<figure> <img alt="मेरी कॉम कैसे चुनौतियों से लड़कर चैम्पियन बनी" src="https://c.files.bbci.co.uk/F65F/production/_110717036_b62206d5-a641-4052-9d0e-c4aec0a7503a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>’बॉक्सिंग में एक मैरी कॉम है और एक ही रहेगी. दूसरी मैरी कॉम गढ़ना मुश्किल है!’ </p><p>इस तरह की बातें आप सुनते रहते होंगे. जब आप छह बार विश्व चैम्पियन रहीं और पद्म विभूषण मैरी कॉम से बात करते हैं तो -हर ओर उनके चहचहाने की आवाज़ गूंजती है. </p><p>मैरी कॉम हर वक्त आत्म विश्वास से भरी नज़र आती हैं. उनका मानना है कि वो आज जो कुछ भी हैं, वो इसलिए हैं क्योंकि ईश्वर उनसे बहुत प्यार करते हैं.</p><p>37 साल की उम्र में मैरी के पास विश्व चैम्पियनशिप के सात गोल्ड मेडल होने का रिकॉर्ड है, उनके पास ओलंपिक का कांस्य पदक है (वो ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली और इकलौती भारतीय महिला बॉक्सर हैं), उनके पास एशियन और कॉमनवेल्थ गोल्ड भी है. </p><p>इनमें से ज़्यादातर मेडल उन्होंने मां बनने के बाद जीते हैं. 2005 में उन्होंने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था, वो भी सिजेरियन डिलीवरी के ज़रिए. </p><p>वो जानती हैं कि टॉप पर बने रहने के लिए और मुकाबला करने के लिए क्या चाहिए होता है. उनकी कड़ी मेहनत ही उन्हें आत्मविश्वास देती है. </p><h1>रिंग में आप अकेले होते हैं…</h1><p>मैरी की लंबाई पांच फ़ीट दो इंच है और उनका वज़न करीब 48 किलो है.</p><p>ये सोचना कितना मुश्किल लगता है ना कि इतनी कम लंबाई और दुबले-पतले शरीर वाली एक चैम्पियन हो सकती है?</p><p>कई लोगों को लगता है कि चैम्पियन की आंखों में माइक टायसन जैसा गुस्सा होना चाहिए और उसकी बॉडी लैंग्वेज मोहम्मद अली जैसी होनी चाहिए.</p><p>लेकिन मैरी जब रिंग में होती हैं तो उनके चेहरे पर एक मुस्कान होती है. लेकिन वो अपने खेल में बहुत तेज़ और केंद्रित भी रहती हैं.</p><p>उन्होंने बीबीसी से इंटरव्यू में कहा, "आपका कोच, सपोर्ट स्टाफ और परिवार आपको एक हद तक ही सपोर्ट दे सकता है. रिंग में आप अकेले होते हैं. रिंग के अंदर के वो 9 से 10 मिनट सबसे अहम होते हैं और आपको अपनी लड़ाई खुद लड़नी होती है. मैं ये बात अपने आप को बार-बार कहती हूं. और इस लड़ाई की तैयारी के लिए मैं शारीरिक और मानसिक तौर पर खुद पर काम करती हूं. मैं नई तकनीक सीखती हूं. मैं अपनी ताक़त और मजबूतियों पर काम करती हूं. मैं अपने प्रतिद्वंदियों के खेल को समझती हूं और स्मार्टली खेलने में यकीन करती हूं."</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/sport-51270169?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">खेल की दुनिया में महिला एथलीटों से कितनी उम्मीद?</a></li> </ul><figure> <img alt="मेरी कॉम कैसे चुनौतियों से लड़कर चैम्पियन बनी" src="https://c.files.bbci.co.uk/1192A/production/_110687917_2bf7bce0-ed3a-4cf1-a30e-855590bb69e2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>मैरी </strong><strong>अपने खेल और अपनी टेक्निक में कितनी स्मार्ट हैं?</strong></p><p>मैरी कहती हैं कि दो घंटे की बॉक्सिंग प्रैक्टिस काफी होती है, लेकिन अनुशासन होना बहुत ज़रूरी है.</p><p>फिटनेस और खान-पान के मामले में भी वो मानती हैं कि इसमें एक बैलेंस होना चाहिए, बहुत ज़्यादा नियम-कायदे की ज़रूरत नहीं है.</p><p>वो घर का बना मणिपुरी खाना खाती हैं. उबली सब्ज़ियों और मछली के साथ प्रोटीन से भरे चावल उनके खाने का हिस्सा हैं.</p><p>मैरी अपने लिए ख़ुद फ़ैसले लेती हैं. वो अपने मूड के हिसाब से प्रैक्टिस का वक्त तय करती हैं. वो कहती हैं कि 37 साल की उम्र में जीतने के लिए ऐसे बदलाव करने ज़रूरी हैं.</p><p>वो कहती हैं, "आज की मैरी और 2012 से पहले की मैरी में अंतर है. युवा मैरी एक के बाद एक लगातार पंच मारती थी. अब मैरी हमला करने के लिए सही वक्त का इंतज़ार करती है और इस तरह अपनी ऊर्जा बचाती हैं."</p><figure> <img alt="मेरी कॉम कैसे चुनौतियों से लड़कर चैम्पियन बनी" src="https://c.files.bbci.co.uk/1674A/production/_110687919_9cf507e5-d777-4e64-8212-fbf2da74ae3c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>आठ विश्व चैम्पियनशिप मेडल</h1><p>मैरी ने अपना अंतरराष्ट्रीय सफर 2001 में शुरू किया था. शुरुआत में वो अपनी शारीरिक ताक़त और सहन-शक्ति पर निर्भर रहती थीं. लेकिन आज वो अपनी स्किल्स पर ज़्यादा भरोसा करती हैं.</p><p>वो अकेली महिला हैं जो रिकॉर्ड छह बार वर्ल्ड एमेच्योर बॉक्सिंग चैंपियन रही हैं, इसके अलावा वो अकेली बॉक्सर हैं जिन्होंने पहली सात विश्व चैम्पियनशिप में हर बार एक मेडल जीता है और अकेली बॉक्सर हैं (महिला या पुरुष) जिन्होंने आठ विश्व चैम्पियनशिप मेडल जीते हैं. </p><p>वो एआईबीए विश्व महिला की रैंकिंग लाइट फ्लाइवेट केटेगरी में पहले पायदान पर रह चुकी हैं. वो दक्षिण कोरिया में 2014 में हुए एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज़ बनीं.</p><p>इसके अलावा 2018 के कॉमनवेल्थ खेलों में भी स्वर्ण पदक जीतने वाली वो पहली महिला मुक्केबाज़ रहीं. इसके साथ ही वो अकेली मुक्केबाज़ हैं, जो रिकॉर्ड पांच बार एशियन एमेच्योर बॉक्सिंग चैम्पियन रही हैं. लेकिन मणिपुर की इस लड़की का यहां तक का सफर आसान नहीं था.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/sport-51121738?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नेहा गोयल: फ़ैक्ट्रियों में काम कर मां ने बनाया सफल महिला हॉकी खिलाड़ी </a></li> </ul><figure> <img alt="मेरी कॉम कैसे चुनौतियों से लड़कर चैम्पियन बनी" src="https://c.files.bbci.co.uk/59C2/production/_110687922_080c1a5f-92c9-4aa2-8164-4e7f55bc52c3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>कभी हारना नहीं चाहती थी…</h1><p>बचपन से ही चुनौतियां उनकी ज़िंदगी का हिस्सा रही हैं.</p><p>वो एक बेहद ग़रीब परिवार से आती हैं, जहां उन्हें एक वक्त का खाना मुश्किल से मिल पाता था, जबकि उनके शरीर को तीन वक्त के खाने की ज़रूरत थी.</p><p>उन्होंने कभी अपने घर के कामों को नज़रअंदाज़ नहीं किया, लेकिन वो हमेशा एक बेहतर जीवन की उम्मीद करती थीं. वो हमेशा सोचती रहती थीं कि वो कैसे अपनी ज़िंदगी को बदल सकती हैं.</p><p>वो पढ़ाई में अच्छी नहीं थी, लेकिन खेलों में वो कमाल की थीं. इसमें उन्होंने अपना हाथ आज़माया.</p><p>उसी दौरान मणिपुर के डिंग्को सिंह ने बैंकॉक में हुए एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था. उन्हीं से प्रेरणा लेकर मैरी ने बॉक्सिंग ग्लव्स पहन लिए.</p><p>वो कहती हैं, "बॉक्सिंग ने मेरी ज़िंदगी में एक नया अध्याय शुरू किया और मुझे बेहतर ज़िंदगी जीना सिखाया. मैं कभी हारना नहीं चाहती थी, न ज़िंदगी में, ना ही बॉक्सिंग के रिंग में."</p><figure> <img alt="मेरी कॉम कैसे चुनौतियों से लड़कर चैम्पियन बनी" src="https://c.files.bbci.co.uk/2AE2/production/_110687901_dec6f9f8-67b2-4e9a-8cb7-dc7dc50af278.jpg" height="549" width="976" /> <footer>MARY KOM TWITTER</footer> </figure><h3>मुक्केबाज़ी कितनी आसान थी? </h3><p>मैरी ने 15 साल की उम्र में बॉक्सिंग शुरू की. क्योंकि वो छोटी और हल्की थीं, दूसरे छात्र उन्हें आसानी से हरा देते थे. </p><p>उनके चेहरे पर अक्सर चोटें आती थीं. लेकिन मैरी ने हार नहीं मानी.</p><p>वो कहती हैं, "मेरे पास कोई विकल्प नहीं था. आप मुझे मैट पर गिरा सकते थे, लेकिन मुझे ज़्यादा देर तक गिराए नहीं रख सकते थे. मुझे उठकर फिर लड़ना होता था."</p><p>साल 2000 में राज्य मुक्केबाज़ी प्रतिस्पर्धा जीतने के बाद मैरी ने मुड़कर नहीं देखा. अब वो अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के लिए तैयार थीं.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/sport-51218640?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">रग्बी खेल दुनिया में नाम कमाने वाली बिहार की लड़की</a></li> </ul><figure> <img alt="मेरी कॉम और उनके पति के.ऑनलर" src="https://c.files.bbci.co.uk/13806/production/_110687897_cb4bf41d-07df-4775-a9bd-c05b2400ce62.jpg" height="549" width="976" /> <footer>STR</footer> <figcaption>मैरी कॉम और उनके पति के.ऑनलर</figcaption> </figure><h1>स्पोर्ट्स कल्चर</h1><p>मैरी कॉम को के ऑनलर कॉम के रूप में एक बहुत ही समझदार जीवन साथी मिले, दोनों ने 2005 में शादी की थी. </p><p>दो साल बाद, मैरी ने अपने जुड़वा बेटों को जन्म दिया. ऑनलर ने घर में बच्चों को संभाला और मैरी ने वापस अपनी ट्रेनिंग शुरू की.</p><p>वो जब दोबारा रिंग में उतरी तो उन्होंने 2008 में अपना लगातार चौथा विश्व चैंपियनशिप गोल्ड जीता.</p><p>उस वक्त प्राइवेट न्यूज़ चैनलों के आने के साथ देश में स्पोर्ट्स कल्चर धीरे-धीरे विकसित हो रहा था. </p><p>और मैरी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाना मीडिया में सुर्खियां बन रहा था. वो लोकप्रिय हो गईं.</p><h1>नज़र 2020 के टोक्यो ओलंपिक पर</h1><p>इसी वर्ष (2020) मैरी कॉम को प्रतिष्ठित पद्म विभूषण अवॉर्ड के लिए चुना गया है. </p><p>पहली बार खेल मंत्रालय ने किसी महिला एथलीट का नाम इस अवॉर्ड के लिए आगे किया है. पद्म विभूषण, भारत रत्न के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है.</p><p>25 अप्रैल 2016 में भारत के राष्ट्रपति ने मैरी कॉम को राज्य सभा के सदस्य के तौर पर मनोनीत किया था. </p><p>वहां वो सक्रिय रहती हैं और अक्सर अपने गृह राज्य मणिपुर के स्थानीय मुद्दे उठाती देखी जाती हैं.</p><p>मैरी कॉम ने अपनी ग़रीबी को मात दी और चुनौतियों से लड़कर ओलंपिक तक का रास्ता बनाया.</p><p>आज भी तीन बच्चों की मां मैरी कॉम अपने सपनों के लिए लड़ रही हैं.</p><p>अब उनकी नज़र 2020 के टोक्यो ओलंपिक पर है, जहां वो अपना सातवां विश्व चैंपियनशिप टाइटल जीतना चाहती हैं.</p><figure> <img alt="बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवुमन ऑफ द ईयर अवार्ड" src="https://c.files.bbci.co.uk/11828/production/_110702717_6f62a0c5-b2e8-4c7c-a122-dbc81bdc0460.jpg" height="281" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, 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मैरी कॉम: BBC Indian Sportswoman of the Year की नॉमिनी
<figure> <img alt="मेरी कॉम कैसे चुनौतियों से लड़कर चैम्पियन बनी" src="https://c.files.bbci.co.uk/F65F/production/_110717036_b62206d5-a641-4052-9d0e-c4aec0a7503a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>’बॉक्सिंग में एक मैरी कॉम है और एक ही रहेगी. दूसरी मैरी कॉम गढ़ना मुश्किल है!’ </p><p>इस तरह की बातें आप सुनते रहते होंगे. जब आप छह बार विश्व चैम्पियन रहीं और पद्म विभूषण मैरी कॉम से बात करते हैं […]
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