बंधकों के लिए थी. लेकिन वास्तव में यह उनके लिए ही थी.’ ट्रंप ने कहा, ‘उन्होंने कहा कि हम फिरौती नहीं देते लेकिन उन्होंने दी.
उन्होंने खुले तौर बंधकों के बारे में झूठ बोला, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने ओबामाकेयर के बारे में झूठ बोला. अब प्रशासन ने हमारे सैन्यकर्मियों समेत, विदेश जाने वाले हर अमेरिकी यात्री के सिर पर अपहरण का खतरा पैदा कर दिया है. हिलेरी क्लिंटन राष्ट्रपति ओबामा की ईरान नीति का अनुसरण करती हैं. यह एक और ऐसी वजह है कि उन्हें कभी राष्ट्रपति बनने नहीं दिया जा सकता.’