15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

जानिए, क्या हैं ग्रीस के आर्थिक संकट के अबतक के दस अहम डेवलपमेंट

ऐसा लगता है कि सिंकदर महान जिसकी कीर्ति पूरी दुनिया में थी उसके देश ग्रीस यानी यूनान को किसी की नजर लग गयी. यह देश आज डिफाल्ट होने के कगार पर खडा है. वहां के लोग अपनी सरकार द्वारा लगाये गये आर्थिक प्रतिबंध के कारण भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. नकदी का अभाव […]

ऐसा लगता है कि सिंकदर महान जिसकी कीर्ति पूरी दुनिया में थी उसके देश ग्रीस यानी यूनान को किसी की नजर लग गयी. यह देश आज डिफाल्ट होने के कगार पर खडा है. वहां के लोग अपनी सरकार द्वारा लगाये गये आर्थिक प्रतिबंध के कारण भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. नकदी का अभाव है. देश पर उसके जीडीपी से कई गुणा अधिक कर्ज है, जिसे चुकाना उसके लिए मुश्किल ही नहीं असंभव भी है. यह खूबसूरत देश अपने प्राकृतिक संसाधनों का भी दोहन नहीं कर सका, जिस कारण इसकी आर्थिक हैसियत लगातार खराब होती गयी. लगता है, इतिहास खुद को दोहरा रहा है, जैसे विश्व विजय पर निकला सिंकदर महान भारत आकर अपने मुकद्दर से हार गया, वैसे ही उसका देश आज सैकडों साल बाद अपने वित्तीय कुप्रबंधन व बेतहाशा खर्च के कारण वित्तीय लडाई में हार की कगार पर खडा है. जानिए, अबतक ग्रीस के आर्थिक संकट से जुडे क्या हैं, दस अहम डेवलपमेंट :
1. ग्रीास और उसके कर्जदाताओं के बीच पिछले सप्ताह वार्ता विफल हो गयी थी, जिसके बाद इस हफ्ते बैंकों को बंद करना पडा. ग्रीस के आर्थिक संकट के कारण दुनिया भर के देशों के शेयर बाजार में गिरावट का रुख दिखा. ग्रीस को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को 60 करोड यूरो का कर्ज चुकाना है.
2. ग्रीस की जनता सडकों पर उतर कर खर्चे कम करने के लिए लगाये गये प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. सोमवार को 17 हजार लोग सडक पर उतरे. लोग संसद भवन के सामने भी जुटे हुए हैं. प्रदर्शनकारी यूरोपीय यूनियन के कार्यालय के बाहर यूरो नोट में आग लगा कर अपना विरोध जता रहे हैं. प्रदर्शनकारी अपने हाथों में ग्रीस का झंडा लेकर विरोध जता रहे हैं.
3. इस बीच यूरोपीय संघ ने ग्रीस पर यूरोजोन से बाहर होने के मंडराते खतरे के हल के लिए एक नया प्रस्ताव पेश किया. यूरोपीय संघ की कार्यकारी शाखा के प्रमुख क्लॉड जंकर ने ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास को एक प्रस्ताव देकर कहा कि गरीब पेंशन धारकों को बोनस के भुगतान में कटौती करने की मांग पर रियायत दी जा सकती है. यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने कहा है कि इस रियायत के बदले प्रधानमंत्री सिप्रास को कर्जदाताओं की मांगें माननी पडेंगी, जिन्हें अबतक वे ठुकराते रहे हैं.
4. ग्रीस को संकट से उबारने की दिशा में कल तब एक सार्थक पहल हो पायी, जब इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हस्तक्षेप किया. उन्होंने यूरो जोन की दो प्रमुख अर्थव्यवस्था फ्रांस व जर्मनी के राष्ट्रप्रमुखों से फोन पर बात की. बराक ओबामा ने फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद और जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल को फोन कर इस पूरे मामले में पहल करने का सुझाव दिया, जिसके बाद दोनों नेताओं ने सक्रियता दिखायी.
5. यूरोपीय संघ ने ग्रीस की जनता को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने पांच जुलाई, रविवार को होने वाले जनमत संग्रह में उनके देश को कर्ज देने वालों देशों के प्रस्ताव के विरुद्ध वोट दिया, तो इसका मतलब होगा कि वे यूरो क्षेत्र से बाहर हो जायेंगे. इस चेतावनी के बाद अब यह ग्रीस की जनता पर निर्भर करता है कि वे कौन सा रास्ता चुनते हैं. बहरहाल, ऐसी चेतावनी से लोगों का आक्रोश और भडका हुआ है.
6. वहीं, ग्रीस के वामपंथी प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास अपने रुख पर कायम हैं. उन्होंने कल शाम अपने देश पर सरकारी टेलीविजन से बातचीत में जनता से प्रस्ताव के विरोध में वोट देने की अपील की. हालांकि उन्होंने यह इशारा किया कि अगर उनके देश की जनता कर्ज देने वाले देशों के प्रस्ताव के समर्थन में वोट करती है, तो वे उस फैसले का सम्मान तो करेंगे, लेकिन खुद पद छोड देंगे. उन्होंने कहा है कि खर्च में कटौती का जो प्रस्ताव देश को मिला है, वह अपमानजनक है.
7. मशहूर रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुवर्स ने ग्रीस के आर्थिक संकट पर उसकी नये सिरे से रेटिंग की है. इस एजेंसी ने उसे सीसीसी माइनस का ग्रेड दिया है. एजेंसी ने कहा है कि इस बात की 50 प्रतिशत संभावना है कि ग्रीस यूरो जोन में बना रहेगा.
8. रविवार को यूरोपीयन सेंट्रल बैंक ने ग्रीस के छह बिलियन यूरो कर्ज देने के आग्रह को ठुकरा दिया था. इस कारण वहां के बैंकों को बंद करना पडा. जनमत संग्रह तक उनके कामकाज पर रोक है. सरकार ने एटीएम मशीनों से 60 यूरो तक निकासी की सीमा निर्धारित कर दी है.
9. ग्रीस रविवार को होने वाले जनमत संग्रह को लेकर साफ तौर दो कैंप में बंट गया है. एक कैंप यस वोट के पक्ष में है, तो दूसरा नो. ग्रीस के प्रधानमंत्री खुद नो कैंप के अगुवा हैं. वे यूरोपीय यूनीयन के प्रस्तावों के विरोध में मत देने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं. वहीं, ज्यादातर विपक्ष यस कैंप में है. सोमवार को प्रधानमंत्री के समर्थकों ने बडे पैमाने पर सडक पर प्रदर्शन किया था, जो नारा लगा रहे थे : टॉक द बेलहाउट एंड गो. हालांकि लोगों में आशंकाएं व संशय यथावत कायम है.
10. ग्रीस ने बहुत आवश्यक सेवाओं मसलन, इलाज, मेडिसिन आदि के लिए एक व्यवस्था कायम किया है. जैसे किसी को इस मुश्किल दौर में अगर इलाज के लिए दूसरे देश जाना है, तो उसे ग्रीस के थ्रेजरी से अनुमति लेनी होगी. थ्रेजरी की एप्रुवल कमेटी उसका आग्रह की सत्यता व जरूरतों को परखेगी, जिसके बाद ही अनुमति देने या नहीं देने पर फैसला लिया जायेगा. यह व्यवस्था हर एक छोटे-छोटे केस के लिए है.
\
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel