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भारत का भरोसेमंद साझेदार बना रहेगा रूस : राष्ट्रपति मुखर्जी

राष्ट्रपति के विशेष विमान से : पाकिस्तान को हथियार आपूर्ति करने की रुस की योजना के बाद भी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि रुस रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्रों में भारत का भरोसेमंद साझेदार है, भले ही अन्य किसी देश से उसके संबंध बढ रहे हों. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रुस की पांच […]

राष्ट्रपति के विशेष विमान से : पाकिस्तान को हथियार आपूर्ति करने की रुस की योजना के बाद भी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि रुस रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्रों में भारत का भरोसेमंद साझेदार है, भले ही अन्य किसी देश से उसके संबंध बढ रहे हों.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रुस की पांच दिन की यात्रा के बाद लौटते समय अपने साथ गये संवाददाताओं से कहा, हमारा रिश्ता अलग है. रुस रक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में भरोसेमंद सहयोगी है और रहेगा, भले ही रुस या भारत ने अन्य देशों के साथ संबंध विकसित किये हों. मुखर्जी इस प्रश्न का उत्तर दे रहे थे कि क्या उन्होंने रुसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता में पाकिस्तान को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति के रुस के कदम का विषय उठाया.
रुस ने पाकिस्तान को रक्षा आपूर्तियों पर लगी अपनी रोक को हटा लिया है और दोनों पक्ष रक्षा संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं. दोनों देशों ने पिछले साल अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए एक सैन्य सहयोग समझौते पर दस्तखत किये थे. पाकिस्तान और रुस ने अपने पहले संयुक्त सैन्य अभ्यास के लिए भी सहमति जताई है.
मुखर्जी ने कहा कि रुस के अन्य देशों के साथ संबंधों के बावजूद भारत के साथ उसके संबंध मजबूत होते रहेंगे. उन्होंने एक बयान में कहा, भारत-रुस संबंध गहन मित्रता और आपसी विश्वास वाले हैं और क्षणिक राजनीतिक रुझानों से प्रभावित नहीं होंगे.
मुखर्जी ने कहा, भारत के इतिहास में कठिन क्षणों में रुस मजबूत आधार रहा है. भारत इस सहयोग के बदले सहयोग करता रहेगा. रुस हमारा सबसे महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार है और रहेगा तथा परमाणु ऊर्जा तथा हाइड्रोकार्बन, दोनों तरह की ऊर्जा संबंधी सुरक्षा के लिए सहयोगी है और बना रहेगा. उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा झलकाती है कि भारत रुस के साथ रणनीतिक साझेदारी को कितना महत्व देता है.
राष्ट्रपति ने कहा, हमने तेजी से बदल रहे वैश्विक राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक परिदृश्य पर भी चर्चा की. राष्ट्रपति पुतिन ने भारत के साथ संबंधों में विस्तार की अपनी पुरजोर प्रतिबद्धता दोहराई, जो आपसी विश्वास के असाधारण स्तर को रेखांकित करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच दिसंबर में दिल्ली में हुई वार्षिक शिखरवार्ता का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि रक्षा, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में आगे कदम बढाया गया.
उन्होंने कहा, हमने हाइड्रोकार्बन, उर्वरक, हीरा और कृषि उत्पादों से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में हमारे आर्थिक और व्यावसायिक सहयोग में ठोस प्रगति की है. मुखर्जी ने कहा कि भारत और यूरेशियन इकनोमिक यूनियन के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) पर संयुक्त कार्यसमूह जल्द अंतिम रुप देने के लिए भारत और रुस काम कर रहे हैं.
दोनों देश अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कॉरिडोर को प्रभावी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो ईरान और कैस्पियन महासागर के माध्यम से भारत और रुस को जोडेगा. राष्ट्रपति ने रुस यात्रा के दौरान द्वितीय विश्व युद्ध में रुस की जीत की याद में विक्टरी डे की 70वीं वर्षगांठ में भाग लिया.
जब मुखर्जी से पूछा गया कि क्या राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत की विश्व युद्ध से जुडे समारोहों में भागीदारी अधिक रही है तो उन्होंने कहा कि यह सही धारणा नहीं है क्योंकि वह खुद भी पहले भारत के रक्षा मंत्री के तौर पर ऐसे समारोह में भाग ले चुके हैं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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