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क्या था नमक सत्याग्रह

नमक सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा चलाये गये प्रमुख आंदोलनों में से एक था. 12 मार्च, 1930 में बापू ने अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था. उन्होंने यह मार्च नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ निकाला था. अहिंसा के साथ शुरू हुआ यह […]

नमक सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा चलाये गये प्रमुख आंदोलनों में से एक था. 12 मार्च, 1930 में बापू ने अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था. उन्होंने यह मार्च नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ निकाला था. अहिंसा के साथ शुरू हुआ यह मार्च ब्रिटिश राज के खिलाफ बगावत का बिगुल बन कर उभरा. उस दौर में ब्रिटिश हुकूमत ने चाय, कपड़ा, यहां तक कि नमक जैसी चीजों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर रखा था. उस समय भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था. हमारे पूर्वजों को इंगलैंड से आनेवाले नमक के लिए कई गुना ज्यादा पैसे देने होते थे. बापू के इस सत्याग्रह को दांडी मार्च के नाम से भी जाना गया.

सत्याग्रह के लिए नमक क्यों

जब गांधीजी ने इस आंदोलन को लेकर सहयोगियों को अपनी योजना बतायी, तो उनके घनिष्ठ और सहयोगी भी पूरी तरह असहमत थे. सभी का कहना था कि आखिर सत्याग्रह के लिए नमक ही क्यों? कई नेताओं का मानना था कि नमक कर का मुद्दा उतना महत्वपूर्ण नहीं है और इसकी वजह से अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे पूर्ण स्वराज से लोगों का ध्यान भटक जायेगा. लेकिन, उनकी आशंकाएं तब समाप्त हो गयी, जब आमलोगों द्वारा जगह-जगह दांडी मार्च का स्वागत किया गया. नमक गांधीजी के लिए बड़ा प्रतीक सिद्ध हुआ. चूंकि नमक मानव के भोजन का महत्वपूर्ण और आधारभूत हिस्सा है, अतः नमक कर के मुद्दे को उठा कर गांधी जी ने हुकूमत की निर्दयता को उजागर कर दिया.

अनोखा था यह सत्याग्रह

दांडी मार्च करनेवाले लोगों के हाथ में एक भी तख्ती या झंडा तक नहीं था. यह मार्च लोगों को जागरूक करने का एक सशक्त माध्यम बना. गांधीजी की इस यात्रा को प्रेस का भी बड़ा कवरेज मिला, जिसने पूरे देश में आजादी की लहर उठा दी. इस सत्याग्रह ने अंगरेजी सरकार को हिला कर रख दिया था और दुनिया में उत्सुकता जगा दी थी. गांधीजी के बाद पूरे देश में लोगों ने नमक बनाना शुरू कर दिया. इस दौरान गांधीजी की गिरफ्तारी ने लोगों को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया. इसके बाद आनेवाले महीनों में जम कर गिरफ्तारी की गयी.

पूरे देश को कर दिया था एकजुट

भारतीय समुद्री तटों पर नमक आसानी से बनाया जा सकता था, लेकिन किसी भी भारतीय को नमक बनाने की इजाजत नहीं थी. इस मुद्दे ने पूरे देश में जाति, राज्य, नस्ल और भाषा की सभी दीवारें तोड़ दीं. यह उन भारतीय महिलाओं के लिए भी एक शक्तिशाली मुद्दा था, जो अपने परिवार का पेट भरने के लिए संघर्ष कर रही थी. गांधीजी के नेतृत्व में 240 मील लंबी यात्रा दांडी स्थित समुद्र किनारे पहुंची, जहां उन्होंने सार्वजनिक रूप से नमक बना कर नमक कानून तोड़ा था- इस दौरान उन्होंने समुद्र किनारे से खिली धूप के बीच प्राकृतिक नमक उठा कर उसका क्रिस्टलीकरण कर नमक बनाया. उनके साथ 79 अनुयायियों ने भी यात्रा की थी, जिनकी प्रगति देख कर भारतीयों ने अरब सागर के तट पर दांडी तक के रास्ते में उनका पूरा उत्साहवर्धन किया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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