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काम होगा, तो बढ़ायी जायेगी सत्र की अवधि

बिहार विधानमंडल का मॉनसून सत्र पांच दिनों का होने के कारण पक्ष विपक्ष आमने-सामने है. विपक्ष जहां सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहा है, वहीं, सत्ता पक्ष इसे पर्याप्त समय बताया है. साथ ही आवश्यकता पड़ी तो इसे बढ़ाने की भी सरकार बात कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि काम […]

बिहार विधानमंडल का मॉनसून सत्र पांच दिनों का होने के कारण पक्ष विपक्ष आमने-सामने है. विपक्ष जहां सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहा है, वहीं, सत्ता पक्ष इसे पर्याप्त समय बताया है. साथ ही आवश्यकता पड़ी तो इसे बढ़ाने की भी सरकार बात कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि काम होगा तो मॉनसून सत्र की अवधि को बढ़ायी जायेगी. अब तक परंपरा रही है कि मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र छोटा ही रहा है. इसमें अनुपूरक बजट और कुछ विधेयक सदन में पेश होने हैं. अगर लोगों को कुछ बातें बोलनी हैं तो वे कुछ भी बोलते रहते हैं. सरकार का जितना बिजनेस है उतना सत्र रखा गया है.

सरकार को वाद विवाद से कोई एतराज नहीं है. सरकार के पास विधायी और वित्तीय कार्य हैं, उसे स्पष्ट कर दिया गया है. उसी के अनुसार अवधि निर्धारित की गयी है. इसके बाद भी जरूरत पड़ी तो सत्र की अवधि बढ़ायी जायेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि मॉनूसन सत्र में सरकार ‘बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक 2015’ लाने जा रही है.

इसमें जनता दरबार समेत अन्य मामलों को जो शिकायतें आती हैं, उन्हें कारगर बनाने की कोशिश की जा रही है. इसमें ऐसी शिकायतों को रखा जा रहा है, जिसके निवारण के लिए मुख्यमंत्री या पदाधिकारियों के पास आने की जरूरत नहीं पड़े. इन शिकायतों का एक निश्चित समय पर निबटारा किया जायेगा. अदालती मसले वाली शिकायतें यहां नहीं आयेंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने 2010 में लोक सेवा अधिनियम बनाया था. इसमें 10 हजार से ज्यादा लोगों ने अब तक फायदा उठाया है. उन्होंने सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के सदस्यों से अपील की कि सत्र में सब को भाग लेना चाहिए. यह विधेयक जनहित में हैं और जनता के अधिकार बढ़ाने के लिए है.

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने विधानमंडल की सत्र अवधि बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि सरकार जनता से जुड़े मुद्दों पर बहस से कतरा रही है. विधानमंडल का ये लगातार दूसरा सत्र है, जिसकी अवधि इतनी छोटी है कि कोई सार्थक बहस हो ही नहीं सकती. सोमवार को एक बयान जारी नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिहार की कानून-व्यवस्था की गिरती स्थिति जनता की सबसे बड़ी चिंता है और भाजपा इस बारे में सरकार का जवाब जानना चाहती है. 2005 में जब बिहार की जनता ने राजद के कुशासन का खात्मा कर एनडीए की सरकार बनाई थी, उस साल कुल सं™ोय अपराध 1,04,778 दर्ज किए गए थे. जबतक भाजपा सरकार में रही, कानून-व्यवस्था की हालत में सुधार रहा. 2014 में दर्ज संगीन अपराधों की संख्या 1,95,024 पहुंच गई, जिससे पता चलता है कि राजद-कांग्रेस समर्थित जदयू सरकार का कानून-व्यवस्था से नियंत्रण खत्म हो चुका है.
हत्या के मामले में जदयू राज ने राजद राज को पीछे छोड़ दिया है. 2005 में 3,423 हत्याएं हुई थीं, जबकि 2014 में ये आंकड़ा 3,441 पहुंच गई. 2015 में तो ये नया रिकर्ड बनाने पर ही तुला है, जनवरी में 217, फरवरी में 211, मार्च में 274, अप्रैल में 268 मर्डर केस दर्ज हो चुके हैं. मई से जुलाई के आंकड़े सामने आने पर ये डेढ़ हजार पार कर सकता है. महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामले भी तेजी से बढ़े हैं.उन्होंने कहा कि बिहार की जनता सरकार से जानना चाहती है कि विकास दर 15 फीसदी से गिरकर 8 फीसदी से भी नीचे क्यों पहुंच गई. कृषि विकास दर निगेटिव में क्यों पहुंच गई. सड़क और पुल निर्माण ठप क्यों पड़ गया. स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के बदले बदहाली क्यों आ गई.
सदन में तीन नये विधेयक पारित कराये जायेंगे
पटना. विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान सरकार तीन नये विधेयक सदन से पारित करायेगी. इन विधेयकों में सामान्य प्रशासन व वाणिज्य कर विभाग से जुड़े हुए हैं. सामान्य प्रशासन विभाग के प्रभारी मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक, 2015 को विधानसभा के वर्तमान सत्र में रखेंगे. लोक महत्व के इस विधेयक को सदन से पारित करायी जायेगी. इसके अलावा वाणिज्य कर विभाग के प्रभारी मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव द्वारा बिहार मूल्य वर्धित कर (संशोधन एवं विधिमान्यकरण ) विधेयक 2015 और बिहार काराधन विवाद समाधान विधेयक 2015 को सदन में पेश कर पारित कराया जायेगा.
बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक 2015 में प्रथम अपीलीय प्राधिकार, द्वितीय अपील प्राधिकार, पुनरीक्षण प्राधिकार, राज्य प्राधिकार व नियत समय सीमा की अधिसूचना की व्यवस्था की जायेगी. इस अधिकार से नागरिक विभागवार योजना, कार्यक्रम एवं सेवाओं से संबंधी शिकायत कर सकेंगे. लोक प्राधिकार व विभाग को जिनके स्तर पर शिकायत का निवारण होगा उसकी सूचना देना होगा. नियत समय सीमा के अंदर शिकायत पर सुनवाई का अवसर मिलेगा. पक्षकारों को नियत समय सीमा के भीतर अवसर देना होगा. इसके तहत सूचना केंद्रों की स्थापना की जा सकेगी. किसी भी व्यक्ति को जिसे नियत समय सीमा के भीतर सुनवाई का अवसर नहीं मिलेगा वह लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के पास 30 दिन के अंदर प्रथम अपीलीय प्राधिकार के समक्ष अपील दायर कर सकेगा.
इस अधिनियम के तहत की गयी शिकायतों को न्यायालय में सुनवाई नहीं होगी. सुशासन के कार्यक्रम के तहत लोक शिकायतों को समय सीमा के अंदर निबटारा कराने के लिए यह व्यवस्था की गयी है. आम लोगों को प्रशासन व सरकार से संबंधित शिकायतों का नियत समय विचार के दौरान सुनवाई का मौका मिलेगा. प्रशासन को जनता के प्रति अधिक उत्तरदायी व संवेदनशील बनाया जाना इसका उद्देश्य है. बिहार मूल्य वर्धित कर अधिनियम 2005 में समय समय पर संशोधन किये जाते रहे हैं. 2005 के अधिनियम के अंतर्गत राज्य के अंदर खरीद-बिक्री करने वाले किसी भी व्यवसायी को पांच लाख के कारोबार करने पर निबंधन आवश्यक था. इस अधिनियम में अधिसूचित वस्तुओं की वार्षिक बिक्री 250 करोड़ से अधिक होने पर ही व्यवहारी पर अतिरिक्त कर देना होगा. इसी तरह से बिहार काराधान विवाद विधेयक 2015 में विधि के अधीन किसी भी आदेश से उत्पन्न व यथास्थिति के समाधान होगा.

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