काठमांडो : संविधान के संघीय ढांचे को लेकर नेपाल में भारतीय मूल के मधेसियों के एक आंदोलनकारी समूह और सरकार के बीच पहले दौर की वार्ता मंगलवार को बेनतीजा खत्म हुई, हालांकि यह बातचीत आज भी जारी रहेगी. वहीं नेपाल-भारत सीमा पर 12 वें दिन भी नाकेबंदी जारी रही जिससे जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है. तराई क्षेत्र के ‘ज्वाइंट डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट’ (जेडीएमएफ) सरकार की वार्ता टीम के साथ बातचीत के लिए वार्ता की मेज तक आया है.
इस घटनाक्रम को हिंसा, राजनीतिक अशांति के बीच संभावित मेलजोल के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. जेडीएमएफ सात प्रांतीय संघीय ढांचे में अपने मूल निवास का प्रदर्शनकारी डिवीजन है. हालांकि इस वार्ता से काफी अपेक्षाएं होने के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला क्योंकि सरकार के प्रतिनिधि उनकी मांगों के हल के लिए एक स्पष्ट खाका पेश करने में नाकाम रहे. मधेसी संगठनों में शामिल एक व्यक्ति ने यह जानकारी दी.
दोनों पक्ष आज भी वार्ता करने के लिए राजी हो गए हैं. सद्भावना पार्टी के लक्ष्मण लाल कर्ण ने बताया कि सरकारी वार्ताकार प्रदर्शनकारियों को एक ठोस प्रस्ताव पेश करने में नाकाम रहें. भारत की सीमा से लगे दक्षिणी नेपाल में गतिविधियों ने कई हफ्तों से सामान्य जीवन को ठप कर रखा है और राजधानी सहित देश के उत्तरी क्षेत्र में ईंधन एवं आपूर्ति को रोक दिया है. उन्होंने बताया, ‘‘जब तक हमारी मांगों का हल नहीं हो जाता तब तक हम अपना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे.’’
बैठक में जेडीएमएफ टीम ने नये संविधान के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन के लिए एक प्रस्ताव रखा. इनमें नागरिकता, प्रांतों की सीमा का निर्धारण, जनसंख्या घनत्व के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों को तय करना और समावेशी एवं समानुपातिक प्रतिनिधित्व शामिल हैं. सरकार की वार्ता टीम का नेतृत्व वन मंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के नेता महेश आचार्य ने किया. आचार्य ने कहा कि हम इसका हल करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं ताकि देश में लोगों की परेशानी यथाशीघ्र खत्म हो सके. मधेसियों के आंदोलन में 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई है.