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बड़े नेताओं को जमीन बचाने की थी चिंता

गंठबंधन को लेकर बैक फुट पर रही आजसू रांची : भाजपा के साथ समझौता करने के लिए आजसू बैक फुट पर गयी. भाजपा ने गंठबंधन में अपने नफा को तौल कर समझौता किया. आजसू को गंठबंधन की लाचारगी में कई मोरचे पर समझौता करना पड़ा. बड़े नेताओं को अपनी जमीन बचाने की चिंता थी. समझौता […]

गंठबंधन को लेकर बैक फुट पर रही आजसू
रांची : भाजपा के साथ समझौता करने के लिए आजसू बैक फुट पर गयी. भाजपा ने गंठबंधन में अपने नफा को तौल कर समझौता किया. आजसू को गंठबंधन की लाचारगी में कई मोरचे पर समझौता करना पड़ा. बड़े नेताओं को अपनी जमीन बचाने की चिंता थी. समझौता में पार्टी के छह विधायकों में पांच ने अपनी जमीन की घेराबंदी तो कर ली, लेकिन हटिया सीट की कुरबानी देनी पड़ी. अंत तक भाजपा हटिया सीट के लिए अड़ी रही. मशक्कत-मुश्किल से उपचुनाव जीतने वाले नवीन जायसवाल भाजपा-आजसू की घेराबंदी से बाहर हो गये.
वहीं बरही सीट भी आजसू के हाथ से निकल गयी. तिलेश्वर साहू की हत्या के बाद उनकी पत्नी साबी देवी को आजसू ने आगे किया था. सहानुभूति भी बटोरी थी, लेकिन अब समझौता में सीट भाजपा के पास है. उधर ईचागढ़, मांडू, पांकी, लातेहार, सिसई, हजारीबाग, बोकारो जैसी सीट पर आजसू समीकरण प्रभावित कर सकता था. पिछले दिनों ऐसे दर्जन भर से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में आजसू की राजनीतिक सक्रियता बढ़ी थी.
आजसू का मुकाबला भाजपा से नहीं रहा
भाजपा-आजसू का गंठबंधन हो गया है. लेकिन पिछले चुनाव का परिणाम देखें, तो आजसू जिन सीटों पर जीत दर्ज की है, उसमें एक सीट छोड़ कहीं दूसरे जगह पर भाजपा मुकाबले में नहीं रही है. आजसू की टक्कर कांग्रेस या फिर झाविमो से हुई थी. लोहरदगा में कमल किशोर भगत कांग्रेस के सुखदेव भगत को 606 वोट से हरा कर आये. उमाकांत रजक को झाविमो के उम्मीदवार अमर बाउरी से चुनौती मिली. वहीं सिल्ली में सुदेश महतो को झाविमो के ही अमित महतो ने टक्कर दिया. गोमिया में भी आजसू के योगेंद्र महतो कांग्रेस के माधव लाल से हारे. रामगढ़ में भी चंद्र प्रकाश चौधरी का मुकाबला कांग्रेस से था. जुगसलाई में रामचंद्र सइस का मुकाबला भाजपा की राखी राय से था. ऐसे में भाजपा के साथ गंठबंधन आजसू की जमीन की मजबूत घेराबंदी कर पाये, संभावना नहीं दिखती. हालांकि गंठबंधन का अपना नफा-नुकसान होता है.
स्थिरता के लिए गंठबंधन जरूरी : आजसू
रांची : आजसू पार्टी ने भाजपा के साथ गंठबंधन को लेकर मंगलवार को सफाई दी है. आजसू पार्टी का कहना है कि राज्य के विकास के लिए गंठबंधन जरूरी है. पार्टी प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा है कि झारखंड के नव निर्माण और विकास को आधार मान कर आजसू पार्टी ने भाजपा के साथ गंठबंधन किया है. यह गंठबंधन आजसू के विजन को आगे बढ़ाने के लिए उठाया गया कदम है. डॉ भगत ने कहा है कि झारखंड राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है.
राज्य के विकास के लिए राजनीतिक स्थिरता जरूरी है. आजसू-भाजपा गंठबंधन राजनीतिक स्थिरता और स्थिर सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. आजसू नेता डॉ भगत ने कहा है कि सुदेश कुमार महतो को भाजपा नेतृत्व ने सक्षम नेतृत्व मानते हुए अपना सहयोगी माना है. इसका लाभ राज्य को मिलेगा. आजसू पार्टी झारखंड के नवनिर्माण और विकास के लिए कृत संकल्प है.
वर्तमान गंठबंधन इसी कड़ी को आगे बढ़ाने के लिए सार्थक पहल है. यह गंठबंधन एक साझा प्रयास है. गंठबंधन को जनादेश की मुहर भी लगेगी. आजसू पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी.

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