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‘हक्कानी ने पाक से आइएइए के भारत केंद्रित समझौते को नहीं रोकने के लिए कहा था”

वाशिंगटन : पाकिस्तान के एक पूर्व राजनयिक ने अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत रहे हुसैन हक्कानी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 2008 में आइएइए में भारत से संबंधित समझौते को रोकने के पाकिस्तान के प्रयासों को नुकसान पहुंचाने का काम किया था. जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत जमीर अकरम ने दावा […]

वाशिंगटन : पाकिस्तान के एक पूर्व राजनयिक ने अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत रहे हुसैन हक्कानी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 2008 में आइएइए में भारत से संबंधित समझौते को रोकने के पाकिस्तान के प्रयासों को नुकसान पहुंचाने का काम किया था.

जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत जमीर अकरम ने दावा किया कि हक्कानी ने भारत से संबंधित समझौते का विरोध करने से जुड़े विदेश विभाग के सुझाव को नकारने के लिए पाकिस्तानी सरकार पर दबान बनाया था.

समाचार पत्र ‘डॉन’ के अनुसार अकरम ने कहा, ‘‘विदेश विभाग पर अपने सुझाव बदलने का दबाव था.’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर चीन सहित अपने मित्रों का समर्थन हासिल करने की व्यवस्था कर ली थी, लेकिन आइएइए संचालक बोर्ड की बैठक से पहले हक्कानी ने इस समझौते का विरोध करने के दुष्परिणामों की आशंका के बारे में इस्लामाबाद को अवगत कराया.

उनके मुताबिक हक्कानी का यह दबाव काम कर गया और पाकिस्तान ने इस समझौते को रोकने या मतदान का आह्वान नहीं करने पर सहमति जतायी.

मौजूदा समय में अमेरिकी थिंकटैंक ‘हडसन इंस्टीट्यूट’ से जुड़े हक्कानी ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा है कि उन्होंने इस्लामाबाद को सिर्फ अमेरिकी सरकार के विचारों के बारे में अवगत कराया था और इस बारे में आखिरी फैसला पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार ने किया था.

उन्होंने पीटीआइ से कहा, ‘‘काश मेरा इतना प्रभाव रहा होता.’

हक्कानी ने कहा, ‘‘मैं अमेरिका में सिर्फ पाकिस्तान का राजदूत था और अमेरिका में हमारा कोई भी राजदूत अकेले नीति नहीं तय कर सकता.’ उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान में कुछ लोग विदेश नीति अथवा अवास्तविक चीजों पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं. वे सिर्फ बलि का बकरा तलाशना चाहते हैं और मैं उनके लिए इसी तरह हूं. मेरी राय में पाकिस्तान को इस पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि वह अपने लोगों के लिए अधिक से अधिक क्या हासिल कर सकता है.’ हक्कानी के अनुसार आईएईए में समझौते को रोकने में समय नहीं गंवाने का फैसला वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास ने नहीं, बल्कि उस वक्त इस्लमाबाद स्थित पाकिस्तान सरकार ने किया था.

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