पटना : धर्मनिरपेक्ष महागंठबंधन ने नरेंद्र मोदी सरकार को किसान और गरीब विरोधी बताते हुए मंगलवार को यह आरोप लगाया कि केंद्र सरकार 50 प्रतिशत इनपुट कृषि लागत से अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य देने में विफल रही है. जदयू के महासचिव के.सी.त्यागी ने आज यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर किसान और गरीब विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी पिछले लोकसभा चुनाव के समय कृषि लागत का 50 प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य में जोड़कर देने के अपने वादे को पूरा करने में ही विफल नहीं रही बल्कि उनकी सरकार ने गेंहू और धान के एमएसपी में 3.5 प्रतिशत की टोकन वृद्धि कर दी है.
त्यागी ने मोदी नीत राजग सरकार पर अपने डेढ सालों के शासनकाल के दौरान किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की पिछली संप्रग सरकार ने दस सालों के शासनकाल के दौरान गेंहू और धान के एमएसपी में क्रमश: 120 और 130 प्रतिशत की वृद्धि की थी. केंद्रीय खाद्य और जनवितरण मंत्रालय के एक पत्र का हवाला देते हुए त्यागी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने राज्यों द्वारा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा दिए जा रहे बोनस पर रोक लगा दी पर बिहार और छत्तीसगढ सकार ने इसे जारी रखा.
इस अवसर पर पुनिया ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह कृषि लागत का 50 प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य में जोडकर नहीं दे सकती है. उन्होंने मोदी सरकार पर गरीबों के लिए चल रही मनरेगा, इंदिरा आवास योजना सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं की राशि में कटौती करने का आरोप लगाया. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पुनिया ने कहा कि हरियाणा में दलित की हत्या पर केंद्रीय मंत्री वी के सिंह की टिप्पणी पर प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए था, पर वे उस पर चुप्पी साधे हुए हैं.