<figure> <img alt="नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/11982/production/_110866027_gettyimages-1128362264.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहली बार सत्ता में आने से पहले भारतीय जनता पार्टी सिर्फ़ सात राज्यों में सत्ता संभाल रही थी. मार्च 2018 आते-आते बीजेपी तेज़ी से बढ़ते हुए 21 राज्यों में सरकार बनाने में सफल रही.</p><p>लेकिन राज्यों में बीजेपी का विजय रथ 2018 से रुकना शुरू हुआ. बीजेपी ने उन कई बड़े और महत्वपूर्ण राज्यों में सत्ता गंवाई जहां उसे हरा पाना मुश्किल समझा जाता था. </p><p>साल 2019 में महाराष्ट्र और फिर झारखंड के चुनावी नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं रहे. हरियाणा में पार्टी बहुमत हासिल करने में नाकाम रही और उसे सत्ता में आने के लिए जजपा से गठबंधन करना पड़ा. </p><p>साल 2018 के विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था और अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के जो नतीजे आए हैं उनमें पार्टी दहाई के अंक तक भी नहीं पहुंच पायी है.</p><p>लेकिन क्या वजह है कि जो पार्टी आम-चुनावों में बहुमत लेकर आती है वो विधानसभा चुनावों में बीते दो साल में पिटती नज़र आ रही है.</p><h1>क्या कहते हैं आँकड़े</h1><p>अगर आंकड़ों पर ग़ौर करें तो साल 2014 में जब बीजेपी बहुमत के साथ सत्ता में आई था तो उसी के साथ राज्यों में भी उसने बेहतर प्रदर्शन किया था. इसकी एक बड़ी वजह ये मानी जा सकती है कि लोकसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी पूरे देश का माहौल बदलने में कामयाब रही थी. मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व ने इसमें बड़ी भूमिका अदा की थी.</p><p>फिर साल 2019 के आम चुनावों में पार्टी और ज़्यादा सीटों के साथ सत्ता में आई लेकिन इन चुनावों के महज़ छह महीने के बाद जो विधानसभा चुनाव हुए उसमें पार्टी पहले जैसा प्रदर्शन करने में नाकामयाब रही. </p><p>हालांकि नाकामयाबी का ये दौर दिसंबर 2018 से ही शुरू हो गया था जब बीजेपी को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार का स्वाद चखना पड़ा था. </p><figure> <img alt="बीजेपी" src="https://c.files.bbci.co.uk/330A/production/_110866031_gettyimages-1198381644.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>आख़िर क्या वजह है</h1><p>तो अब सवाल ये है कि आख़िर जो पार्टी आम चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन के साथ सत्ता में आती है वो विधानसभा चुनावों में अच्छा क्यों नहीं कर पा रही?</p><p>सीएसडीएस के संजय कुमार कहते हैं कि अगर मतदाताओं के दृष्टिकोण से देखें तो अब मतदाता देश और राज्य के आधार पर अलग-अलग सोचकर वोट करता है.</p><p>संजय कुमार कहते हैं "अब मतदाता बहुत सोच-समझकर वोट करता है. वो वोट करने से पहले ये सोचता है कि वो राज्य की सरकार चुन रहा है या फिर केंद्र की सरकार. अगर इस बात को और बेहतर तरीक़े से समझना है तो साल 2019 में ओडिशा में हुए चुनाव को ही उदाहरण मान लें. एक ही दिन विधानसभा के भी चुनाव हुए और उसी दिन लोकसभा के भी. लेकिन जनता ने राज्य सरकार के लिए बीजेडी को चुना और केंद्र में सत्ता के लिए बीजेपी को."</p><p>संजय कहते हैं कि हालिया विधानसभा चुनावों में जिन-जिन राज्यों में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है वहाँ या तो बीजेपी की सरकार ने अच्छा काम नहीं किया था या फिर वहां उनकी कोई सशक्त लीडरशिप नहीं थी.</p><p>वो कहते हैं, "साल 2014 से 2018 के बीच में बीजेपी ने सिर्फ़ केंद्र में ही अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, राज्यों में भी अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन इसकी एक बड़ी वजह ये थी कि बीजेपी से पहले उन राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी. जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी वहां लोगों में पार्टी के प्रति नाराज़गी थी, ऐसे में कांग्रेस के खिलाफ़ एक मूड बना और इन सबका फ़ायदा बीजेपी को मिला. लेकिन वो फ़ेज़ पाँच साल में पूरा हो गया और अब लोगों में बीजेपी के प्रति वही रुख़ है, जिसका बीजेपी को नुकसान हो रहा है."</p><p>संजय कुमार ये मानते हैं कि बीजेपी ने राज्यों के चुनावों में कोई सशक्त चेहरा नहीं दिया जिसका बेशक कुछ ना कुछ उसे नुक़सान उठाना पड़ा है.</p><h1>क्या नेतृत्व का दोष है? </h1><p>हालांकि संजय ये स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि हर विधानसभा चुनाव में मिली हार या कम सीट को एक ही आधार पर नहीं देखा जा सकता. वो कहते हैं, "हर राज्य के अपने मुद्दे होते हैं. अब अगर बात करें दिल्ली की तो ना तो दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी और दूसरे की दिल्ली में आप ने अच्छा काम किया था तो उन्होंने अपने काम के दम पर चुनाव लड़ा. जनता को अपने काम के बारे मे बताया भी. वहीं बीजेपी के पास दिल्ली में कुछ था ही नहीं कहने को तो उन्होंने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर ही बात की."</p><p>संजय कहते हैं कि अगर बात हरियाणा और झारखंड के चुनावों की करें तो वहां पर उनकी सरकार थी और उनकी सरकार ने वहाँ अच्छा काम नहीं किया जिसकी वजह से वो वहां भी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर ही रहे क्योंकि उनके पास कुछ और कहने-बताने को नहीं था. </p><p>वो कहते हैं, "बीजेपी भले ही राष्ट्रवाद को मुद्दा मानती हो लेकिन राज्य चुनावों में जनता ने उन मुद्दों को नकार दिया. क्योंकि जनता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भले ही राष्ट्रवाद मुद्दा हो लेकिन राज्य स्तर पर वो अपने लिए राज्य स्तरीय मुद्दों को अहमियत देते हैं."</p><p>नव-निर्वाचित अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में यह बीजेपी का पहला चुनाव था तो क्या इस हार के लिए उन्हें ज़िम्मेदार माना जाएगा कि वो नब्ज़ पकड़ नहीं पाए?</p><p>इस सवाल के जवाब में संजय कुमार कहते हैं कि फ़िलहाल तो जेपी नड्डा पर सवाल उठाना जल्दबाज़ी ही होगी और भले ही नड्डा के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया हो लेकिन लीड तो अमित शाह ही कर रहे थे.</p><p>हालांकि संजय ये भी ज़ोर देकर कहते हैं कि चाहे जो हो जाए बीजेपी के लिए राष्ट्रवाद शुरु से मुख्य मुद्दा रहा है और चाहे जो हो जाए वो इसे किसी सूरत में छोड़ेगी नहीं.</p><p>वो कहते हैं बीजेपी राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों के दम पर मतदाताओं को अपनी ओर करने में भरोसा रखती है. लेकिन विधान सभा चुनावों में मतदाता इस सोच के साथ वोट करता है कि इन सभी मुद्दों की राज्य सरकार के स्तर पर क्या भूमिका होगी.</p><figure> <img alt="मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/A83A/production/_110866034_gettyimages-1171484349.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>वोटर की मानसिकता बदली है</h1><p>वरिष्ठ पत्रकार अदिति फडनीस की मानें तो राष्ट्र स्तर के मुद्दे और राज्य स्तर के मुद्दे बहुत अलग होते हैं. </p><p>वो कहती हैं "वोटर को अब गंभीरता से लेना होगा क्योंकि आज का वोटर बेहद परिपक्व और समझदार है. वोटर को अच्छी तरह मालूम है कि केंद्र सरकार उसके लिए क्या करती है और राज्य सरकार उसके लिए क्या करती है. वो उसी आधार पर वोट करता है कि उसे राज्य सरकार से क्या चाहिए और केंद्र से क्या चाहिए."</p><p>अदिति कहती हैं कि इस आदार पर अगर कहें तो "आने वाले समय में बिहार और बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं. वहां पर भी हमने देखा है कि आम चुनावों में बीजेपी के पक्ष में परिणाम थे लेकिन राज्य के चुनाव के लिए जो परिणाम आएंगे वो शायद अलग होंगे." </p><p>अदिति मानती हैं कि जिस तरह से वोटर राज्य और राष्ट्र के स्तर पर अलग-अलग तरह से वोट कर रहे हैं वो बिल्कुल नए तरह का ट्रेंड है और पार्टियों को ये समझना होगा कि राष्ट्रीय मुद्दे राज्य के मुद्दे नहीं बन रहे.</p><p>हरियाणा चुनाव के नतीजों का उदाहरण देते हुए वो कहती हैं कि हरियाणा में पहले भी बीजेपी की ही सरकार थी लेकिन हाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. इसका एक बड़ा कारण ये हो सकता है कि लोगों को लगता हो कि राज्य सरकार ने उनके लिए उतना अच्छा काम नहीं किया और इस वजह से उन्होंने विपक्ष को मज़बूत किया है ताकि सत्तारुढ़ पार्टी निरंकुश ना हो जाए. </p><p>वोटरों की सोच से इतर अदिति राज्य सरकारों के प्रदर्शन को भी विधानसभा चुनाव के परिणामों का एक बड़ा और अहम पहलू मानती हैं.</p><p>वो कहती हैं " बीजेपी की ओर से प्रदर्शन को लेकर सबसे बड़ी चूक हो रही है. लेकिन इसका सबसे बड़ा टेस्ट उत्तर प्रदेश में देखने को मिलगा, जहां केंद्र और राज्य सरकार दोनों काम करने का दावा करती हैं. "</p><p><strong>ये भी पढ़ें </strong></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51467820?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दिल्ली विधान सभा चुनाव: ये हैं सबसे अधिक और कम अंतर वाली सीटें</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51455116?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दिल्ली चुनाव: बीजेपी को शाहीन बाग का फायदा हुआ?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51462117?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">केजरीवाल के गारंटी कार्ड में ये हैं 10 काम का वादा</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51457486?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दिल्ली चुनाव नतीजे: केजरी’वॉल’ ने कैसे दी ‘शाह’ को मात </a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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