21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

अलविदा डॉ कलाम

कहते हैं न एक ‘खास’ व्यक्ति हमेशा ही आम दिखता है, जीता है. ऐसे ही थे भारत के ‘रत्न’ एपीजे अब्दुल कलाम. ‘मिसाइल मैन’, ‘जनता के राष्ट्रपति’, ‘मार्गदर्शक’ और न कितने नामों से हर दिल पर ‘राज’ करने वाले पूर्व राष्ट्रपति अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन क्या हम उनकी उपलब्धियां, देश के […]

कहते हैं न एक ‘खास’ व्यक्ति हमेशा ही आम दिखता है, जीता है. ऐसे ही थे भारत के ‘रत्न’ एपीजे अब्दुल कलाम. ‘मिसाइल मैन’, ‘जनता के राष्ट्रपति’, ‘मार्गदर्शक’ और न कितने नामों से हर दिल पर ‘राज’ करने वाले पूर्व राष्ट्रपति अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन क्या हम उनकी उपलब्धियां, देश के प्रति उनका अगाध प्रेम, देश के विकास में उनके योगदान को भुलाये भूल पायेंगे. बचपन से गीता व कुरान दोनों पढ़ने वाले सरल स्वभाव के कलाम कामयाबी के शिखर तक यूं ही नहीं पहुंचे. उनका संघर्ष भरा जीवन हर शख्स के लिए प्रेरणादायी है.
आज जब विकास के साथ वैमनस्य का भाव भी चुपके से समाज में पांव जमाने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में एक ‘मेड इन इंडिया’ जिन्होंने कभी विदेश में प्रशिक्षण हासिल नहीं किया, का जाना सच में टीस देता है.
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्तूबर, 1931 को तामिलनाडु के रामेश्वरम कस्बे के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ. उनके पिता जैनुल आबेदीन नाविक थे. वह दूसरों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहते थे. कलाम की माता का नाम आशियम्मा था. वह एक धर्मपारायण और दयालु महिला थीं.
सात भाई-बहनोंवाले परिवार में कलाम सबसे छोटे थे, इसलिए उन्हें अपने माता-पिता का विशेष दुलार मिला. पांच वर्ष की अवस्था में रामेश्वरम के प्राथमिक स्कूल में कलाम की शिक्षा का प्रारंभ हुआ. उनकी प्रतिभा को देखकर उनके शिक्षक बहुत प्रभावित हुए और उन पर विशेष स्नेह रखने लगे.
एक बार बुखार आ जाने के कारण कलाम स्कूल नहीं जा सके. यह देखकर उनके शिक्षक मुत्थुश जी काफी चिंतित हो गये और वे स्कूल समाप्त होने के बाद उनके घर जा पहुंचे. उन्होंने कलाम के स्कूल न जाने का कारण पूछा और कहा कि यदि उन्हें किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो, तो वे नि:संकोच कह सकते हैं.
चमत्कारिक प्रतिभा के धनी डॉ अब्दुल पाकिर जैनुलआबेदीन अब्दुल कलाम भारत के पहले वैज्ञानिक हैं, जो देश के राष्ट्रपति भी बने. राष्ट्रपति बनने से पहले देश के सभी सर्वोच्च नागरिक सम्मान (पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न) पानेवाले वह एकमात्र राष्ट्रपति हैं. वे देश के इकलौते राष्ट्रपति थे, जिन्होंने आजन्म अविवाहित रहकर देश सेवा का व्रत लिया था.
इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचे कलाम का बचपन संघर्षपूर्ण रहा. प्रतिदिन सुबह चार बजे उठकर गणित का ट्यूशन पढ़ने जाते थे. पांच बजे लौटते, तो पिता के साथ नमाज पढ़ते, फिर घर से तीन किमी दूर स्थित धनुषकोडि स्टेशन से अखबार लाते और पैदल घूम-घूम कर बेचते.
आठ बजे घर लौटते. फिर स्कूल जाते. स्कूल से लौट कर अखबार के पैसों की वसूली करते. उनकी लगन और मेहनत के कारण उनकी मां खाने-पीने के मामले में उनका विशेष ध्यान रखती थीं. कलाम को रोटियों से विशेष लगाव था. इसलिए उनकी मां उन्हें प्रतिदिन खाने में दो रोटियां अवश्य देती थीं. एक बार उनके घर में खाने में गिनी-चुनीं रोटियां ही थीं. मां ने अपने हिस्से की रोटी उन्हें दे दी. बड़े भाई ने कलाम को धीरे से यह बात बता दी.
इससे कलाम अभिभूत हो उठे और दौड़ कर मां से लिपट गये. प्राइमरी स्कूल के बाद कलाम ने श्वार्ट्ज हाईस्कूल, रामनाथपुरम में प्रवेश लिया. वहां की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने 1950 में सेंट जोसेफ कॉलेज, त्रिची में प्रवेश लिया. वहां से उन्होंने भौतिकी और गणित विषयों के साथ बीएससी की डिग्री प्राप्त की. अपने अध्यापकों की सलाह पर उन्होंने स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, चेन्नई का रुख किया. अपने सपनों को आकार देने के लिए एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का चयन किया.
वायुसेना में भरती न हो सके, तो बे-मन से रक्षा मंत्रलय के तकनीकी विकास एवं उत्पाद डीटीडी एंड पी (एयर) का चुनाव किया. 1958 में तकनीकी केंद्र (सिविल विमानन) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक बने. पहले ही वर्ष पराध्वनिक लक्ष्यभेदी विमान की डिजाइन तैयार कर स्वर्णिम सफर की शुरुआत की. कलाम के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब वे 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़े. यहां उन्नत संयोजित पदार्थो का विकास आरंभ किया.
त्रिवेंद्रम में स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर में ‘फाइबर रीइनफोस्र्ड प्लास्टिक’ डिवीजन की स्थापना की. साथ ही आम आदमी से लेकर सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की. उन्हीं दिनों इसरो में स्वदेशी क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से ‘उपग्रह प्रक्षेपण यान कार्यक्रम’ की शुरुआत हुई. कलाम की योग्यता को देखते हुए उन्हें इस योजना का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया गया.
भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से कलाम ने रक्षामंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ वीएस अरुणाचलम के मार्गदर्शन में ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ की शुरुआत की. इस योजना के अंतर्गत त्रिशूल, पृथ्वी, आकाश, नाग, अग्नि और ब्रह्मोस मिसाइलें विकसित हुईं.
जुलाई, 1992 से दिसंबर, 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा डीआरडीओ के सचिव रहे. उन्होंने भारत को ‘सुपर पॉवर’ बनाने के लिए 11 मई और 13 मई, 1998 को सफल परमाणु परीक्षण किया. नवंबर, 2001 में अन्ना विवि में प्रोफेसर के रूप में सेवाएं प्रदान कीं. 25 जुलाई, 2002 को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए. वह 25 जुलाई 2007 तक इस पद पर रहे.
उनकी पुस्तक ‘ इंडिया 2020’ में देश के विकास का समग्र दृष्टिकोण देखा जा सकता है. वे अपनी इस संकल्पना को उद्घाटित करते हुए कहते हैं कि इसके लिए भारत को कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, ऊर्जा, शिक्षा व स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास पर ध्यान देना होगा.
ज्ञान का द्वीप जलाए रखूंगा
‘हे भारतीय युवक
ज्ञानी-विज्ञानी
मानवता के प्रेमी
संकीर्ण तुच्छ लक्ष्य
की लालसा पाप है।
मेरे सपने बड़े
मैं मेहनत करूंगा
मेरा देश महान हो
धनवान हो, गुणवान हो
यह प्रेरणा का भाव अमूल्य है,
कहीं भी धरती पर,
उससे ऊपर या नीचे
दीप जलाए रखूंगा
जिससे मेरा देश महान हो।’
-एपीजे अब्दुल कलाम
नमस्कार
यहां आने के पहले मैंने प्रभात खबर के मई के अंतिम सप्ताह के अंक देखे थे. मैंने जानना चाहा कि यह किस राजनीतिक दल का समर्थक अखबार है. मैंने पहला पेज देखा, दूसरा पेज देखा, तीसरा पेज..सभी पेज देख डाले, लेकिन कुछ समझ नहीं आया कि किस दल का समर्थक अखबार है. बाद में मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि यह किसी पार्टी का नहीं, बल्कि लोगों का अखबार है.
उसमें मैने कुछ कार्टून देखे. प्रदेश और देश के बारे में कुछ अच्छे विषयों पर चर्चा भी देखी. काफी शोध करने के बाद, विषयों पर चर्चा की गयी है. एक खबर जो तंबाकू के बारे में लिखी गयी है, बहुत ही महत्वपूर्ण है. मैं चाहता हूं कि इस तरह के सामाजिक विषयों पर चर्चा होती रहे. आप सभी को मेरी बधाई और शुभकामनाएं. आप सब पर ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहे.
15 जून, 2012 को डॉ कलाम प्रभात खबर के अतिथि संपादक थे. पटना के कार्यालय में उन्होंने उस दिन समाचारों का चयन किया और अपनी भावनाएं इन शब्दों में व्यक्त की थी.
पुस्तकें
डॉ अब्दुल कलाम भारतीय इतिहास के ऐसे पुरुष हैं, जिनसे लाखों लोग प्रेरणा ग्रहण करते हैं. अरुण तिवारी लिखित उनकी जीवनी ‘विंग्स ऑफ फायर ’ भारतीय युवाओं और बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय है.
उनकी लिखी पुस्तकों में ‘ गाइडिंग सोल्स: डायलॉग्स ऑन द पर्पज ऑफ लाइफ एक गंभीर कृति है, जिसके सह लेखक अरुण के तिवारी हैं. इसमें उन्होंने अपने आत्मिक विचारों को प्रकट किया है.
इनके अतिरिक्त उनकी अन्य चर्चित पुस्तकें हैं-
– ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग दा पॉवर विदीन इंडिया’,
– ‘एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नोलॉजी फॉर सोसायटल ट्रांसफारमेशन, ‘डेवलपमेंट्स इन फ्ल्यूड मैकेनिक्सि एण्ड स्पेस टेक्नालॉजी’, सह लेखक- आर. नरिसम्हा, ‘2020: ए विज़न फॉर दा न्यू मिलेनियम’ सह लेखक- वाइएस राजन,
– ‘इनविजनिंग ऐन इम्पॉएवर्ड नेशन: टेक्नोलॅजी फॉर सोसाइटल ट्रांसफॉरमेशन’- सह लेखक- ए सिवाथनु पिल्लई.
कविताएं : डॉ कलाम ने तमिल भाषा में कविताएं भी लिखी हैं, जो अनेक पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं. उनकी कविताओं का एक संग्रह ‘दा लाइफ ट्री’ के नाम से अंगरेजी में भी प्रकाशित हुआ है.
पुरस्कार/सम्मान
– राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार (1997)
– पद्म भूषण (1981)
– पद्म विभूषण (1990)
– ‘भारत रत्न’ सम्मान (1997)
डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि : अन्ना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, कल्याणी विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, मैसूर विश्वविद्यालय, रुड़की विवि, इलाहाबाद विवि, दिल्ली विवि, मद्रास विवि, आंध्र विवि, भारतीदासन छत्रपति शाहूजी महाराज विवि, तेजपुर विवि, कामराज मदुरै विवि, राजीव गांधी प्रौद्यौगिकी विवि, आइआइटी दिल्ली, आइआइटी मुंबई, आइआइटी कानपुर, बीआइटी, आइएसएस, सयाजीराव यूनिवर्सिटी औफ बड़ौदा, मणिपाल एकेडमी ऑफ हॉयर एजुकेशन, विश्वेश्वरैया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी
पीएचडी : जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
डीलिट : शांति निकेतन, बीआर आंबेडकर यूनिवर्सिटी, औरंगाबाद
नेशनल डिजाइन अवार्ड : 1980 इंस्टीटयूशन ऑफ इंजीनियर्स
डॉ बिरेन रॉय स्पेस अवार्ड:1986 एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया
राष्ट्रीय नेहरू पुरस्कार : 1990 (मध्य प्रदेश सरकार),
आर्यभट्ट पुरस्कार : 1994 (एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया),
प्रो वाइ नयूडम्मा (मेमोरियल गोल्ड मेडल-1996 (आंध्र प्रदेश एकेडमी ऑफ साइंसेज)
जीवन तो शाश्वत है : डॉ कलाम
‘मैं कोई दार्शनिक नहीं हूं. मैं तो टेक्नोलोजी का एक व्यक्ति हूं. मैंने अपना सारा जीवन रॉकेट विज्ञान को सीखने में लगाया है. विभिन्न संगठनों में बहुत सारे अलग-अलग लोगों के साथ काम किया है. इसी जटिलता में मुङो व्यावसायिक जीवन की घटनाओं को समझने का अवसर मिला.
अब जब मैं पीछे देखता हूं, तो मुङो लगता है कि वह सब मेरे स्वयं के विचार प्रेक्षणों व निष्कर्षो से ज्यादा कुछ नहीं हैं. मेरे सहकर्मी, साथी, नेता, नाटक का असली पात्र मैं खुद, रॉकेट का जटिल विज्ञान व तकनीकी प्रबंधन के महत्वपूर्ण मसले आदि सभी आरेखी रूप में नजर आते है. पीड़ा व खुशी, उपलब्धियां व असफलताएं, जो संदर्भ, समय व काल में भिन्न-भिन्न है-सब एक साथ नजर आती हैं.
जीवन में बहुत कुछ हुआ है, हो रहा है, होता रहेगा. जीवन चलता रहेगा. अगर हम भी करोड़ों लोगों की संयुक्त क्षमता के रूप में सोचें, तो यह महान देश हर क्षेत्र में महान उपलब्धियां हासिल करेगा.
मेरी कहानी जैनुलाबदिन (कलाम के पिता) के बेटे की कहानी है, जो रामेश्वरम की मसजिद वाली गली में सौ साल से ज्यादा तक रहे और वहीं अपना शरीर छोड़ा. यह उस किशोर की कहानी है, जिसने अपने भाई की मदद के लिए अखबार बेचे.
यह कहानी शिव सुब्रह्मण्यम अय्यर व अयादुरै सोलोमन के शिष्य की कहानी है. यह उस छात्र की कहानी है, जिसे पनदलाई जैसे शिक्षकों ने पढ़ाया. यह उस इंजीनियर की कहानी है, जिसे एमजीके मेनन ने उठाया व प्रो साराभाई जैसी हस्ती ने तैयार किया. यह एक ऐसे कार्यदल नेता की भी कहानी है, जिसे बड़ी संख्या में विलक्षण व समर्पित वैज्ञानिकों का समर्थन मिलता रहा. यह छोटी सी एक कहानी मेरे जीवन के साथ ही खत्म हो जायेगी. मेरे पास न धन, न संपत्ति, न मैंने कुछ इकट्ठा किया, कुछ नहीं बनाया है,जो ऐतिहासिक हो, शानदार हो, आलीशान हो.
पास में भी कुछ नहीं रखा है. कोई परिवार नहीं, बेटा-बेटी नहीं मैं इस महान भूमि में खोदा गया एक कुआं. देखूं अनगिनत बच्चे खींचते पानी, मुझमें जो भरा-कृपा की उस परवरदिगार का. और सींचते फूल,पौधे, फसलें..नया दौर, नई नस्लें, दूर-दूर तक नियामत मेरे खुदा की.
मैं नहीं चाहता कि मैं दुसरों के लिए कोई उदाहरण बनूं, लेकिन मुङो विश्वास है कि कुछ लोग मेरी कहानी से प्रेरणा जरूर ले सकते हैं.
जीवन में संतुलन लाकर वह संतोष प्राप्त कर सकते हैं, जो सिर्फ आत्मा के जीवन में ही पाया जा सकता है. मेरे परदादा अवुल (ए), मेरे दादा पकीर (पी) और मेरे पिता जैनुलाबदिन (जे) की पीढ़ी अब्दुल कलाम के साथ खत्म होती है, लेकिन उस सार्वभौम ईश्वर की कृपा इस पुण्य भूमि पर कभी खत्म नहीं होगी, क्योंकि वह तो शाश्वत है.’
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (अग्नि की उड़ान से साभार)
10 महत्वपूर्ण कथन
1. सपने सच हों इसके लिए सपने देखना जरूरी है.
2. विद्यार्थियों को प्रश्न जरूर पूछना चाहिए. यह छात्र का सर्वोत्तम गुण है.
3. अलग ढंग से सोचने का साहस करो, आविष्कार का साहस करो, अज्ञात पथ पर चलने का साहस करो, असंभव को खोजने का साहस करो और समस्याओं को जीतो और सफल बनो. ये वो महान गुण हैं जिनकी दिशा में तुम अवश्य काम करो.
4. अगर एक देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है तो मैं यह महसूस करता हूं कि हमारे समाज में तीन ऐसे लोग हैं जो ऐसा कर सकते हैं. ये हैं पिता, माता और शिक्षक.
5. मनुष्य को मुश्किलों का सामना करना जरूरी है, क्योंकि सफलता के लिए यह जरूरी है.
6. महान सपने देखनेवालों के सपने हमेशा श्रेष्ठ होते हैं.
7. जब हम बाधाओं का सामना करते हैं तो हम पाते हैं कि हमारे भीतर साहस और लचीलापन मौजूद है जिसकी हमें स्वयं जानकारी नहीं थी. यह तभी सामने आता है जब हम असफल होते हैं. जरूरत हैं कि हम इन्हें तलाशें और जीवन में सफल बनें.
8. भगवान उसी की मदद करता है जो कड़ी मेहनत करते हैं. यह सिद्धांत स्पष्ट होना चाहिए.
9. हमें हार नहीं माननी चाहिए और समस्याओं को हम पर हावी नहीं होने देना चाहिए.
10. चलो हम अपना आज कुरबान करते हैं जिससे हमारे बच्चों को बेहतर कल मिले.
आज के दौर में मुश्किल है कलाम जैसी सहजता
देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रमुख वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम के निधन की खबर मर्माहत करनेवाली है. हालांकि एक वैज्ञानिक और एक राष्ट्रपति के साथ-साथ एक भले-सच्चे इनसान के रूप में उनका योगदान देश ही नहीं, पूरी दुनिया को ऊर्जा प्रदान करता रहेगा. भारत की वैज्ञानिक विरासत में कलाम के महान कार्य और योगदान प्रमुखता से दर्ज हो चुके हैं. उनकी सोच हमेशा जिंदा रहेगी. उनकी महानता अमर रहेगी.
मेरे मन में उनके प्रति जो सम्मान है, उन्हें मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता हूं. व्यक्तिगत तौर पर मेरा उनके साथ बहुत ही गहरा रिश्ता था. वह लोगों से कहते थे कि मैं उनका टीचर हूं. वे ऐसा इसलिए कहते थे, क्योंकि मैं उनसे उम्र में कुछ बड़ा था. यह उनका महान व्यक्तित्व ही था, जो ख्याति के शिखर पर पहुंच कर भी वे ऐसा कहते थे. मुझे उनकी इस महानता पर बड़ा ही फा होता है. उनकी कल्पनाशीलता बहुत ही गहरी थी. वे कम बोलते थे, लेकिन हमेशा आम लोगों की भलाई के लिए नये उपायों के बारे में सोचते रहते थे.
वे हर तरह के लोगों का ध्यान रखते थे. समाज तथा विश्व किस तरह से बेहतर बनें, इस बारे में उनका चिंतन काफी गहरा था. आज के दौर में कठिन होना आसान है, सहज होना बहुत ही मुश्किल है. यही सहजता कलाम में थी, जो उन्हें महान बनाती थी. वे बहुत ही कमाल के इंसान थे. अकसर बड़े-बुजुर्ग लोग बच्चों को डांटते-फटकारते रहते हैं, लेकिन कलाम कभी ऐसा नहीं करते थे. उन्हें बच्चों से बहुत लगाव था और कभी-कभी तो ऐसा लगता था कि बच्चों के बीच जाकर वे खुद भी बच्चे बन जाते थे.
अंत में मैं कहूंगा कि हमारी आनेवाली पीढ़ी को उनके जीवन और कार्यो के बारे में जरूर विस्तार से जानना-समझना चाहिए, उनके कार्यो से प्रेरणा लेनी चाहिए और एक महान व्यक्तित्व के रूप में उन्हें अपना आदर्श मानना चाहिए. इस महान आत्मा को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि.
अब तीसरी बार नहीं मिल पाऊंगी..
दक्षा वैदकर
पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम नहीं रहे. विश्वास नहीं हो रहा. रह-रह कर सामने वो दिन आ रहे हैं, जब-जब मैं उनसे मिली. मेरी खुशनसीबी है कि मैं उनसे दो-दो बार मिली. पहली मुलाकात 27 जुलाई, 2010 को हुई थी. यानी आज ही का दिन था. ठीक पांच साल पहले आइआइएम इंदौर में ऑफिस की तरफ से मुङो उनके दो दिवसीय प्रोग्राम के पहले दिन को कवर करने भेजा गया था. ऑफिसवालों को जानकारी नहीं थी कि पहले दिन मीडिया से उनकी मुलाकात नहीं करवायी जानी है.
वहां जाकर मुङो पता चला कि मीडियावालों से वे अगले दिन बातचीत करेंगे. मैं निराश होकर गार्डेन में खड़ी थी. बड़े से गार्डेन के बीचो-बीच एक खूबसूरत बेंच थी, जिस पर आइआइएम के डायरेक्टर और कलाम जी चाय पी रहे थे. उनके चारों ओर काले ड्रेस में खड़े बॉडीगार्डस ने रस्सी से घेरा बना रखा था. उस बड़े से घेरे के आसपास सैकड़ों स्टूडेंट्स उन्हें दूर से निहार रहे थे. उन कोट-पैंट पहने आइआइएम के स्टूडेंट्स में मैं अलग थी. कलाम भी स्टूडेंट्स को गौर से देख रहे थे और चाय पी रहे थे.
उन्होंने भौंहें उचका कर कुछ पूछा. हाथ हिला कर मुङो बुलाया. मैं भाग कर उनके पास गयी. उन्होंने पूछा : स्टूडेंट? मैंने कहा: जर्नलिस्ट. वो बोले : ओह.. ग्रेट. मैंने उनकी गोद में अपनी डायरी और पेन रखते हुए कहा : सर, प्लीज एक ऑटोग्राफ. तो अपनी जेब से पेन निकाला और ऑटोग्राफ दिया. इन सारे लम्हों को दूर से मेरे फोटोग्राफर ने कैद किया.
इसके बाद मेरी उनसे दूसरी मुलाकात प्रभात खबर, पटना में हुई. जून, 2012 में वे ऑफिस में गेस्ट एडीटर के रूप में आये. मैंने अपनी दो साल पहलेवाली फोटो टेबल पर उनके सामने रख दी, तो उन्होंने चौंक कर सिर उठाया.
मुङो देखा और बोले : इज दिस यू? ओह.. मैंने बताया कि दो साल पहले आइआइएम इंदौर में आप आये थे, तभी का है. उन्होंने पूछा : वहां से इतनी दूर पटना कैसे? मैंने कहा : यहां मैं इंचार्ज हूं सर. वो मुस्कुरा कर बोले : गुड.. सो लॉन्ग.. बेस्ट ऑफ लक फॉर फ्यूचर.
आज भी ये सारे पल स्टेप-बाय स्टेप याद हैं. अब मैं उनसे तीसरी बार नहीं मिल सकती. इसका दुख हो रहा है.
डॉ अब्दुल कलाम के रूप में देश ने एक नेक वैज्ञानिक को खो दिया. उन्हें छात्रों से लगाव था और अंतिम समय भी छात्रों के साथ ही बीता.
नेरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
ड्रॉ कलाम हमेशा प्रेरणा के स्नेत बने रहेंगे. वे एक महान वैज्ञानिक, विद्वान व विचारकथे. उनका निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है.
राजनाथ सिंह, गृह मंत्री
डॉ कलाम का निधन व्यक्तिगत क्षति है. मेरे निमंत्रण पर वे बिहार आकर मार्गदर्शन किये. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में भूमिका अहम थी.
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
डॉ अब्दुल कलाम को मैं बहुत करीब से जानती थी. वो बहुत बड़े साइंटिस्ट, नेक इंसान व अच्छे कवि भी थे. मैं श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं.
लता मंगेशकर, गायिका
गुरदासपुर में आतंकी हमले के बीच डॉ कलाम के निधन का दुखद समाचार मिला. अल्लाह उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.
शाहरूख खान, अभिनेता
कलाम साहब के निधन के समाचार से हमें धक्का लगा. उनके निधन से राष्ट्र को नुकसान पहुंचा है. मैं राजद की तरफ से श्रद्धांजलि देता हूं.
लालू प्रसाद यादव, राजद सुप्रीमो
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel