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प्रभाव में आई वैश्विक हथियार संधि, भारत ने नहीं किये हस्ताक्षर

संयुक्त राष्ट्र : 85 अरब अमेरिकी डॉलर के वैश्विक हथियार व्यापार का नियमन करने वाली महत्वपूर्ण संधि आज से लागू हो गई. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की-मून ने कहा है कि इससे हथियारों को आतंकवादियों एवं मानवाधिकार उल्लंघनकर्ताओं के हाथों में जाने से रोकने में मदद मिलेगी. मून ने हथियारों के बड़े निर्यातकों और आयातकों […]

संयुक्त राष्ट्र : 85 अरब अमेरिकी डॉलर के वैश्विक हथियार व्यापार का नियमन करने वाली महत्वपूर्ण संधि आज से लागू हो गई. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की-मून ने कहा है कि इससे हथियारों को आतंकवादियों एवं मानवाधिकार उल्लंघनकर्ताओं के हाथों में जाने से रोकने में मदद मिलेगी. मून ने हथियारों के बड़े निर्यातकों और आयातकों को इस समझौते से जुड़ने के लिए कहा.

संयुक्तराष्ट्र महासभा द्वारा पिछले साल अप्रैल में स्वीकार की गई हथियार व्यापार संधि ऐसा पहला बहुपक्षीय समझौता है, जो किसी देश को उस स्थिति में ऐसे अन्य देशों को पारंपरिक हथियारों का निर्यात करने से कानूनी तौर पर रोकता है, जहां उसे पता हो कि इन हथियारों का इस्तेमाल जनसंहार, मानवता के खिलाफ अपराधों या युद्ध अपराधों में किया जा सकता है.
23 दिसंबर तक 60 देशों ने इस संधि को अंगीकार कर लिया था और 130 ने इसपर हस्ताक्षर कर दिए थे. उनके हस्ताक्षर ये संकेत थे कि वे इसे अपनाने के लिए तैयार हैं.
भारत उन 23 देशों में शामिल था, जिन्होंने पिछले साल संधि प्रस्ताव पर मतदान से खुद को अलग रखा था. भारत का कहना था कि इस प्रस्ताव के साथ संलग्न संधि मसौदा आतंकवाद और राज्येत्तर ताकतों के मामले में कमजोर है और इन चिंताओं का कोई जिक्र संधि के विशेष निषेधों में नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान ने कहा कि महासभा द्वारा इस संधि को स्वीकार किए जाने के दो साल से भी कम समय में इसका लागू हो जाना, सशस्त्र संघर्षों और हिंसा का शिकार बने क्षेत्रों, मानवाधिकार उल्लंघनकर्ताओं, आतंकियों और आपराधिक संगठनों को हथियारों के भेजे जाने पर रोक लगाकर लोगों को होने वाले कष्टों को कम करने के हमारे साझा संकल्प की पुष्टि करता है.
उन्होंने सभी देशों खासकर बड़े हथियार निर्यातकों एवं आयातकों को इस संधि से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया.
उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए, मैं (इस संधि से अब तक न जुड़े) देशों से अपील करता हूं कि वे बिना किसी देरी के इसे स्वीकार करें. रूस, चीन, भारत और पाकिस्तान जैसे हथियारों के बड़े निर्माताओं ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
जिन शीर्ष हथियार निर्यातकों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और इसे अंगीकार किया है, उनमें ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी शामिल हैं. विश्व के सबसे बड़े हथियार निर्यातक अमेरिका ने इस संधि पर सितंबर 2013 में हस्ताक्षर किए थे लेकिन सीनेट ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है.
बान ने कहा कि यह संधि वैश्विक हथियार व्यापार के मामले में जिम्मेदारी, जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का एक नया अध्याय शुरू करती है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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