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भारत-पाक टकराव एससीओ के लिए हो सकता है बाधा : थिंक टैंक
बीजिंग : भारत और पाकिस्तान जहां शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) से जुडने के लिए तैयार हैं, वहीं एक चीनी विश्लेषक का कहना है कि दोनों देशों के प्रवेश से एससीओ की छवि में सुधार हो सकता है लेकिन दोनों देशों के बीच कोई भी बडा टकराव इसके भविष्य के लिए एक बाधा भी बन सकता है. […]
बीजिंग : भारत और पाकिस्तान जहां शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) से जुडने के लिए तैयार हैं, वहीं एक चीनी विश्लेषक का कहना है कि दोनों देशों के प्रवेश से एससीओ की छवि में सुधार हो सकता है लेकिन दोनों देशों के बीच कोई भी बडा टकराव इसके भविष्य के लिए एक बाधा भी बन सकता है. शंघाई इन्स्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्ट्डीज में साउथ एशिया स्ट्डीज के निदेशक झाओ गेनचेंग ने एक लेख में कहा है भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस सप्ताह व्यवस्था से जुडने की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं, जिससे न केवल संगठन की स्थिति में सुधार होगा बल्कि दोनों देशों को लाभ भी होगा.
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में आज प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि यूरेशिया में बडे देश, खास कर दक्षिण एशिया में सर्वाधिक महत्वपूर्ण शक्तियों के होने की वजह से दोनों देशों का जुडना संगठन के कामकाज में वृद्धि और उसकी छवि के सवाल से परे है. लेख में कहा गया है बेशक, एससीओ अब तक एक युवा संगठन है…..अगर कभी भारत और पाकिस्तान के बीच नाटकीय टकराव होता है तो यह भविष्य में बडे मुद्दों पर किसी सहमति तक पहुंचने में समूह के लिए निश्चित रूप से बाधा पैदा करेगा. दोनों देशों का प्रवेश अचानक या आश्चर्यजनक कदम नहीं है. इसमें कहा गया है इस मुद्दे पर कुछ समय से चर्चा होती रही है और पिछले साल एससीओ में भारत और पाकिस्तान के पूर्णकालिक सदस्य बनने संबंधी आवेदनों पर आम सहमति बनी.
छह देशों के समूह एससीओ में चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रुस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. एससीओ का सम्मेलन फिलहाल रूस के उफा शहर में ब्रिक्स सम्मेलन के साथ हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ इसमें हिस्सा ले रहे हैं. भारत और पाकिस्तान अब तक एससीओ के पर्यवेक्षक रहे हैं. इन दोनों देशों को नियमित सदस्यता की मंजूरी मिल गई है और इन्हें अगले साल औपचारिक तौर पर शामिल किया जाएगा. अफगानिस्तान, ईरान और मंगोलिया अन्य पर्यवेक्षक हैं. बेलारुस, तुर्की और श्रीलंका वार्ता साझेदार हैं. लेख में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान को भी एससीओ के सदस्य बनने की उम्मीद है क्योंकि यह परंपरागत और गैर परंपरागत सुरक्षा खतरों के खिलाफ लडने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और यह भूमिका बढती जा रही है.
इसमंे आगे कहा गया है कि अफगानिस्तान में स्थिरता भी एससीओ में शामिल होने के वास्ते भारत और पाकिस्तान के लिए एक बडा महत्वपूर्ण मुद्दा है. लेख के अनुसार, भारत पाकिस्तान लंबे समय से प्रतिद्वन्द्वी रहे हैं लेकिन उनके बीच एक प्रमुख मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और यह मुद्दा अफगानिस्तान है. अफगानिस्तान के भविष्य का पाकिस्तान, भारत और चीन सहित पूरे मध्य एशिया पर गहन प्रभाव होगा. एक बार फिर यह आतंकवाद का केंद्र बन सकता हैं. यह जानते हुए, दोनों के बीच मतभेदों के बावजूद एससीओ उन्हें उनके साझा हितों के लिए संवाद और समन्वय की खातिर एक नया मंच मुहैया कराएगा.
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