ग्रामीण इलाकों में रहनेवाली 93 प्रतिशत से अधिक बच्चियां आज भी खुले में शौच करने को विवश 15 से 19 आयु वर्ग की 67.2 प्रतिशत बच्चियां एनिमिया से ग्रसित बालकों की तुलना में बालिकाओं की साक्षरता दर 56.2 प्रतिशत बालिकाओं के लिए चलायी जानेवाली विभिन्न योजनाओं में झारखंड राष्ट्रीय मानकों में पीछे बिहार, राजस्थान के बाद सबसे अधिक बाल विवाह झारखंड में 65 प्रतिशत बालिकाएं बुनियादी शिक्षा भी पूरी नहीं कर पा रहीं
रांची: 24 जनवरी राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है. झारखंड में भी इस दिवस को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. झारखंड में 18 वर्ष से कम आयु वर्ग की बालिकाओं की कुल आबादी 65 लाख है, जबकि छह वर्ष तक की बच्चियों की संख्या 26.9 लाख है. ये आंकड़े जनगणना 2011 के हैं. यूनिसेफ का कहना है कि झारखंड में बालिकाओं की स्थिति ठीक नहीं है. प्रत्येक वर्ष 35 हजार लड़कियों, बच्चियों की मानव तस्करी झारखंड से हो रही है. यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख जॉब जकारिया ने इसको लेकर एक व्यापक नीति और कानून बनाने की मांग भी कई प्लेटफार्म पर की है.
राज्य में 18 वर्ष तक की बालिकाओं के लिए शिक्षा सुनिश्चित कराना, उनकी क्षमता को विकसित करने, रोजगार के अवसर पैदा करने, गरीब परिवारों के लिए अवसरों में वृद्धि और मानव तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी आवश्यकता है. यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में रहनेवाली 93 प्रतिशत से अधिक बच्चियां आज भी खुले में शौच करती हैं. खुले में शौच से बालिकाओं में संक्रमण, बीमारी और कुपोषण का खतरा भी बना रहता है. राज्य में वैसे भी 15 से 19 आयु वर्ग की 67.2 प्रतिशत बच्चियां एनिमिया से ग्रसित हैं. इतना ही नहीं बालकों की तुलना में बालिकाओं की साक्षरता दर 56.2 प्रतिशत है, जबकि बालकों में शिक्षा की दर 78.5 फीसदी है. बालिकाओं के लिए चलायी जानेवाली विभिन्न योजनाओं में झारखंड राष्ट्रीय मानकों में काफी पीछे है.
बाल विवाह बड़ी समस्या : झारखंड में बाल विवाह भी एक गंभीर समस्या है. बिहार, राजस्थान के बाद सबसे अधिक बाल विवाह झारखंड में हो रहा है. राज्य में 48 फीसदी बच्चियों की शादी 18 वर्ष से पहले हो रही है. प्रति वर्ष 3.50 लाख युवतियों का ब्याह झारखंड में होता है, इसमें से 1. 80 लाख बच्चियां बाल विवाह का शिकार हो रही हैं. बाल विवाह निषेध कानून 2006 के अनुसार यह गैर जमानती अपराध है. नेशनल क्राइम रिकार्डस ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ चार मामले ही विभिन्न थानों में दर्ज हैं. यूनिसेफ का कहना है कि इसके लिए पुजारियों, मौलवी, धार्मिक नेताओं को संवेदनशील बनाये जाने की आवश्यकता है.
65 प्रतिशत बच्चियां स्कूली शिक्षा छोड़ रही हैं : राज्य में लड़कियों की शिक्षा पर सरकार अधिक ध्यान नहीं दे रही है. बुनियादी स्कूलों में कक्षा एक से कक्षा आठ में 97 प्रतिशत बच्चियां नामांकित हैं. लेकिन इनकी साक्षरता की दर 55 फीसदी से भी कम है. मानव संसाधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 65 प्रतिशत बालिकाएं अपनी बुनियादी शिक्षा भी पूरी नहीं कर पा रही हैं. कक्षा नौ से कक्षा दस में केवल 25 प्रतिशत और कक्षा 11-12 में मात्र 12 फीसदी लड़कियां ही एडमिशन ले रही हैं. सरकार की ओर से 18 वर्ष तक की बालिकाओं को शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई खास उपाय नहीं किये गये हैं.
बालिकाओं की स्थिति
इंडिकेटर (बालिकाओं के लिए ) झारखंड की स्थिति
18 वर्ष तक की बच्चियों की संख्या 65 लाख
छह वर्ष तक की बच्चियों की संख्या 25.4 लाख
बालिकाओं में साक्षरता दर 56.2 प्रतिशत
बालक-बालिकाओं में लिटरेसी गैप 22.3 प्रतिशत
19 वर्ष तक की बच्चियों में एनिमिया 67.2 प्रतिशत
जन्म लेनेवाली बच्चियों की मौत (एक हजार में) 37
पांच वर्ष से कम आयु की बच्चियों की मौत (एक हजार में) 57
बाल विवाह (18 वर्ष से कम आयु की बच्चियां) 48 प्रतिशत