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खुद हार गये बाजीगर

इस बार के चुनाव में जनता ने कई आश्चर्यजनक फैसले सुनाये. ऐसे बदलाव, जिसकी बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं थी. जनता ने जहां पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी नकार दिया, वहीं दर्जनों मंत्री रह चुके नेताओं और कई पार्टी प्रमुखों तक को हार का सामना करा दिया. कई ऐसी विधानसभा सीटों पर फेरबदल हो गये, जो किसी […]

इस बार के चुनाव में जनता ने कई आश्चर्यजनक फैसले सुनाये. ऐसे बदलाव, जिसकी बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं थी. जनता ने जहां पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी नकार दिया, वहीं दर्जनों मंत्री रह चुके नेताओं और कई पार्टी प्रमुखों तक को हार का सामना करा दिया. कई ऐसी विधानसभा सीटों पर फेरबदल हो गये, जो किसी खास दल के गढ़ हुआ करते थे और पिछले कई चुनावों में कोई खास दल का ही प्रत्याशी जीतता रहा था.

अर्जुन, सुदेश, बाबूलाल समेत कई बड़े नेता हारे

रांची: झारखंड विधानसभा के चुनाव में कई चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिले. सभी पूर्व मुख्यमंत्री अपनी सीट नहीं बचा पाये. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी व मधु कोड़ा को हार का सामना करना पड़ा. वहीं उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो भी अपनी सीट नहीं बचा पाये. सिल्ली सीट से सुदेश पिछले तीन विधानसभा से चुनाव जीतते आ रहे थे. इसी प्रकार अर्जुन मुंडा भी खरसांवा सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीत कर आये थे. बाबूलाल मरांडी इस बार धनवार और गिरिडीह सीट से चुनाव लड़े और दोनों जगह से हार गये. गिरिडीह पर बाबूलाल मरांडी तीसरे स्थान पर रहे. इन्हें मात्र 26665 वोट मिले. वहीं धनवार में दूसरे स्थान पर रहे, यहां से इन्हें 39922 मत से मिले. दुमका सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हार का सामना करना पड़ा.

छह प्रदेश अध्यक्षों की नहीं बची साख

चुनाव में इस बार विभिन्न राजनीतिक दलों के छह प्रदेश अध्यक्षों की साख नहीं बच पायी. सभी अपनी-अपनी सीट हार गये. झाविमो के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी गिरिडीह और धनवार सीट से हार गये. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो सिल्ली सीट पर 29 हजार से अधिक मतों से पराजित हुए. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत लोहरदगा से चुनाव नहीं जीत पाये. इसी प्रकार तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बंधु तिर्की मांडर सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाये. राजद के प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह गढ़वा और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो बाघमारा सीट से हार गये.

20 सीटों पर बढ़त कायम नहीं रख सकी भाजपा

लोकसभा चुनाव में भाजपा को 57 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी. छह माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में इनमें से 20 सीटों पर भाजपा अपनी बढ़त कायम नहीं रख सकी. लोकसभा चुनाव की तुलना में भाजपा को छोड़कर सभी दलों की सीट में बढ़ोतरी हुई. लोकसभा चुनाव में विधानसभा वाइज भाजपा को 57 सीटों पर बढ़त मिली थी. जबकि विधानसभा चुनाव में भाजपा 37 सीट ही जीत सकी. वहीं झारखंड मुक्ति मोरचा की सीट में लोकसभा की तुलना में बढ़ोतरी हुई. झामुमो को लोकसभा चुनाव में दस विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी. विधानसभा चुनाव में झामुमो के प्रत्याशी 19 सीट जीतने में सफल रहे. लोकसभा की तुलना में नौ सीटों पर झामुमो को बढ़त मिली. लोकसभा चुनाव में झारखंड विकास मोरचा को मात्र तीन विधानसभा क्षेत्र में बढ़त मिली थी. जबकि विधानसभा चुनाव में झाविमो आठ सीट जीतने में सफल रहा. कांग्रेस के सीटों में भी लोकसभा चुनाव की तुलना में तीन सीटों की बढ़ोतरी हुई.

पार्टी लोकसभा चुनाव में बढ़त विधानसभा में जीते

भाजपा 57 37

झामुमो 10 19

झाविमो 03 08

कांग्रेस 03 06

अंत समय में दल बदला और जीत भी हासिल की

रांची: विधानसभा चुनाव में कई प्रत्याशी ऐसे थे जिन्होंने अंतिम समय में अपना दल बला और चुनाव मैदान में कूदे. इनमें से करीब 17 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. इसमें से अनंत प्रताप देव को कांग्रेस ने टिकट दिया था, पर उन्होंने अंत समय में दल बदला और भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में आ गये. इसके बाद भी अपने प्रतिद्वंद्वी भानु प्रताप शाही से हार गये. अमित महतो ठीक चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए, लेकिन भाजपा का आजसू से तालमेल हो जाने के कारण तुरंत झामुमो का दामन थाम लिया. करीब दो दर्जन प्रत्याशियों ने दल बदल कर जीतने के लिए दूसरे दलों को अपनाया, जबकि इनमें से कुछ ही प्रत्याशी हारे.

इन्होंने दल बदल कर जीत हासिल की

नाम क्षेत्र पहले थे लड़े

अमित महतो सिल्ली भाजपा झामुमो

नवीन जायसवाल हटिया आजसू जेवीएम

स्टीफन मरांडी महेशपुर झाविमो झामुमो

जोबा मांझी मनोहरपुर निर्दलीय झामुमो

चमरा लिंडा विशुनपुर तृणमूल झामुमो

अमर कुमार बाउरी चंदनकियारी भाजपा जेवीएम

सत्येंद्र नाथ तिवारी गढ़वा जेवीएम भाजपा

ढुल्लू महतो बाघमारा जेवीएम भाजपा

निर्भय शाहाबादी गिरिडीह जेवीएम भाजपा

विदेश सिंह पांकी निर्दलीय कांग्रेस

राधा कृष्ण किशोर छतरपुर कांग्रेस भाजपा

फूलचंद मंडल सिंदरी जेवीएम भाजपा

रामचंद्र चंद्रवंशी विश्रमपुर राजद भाजपा

जय प्रकाश भोक्ता चतरा जेवीएम भाजपा

डॉ अनिल मुरमू लिट्टीपाड़ा जेवीएम झामुमो

योगेश्वर प्रसाद गोमिया आजसू झामुमो

जय प्रकाश वर्मा गांडेय माले भाजपा

हेमंत, चंपई व पटेल को छोड़ सभी मंत्री हार गये

मौजूदा हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों को छोड़ सारे सदस्य हार गये हैं. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी दुमका सीट से हार गये, लेकिन उन्होंने अपनी बरहेट सीट बचा ली. वहीं झामुमो के जेपी भाई पटेल व चंपई सोरेन भी अपनी सीट बचाने में सफल रहे. जेपी भाई पटेल मांडू व चंपई सोरेन सरायकेला से चुनाव जीते हैं.

इन दोनों को छोड़ झामुमो के अन्य दो, कांग्रेस के पांच व राजद के दो मंत्री चुनाव हार गये हैं. कांग्रेस के सारे मंत्री राजेंद्र सिंह, गीताश्री उरांव, केएन त्रिपाठी, बन्ना गुप्ता व मन्नान मल्लिक चुनाव हार गये हैं. वहीं राजद के दोनों मंत्री सुरेश पासवान व अन्नपूर्णा देवी भी अपनी सीट नहीं बचा सके. झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी व लोबिन हेंब्रम को भी हार का मुंह देखना पड़ा है.

नहीं देखा कभी हार का मुंह, हमेशा जीते

रांची: झारखंड के आठ विधायकों ने कभी हार का मुंह नहीं देखा, बल्कि हमेशा अपने प्रतिद्वंद्वी को हराया है. राज्य गठन के बाद हुए चुनाव से लेकर अब तक तीनों बार इन विधायकों ने जीत हासिल की है. यहां वर्ष 2005, 2009 व 2014 में चुनाव हुए. इन तीनों चुनाव में आठ ऐसे उम्मीदवार रहे, जो कभी नहीं हारे.

लगातार इनलोगों ने जीत हासिल की है. इनमें सीपी सिंह, रघुवर दास, नीलकंठ सिंह मुंडा भाजपा के हैं. इसके अलावा झाविमो के प्रदीप यादव और आजसू के चंद्र प्रकाश चौधरी हैं, जबकि जगन्नाथ महतो व नलिन सोरेन झामुमो के हैं. बाद में वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और जीत हासिल की. इस बार उन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. ऐसे नेताओं को जनता का प्यार लगातार मिलता रहा है.

2005, 2009 व 2014 में भी जीते ये विधायक

विधायक क्षेत्र पार्टी

सीपी सिंह रांची भाजपा

रघुवर दास जमशेदपुर (इस्ट) भाजपा

प्रदीप यादव पोड़ैयाहाट जेवीएम

चंद्रप्रकाश चौधरी रामगढ़ आजसू

नीलकंठ सिंह मुंड खूंटी भाजपा

नलिन सोरेन शिकारीपाड़ा झामुमो

जगन्नाथ महतो डुमरी झामुमो

बगोदर : लालगढ़ में केसरिया धमक

विधानसभा चुनाव में बगोदर का चुनाव परिणाम ने सबको चौंकाया है. 25 वर्षो से माले के कब्जे बगोदर रहा. माले के स्व महेंद्र प्रसाद सिंह यहां से तीन बार विधायक रहे. उनकी राजनीति विरासत को विनोद सिंह ने आगे बढ़ाया. महेंद्र सिंह की शहादत के बाद वर्ष 2005 में विधायक बने. वह 2009 में दुबारा चुने गये. इस बार भाजपा के प्रत्याशी नगेंद्र महतो ने शिकस्त दी. नगेंद्र महतो बगोदर में पुराने चेहरे हैं. माले के खिलाफ लगातार चुनाव लड़ रहते हैं. पिछला चुनाव झाविमो की टिकट से लड़े थे. नगेंद्र महतो के सहारे केसरिया रंग ने लाल गढ़ में धमक दी है. बगोदर में मोदी लहर में लाल लहर काम नहीं आया. विनोद सिंह चार हजार से ज्यादा वोट से हार गये. हालांकि बगल की राजधनवार की सीट जीत कर माले ने अपना हिसाब बराबर कर लिया है. राजधनवार सीट पर राजकुमार यादव लंबे समय से संघर्ष करते रहे हैं. पिछले चुनाव में भी बहुत कम अंतर से हारे थे.

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