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आस्ट्रेलिया में त्रिशंकु संसद के आसार, पार्टियों ने शुरू किया समर्थन जुटाना

मेलबर्न : ऑस्ट्रेलिया में त्रिशंकु संसद के आसार बनने के मद्देनजर प्रधानमंत्री मैलकम टर्नबुल और उनके प्रतिद्वंद्वी बिल शार्टेन ने आज निर्दलीय सदस्यों और छोटे दलों से संपर्क किया, जो कांटे की टक्कर वाले चुनावी मुकाबले के बाद ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाने वाले हैं. चुनाव में टर्नबुल नीत सरकार को 2 8 प्रतिशत नुकसान का […]

मेलबर्न : ऑस्ट्रेलिया में त्रिशंकु संसद के आसार बनने के मद्देनजर प्रधानमंत्री मैलकम टर्नबुल और उनके प्रतिद्वंद्वी बिल शार्टेन ने आज निर्दलीय सदस्यों और छोटे दलों से संपर्क किया, जो कांटे की टक्कर वाले चुनावी मुकाबले के बाद ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाने वाले हैं. चुनाव में टर्नबुल नीत सरकार को 2 8 प्रतिशत नुकसान का सामना करना पड़ रहा है और ताजा नतीजे के मुताबिक इसने 65 सीटें जीती हैं जबकि लेबर के खाते में 67 सीटें गयी हैं. वहीं, 13 सीटों पर स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है.

मतगणना मंगलवार को फिर से शुरू होगी. हालांकि, आस्ट्रेलियाई चुनाव आयोग नहीं बता सका है कि नतीजे का पता कब चलेगा. वहीं, टर्नबुल इस हफ्ते के आखिर तक सकारात्मक चीजे आने को लेकर आश्वस्त हैं. 61 वर्षीय प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम सब की तरह, इसमें कोई संदेह नहीं है कि आस्ट्रेलियाइयाें ने भी कल रात स्पष्ट जनादेश चाहा होगा. पर मैं आश्वस्त हूं कि एक बहुमत वाली गठबंधन सरकार वापस आएगी.” अगर सत्तारुढ़ गठबंधन को 76 से कम सीटें मिली तो उसे सत्ता में बने रहने के लिए निर्दलीय और छोटी पार्टियों के साथ बात करनी पड़ेगी.

इस परिदृश्य में छोटी पार्टियां और निर्दलीय सांसद ‘किंगमेकर’ साबित हो सकते हैं और प्रधानमंत्री ने पुष्टि की है कि उन्होंने उनसे संपर्क शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया कि वह यह सुनिश्चित के लिए काम करेंगे कि नयी संसद की स्थिति बगैर मत विभाजन के स्पष्ट हो जाए. टर्नबुल ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हम रचनात्मक और प्रभावी रूप से नयी संसद के सभी सदस्यों के साथ काम करेंगे ताकि हम स्थिरता और नेतृत्व दे सकें जिसकी आस्ट्रेलियाई उम्मीद कर रहे हैं.

शुरुआती आंकड़ों से पाउलीन हेंसन की वन नेशन पार्टी के लिए अच्छे संकेत मिल रहे हैं. विपक्षी नेता शार्टेन ने भी निर्दलीय सांसदों से बात की है और कहा कि मुख्य संदेश यह था कि वे रचनात्मक होना चाहते हैं. शार्टेन (49) ने कहा, वे नहीं चाहते कि आस्ट्रेलिया चुनाव की ओर फिर से जाए. मैं तो निश्चित तौर पर नहीं.

गौरतलब है कि जूलिया गिलार्ड के समय से आस्ट्रेलिया में अस्थिर सरकार की एक परंपरा सी बन गयी है. गिलार्ड 2010 में अपने लेबर सहकर्मी केविन रड को अपदस्थ कर प्रधानमंत्री बनी थी. हालांकि, वह कभी जनता का भरोसा हासिल करने में कामयाब नहीं रही और लेबर पार्टी केविन रड की ओर मुड़ी. लेकिन 2013 में रड को लिबरल कंजरवेटिव टोनी एबॉट ने शिकस्त दी. वहीं, एबॉट को मौजूदा प्रधानमंत्री टर्नबुल ने बाहर का रास्ता दिखाया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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