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बेटे को टिकट नहीं मिलने से चंद्रमोहन राय हुए भाजपा के बागी, गाये नीतीश कुमार के गुण
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में हर पार्टी टिकट बंटवारे के बाद आंतरिक कलह से जूझ रही है. भाजपा भी इसकी शिकार है. पार्टी को अपने कद्दावर व बुजुर्ग नेता चंद्रमोहन राय के विरोध का सामना करना पड रहा है. चंद्रमोहन राय ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद जहां महागंठबंधन के नेता नीतीश कुमार […]
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में हर पार्टी टिकट बंटवारे के बाद आंतरिक कलह से जूझ रही है. भाजपा भी इसकी शिकार है. पार्टी को अपने कद्दावर व बुजुर्ग नेता चंद्रमोहन राय के विरोध का सामना करना पड रहा है. चंद्रमोहन राय ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद जहां महागंठबंधन के नेता नीतीश कुमार की तारीफ की है, वहीं भाजपा के अघोषित नेता सुशील कुमार मोदी की तीखी आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि सुशील कुमार मोदी नहीं चाहते थे कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनें, साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के कद का कोई नेता नहीं है और भाजपा के पास उनके खिलाफ सीएम उम्मीदवार नहीं है. इसलिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे कर चुनाव लड रही है. मालूम हो कि चंद्रमोहन राय अपने बेटे के लिए चुनाव में टिकट चाहते थे.
चंद्रमोहन राय ने कहा है कि जब मैंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की मांग को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं को पत्र लिखा था, तो उसका सुशील कुमार मोदी ने विरोध किया था. उन्होंने बुलाकर कहा था कि वे ऐसा नहीं करें.
चंद्रमोहन राय ने आरोप लगाया कि बिहार के चुनावी समर में पप्पू यादव, ओवैसी और मुलायम सिंह यादव को भाजपा के अंदर से समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अति पिछडों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ दिया था, लेकिन अब वे महागंठबंधन की ओर लौट रहे हैं. उन्होंने कहा है कि सीट बंटवारे से बिहार में भाजपा के अंदर काफी असंतोष है.
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