इस्लामाबाद : पाकिस्तान में आज नौ और कैदियों को फांसी दे दी गयी. देश में मानवाधिकार संगठनों की आलोचना के वाबजूद फांसी देना जारी है. अधिकारियों ने बताया कि लाहौर, फैसलाबाद, रावलपिंडी, झांग, मियांवली और अटक सहित पंजाब के विभिन्न जेलों में बंद नौ कैदियों को आज फांसी दी गयी.
पाकिस्तान में कल भी उग्रवाद और हत्या के आरोपों में दोषी ठहराये गये 12 कैदियों को फांसी दी गयी थी. मृत्युदंड पर छह साल तक लगी रोक के हटने के बाद एक ही दिन में फांसी दिये जाने की यह सर्वाधिक संख्या थी.
पेशावर के एक सैनिक स्कूल में तालिबानी हमले के एक दिन बाद 17 दिसम्बर को बहाल की गयी मौत की सजा के बाद से अब तक 48 दोषियों को फांसी दी जा चुकी है. तालिबान के हमले में 150 से अधिक लोग मारे गये थे जिसमें अधिकांश बच्चे थे. देश में 8000 से अधिक ऐसे कैदी हैं जिन्हें मौत की सजा सुनायी जा चुकी है.
शुरुआत में फांसी को आतंकवाद के अपराध तक सीमित किया गया था लेकिन 10 मार्च को सरकार ने उन सभी को फांसी देने का फैसला किया जिन्हें मौत की सजा सुनायी गयी है.
देश में सन् 2008 में सैन्य शासन के जाने और लोकतांत्रिक सरकार आने के बाद से फांसी पर रोक लगी थी. फांसी दिये जाने के समर्थकों का तर्क है कि उग्रवाद से निपटने का एकमात्र यही तरीका है जबकि मानवाधिकार संगठनों ने इस पर कडी आपत्ति जतायी है.
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि पाकिस्तान में कई दोषियों की सजा भरोसेमंद नहीं है क्योंकि वहां मुश्किल से आपराधिक न्याय प्रणाली काम करती है और दोष कुबूल कराने के लिये उत्पीडन का सहारा लिया जाता है.
