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चीन ने विशेष प्रतिनिधि के रुप में डोभाल का स्वागत किया

बीजिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को चीन-भारत सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए जाने का स्वागत करते हुए बीजिंग ने आज इन खबरों का खंडन किया कि उसने ‘अहम मुकाम’ पर पहुंच चुकी बातचीत के लिए उच्चतर स्तर के अधिकारी की मांग की थी. चीन के विदेश मंत्रलय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग […]

बीजिंग: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को चीन-भारत सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए जाने का स्वागत करते हुए बीजिंग ने आज इन खबरों का खंडन किया कि उसने ‘अहम मुकाम’ पर पहुंच चुकी बातचीत के लिए उच्चतर स्तर के अधिकारी की मांग की थी.
चीन के विदेश मंत्रलय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘डोभाल को चीन-भारत सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है. चीन इस कदम का स्वागत करता है और उपयुक्त माध्यमों से उन्हें बधाई देगा. हालांकि, उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए इन खबरों का खंडन किया कि चीन प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए एक उच्चतर स्तर का अधिकारी चाहता था, जो चीनी प्रतिनिधि यांग जीची के समकक्ष हो. जीची स्टेट काउंसिल में काउंसिलर हैं और उन्हें मंत्री का दर्जा प्राप्त है.
हुआ ने रैंक को लेकर मतभेदों पर कहा, मैंने ऐसा कभी नहीं सुना. अधिकारियों ने यहां कहा कि डोभाल की नियुक्ति से चीन उसी तरह खुश है जैसा उनके पूर्ववर्ती के साथ था.
अतीत में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त एनएसए आम तौर पर चीन के साथ सीमा वार्ता पर विशेष प्रतिनिधि रहे हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि मई में एनएसए नियुक्त डोभाल को फिलहाल राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया गया है या नहीं.
भारत में आई शुरुआती खबरों में कहा गया था कि प्रोटोकॉल का मुद्दा उस वक्त आया था जब सरकार ने पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन को सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि नियुक्त करने पर विचार किया था.
एनएसए का प्रभार संभालने के बाद डोभाल ने सितंबर में बीजिंग की यात्र की थी. चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भारत दौरे से पहले चीन की यात्रा की थी और उनसे तथा अन्य शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी.
वार्ता के 17 वें दौर में हुई प्रगति के बारे में हुआ ने कहा कि दोनों पक्षों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीमावर्ती इलाके की शांति एवं स्थिरता की सुरक्षा के लिए उन्हें साथ काम करना होगा.
उन्होंने कहा, हम आखिरी समझौते पर पहुंचने के अहम मुकाम पर आ गए हैं और कुछ सिद्धांत तय भी हो चुके हैं. इस बात से उनका इशारा विवाद को हल करने के लिए दोनो देशों के बीच 2005 में हुए निर्देशित सिद्धांतों की ओर था.
गौरतलब है कि चीन के मुताबिक सीमा विवाद 2,000 किलोमीटर में है, जिनमें अधिकांश भाग अरुणाचल प्रदेश में पड़ता है जबकि भारत का कहना है कि विवाद सीमा के पश्चिमी छोर में 4,000 किलोमीटर क्षेत्र को लेकर है.
भारत और चीन ने वर्ष 2003 में विशेष प्रतिनिधि स्तर का तंत्र स्थापित किया था ताकि सीमा विवाद का एक समाधान निकल सके. दोनों पक्षों ने अब तक 17 दौर की वार्ता की है और कुछ प्रगति भी की है.
आखिरी दौर की वार्ता फरवरी में दिल्ली में तत्कालीन एनएसए शिवशंकर मेनन और यांग के बीच हुई थी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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