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नरेंद्र मोदी की सोशल मीडिया कूटनीति चीन-भारत संबंधों के लिए हो सकती है मददगार

बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन में सोशल मीडिया कूटनीति भारत-चीन संबंधों में ‘रचनात्मक’ भूमिका निभा सकती है. हालांकि, सीमा विवाद जैसी ‘बाधाएं’ बरकरार रहने की वजह से कोई बडी प्रगति नहीं हुई है. शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के निदेशक झाओ गनचेंग ने अपने लेख में कहा कि जब मोदी ने पिछले सप्ताह […]

बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन में सोशल मीडिया कूटनीति भारत-चीन संबंधों में ‘रचनात्मक’ भूमिका निभा सकती है. हालांकि, सीमा विवाद जैसी ‘बाधाएं’ बरकरार रहने की वजह से कोई बडी प्रगति नहीं हुई है. शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के निदेशक झाओ गनचेंग ने अपने लेख में कहा कि जब मोदी ने पिछले सप्ताह चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वेइबो से चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग को उनके 60 वें जन्मदिन की बधाई दी तो उन्होंने एक बार फिर दर्शाया कि वह सोशल मीडिया एकाउन्ट के जरिए कूटनीति को कितना महत्व देते हैं.

सरकारी दैनिक ग्लोबल टाइम्स के वेब संस्करण में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि ट्विटर की तरह वेइबो पर उनके एकाउन्ट के 10 हजार से अधिक फॉलोवर हैं. मोदी के सोशल मीडिया अभियान के सिर्फ चीन तक सीमित नहीं होने की बात पर गौर करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी ने ऐसा काम अमेरिका, रुस और जापान के लिए भी किया. इस कदम का लक्ष्य विश्व को यह संदेश देना है कि भारत अधिक खुला है और ताजा रुझानों के साथ अद्यतन है.

इसमें कहा गया है, ‘इसके अलावा दोनों देशों के लोग एक-दूसरे को मित्र नहीं समझते हैं. कुछ भारतीय चीन को सबसे बडा खतरा मानते हैं तो कुछ चीनी भी भारत को नकारात्मक तरीके से देखते हैं.’ लेख में कहा गया है, ‘इस मामले में मोदी का वेइबो एकाउन्ट और चीन के लोगों के साथ उनके संवाद का द्विपक्षीय संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड सकता है.’ लेख में कहा गया है, ‘साथ ही इस तरह की कूटनीति द्विपक्षीय संबंधों में भी रचनात्मक भूमिका निभाएगी.’

लेख में कहा गया है, ‘द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करने वाली फिलहाल कोई बडी बाधा नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में कोई बडी प्रगति नहीं हुई है क्योंकि करने से ज्यादा बोला गया है.’ इसमें कहा गया है, ‘इसके अलावा जहां कुछ कठिन मुद्दों का हल निकाला जाना अब भी बाकी है, लेकिन यह अब भी खुला सवाल है कि कब दोनों देश स्वस्थ सहयोग को पूरी तरह पटरी पर लाएंगे, खासतौर पर सीमा विवादों की पृष्ठभूमि के मद्देनजर.’

सीमा वार्ता की गति तेज करने के दोनों देशों के प्रयासों का उल्लेख करते हुए लेख में कहा गया है कि मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के इस सप्ताह के उत्तरार्द्ध में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर एक-दूसरे से मिलना है, वहीं चीन भारत संबंध नयी सफलता के मुहाने पर होंगे अगर ‘उल्लेखनीय प्रगति हासिल करनी है और गतिरोध को तोडना है.’

Prabhat Khabar Digital Desk
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