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कोरोना वायरस: चीन के वुहान शहर में फंसे एक भारतीय परिवार की आपबीती

<figure> <img alt="आशीष यादव" src="https://c.files.bbci.co.uk/995E/production/_110826293_whatsappimage2020-02-09at5.34.55pm.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Ashish Yadav</footer> <figcaption>नेहा और आशीष यादव</figcaption> </figure><p>प्रोफ़ेसर आशीष यादव के अपार्टमेंट से बाहर का नज़ारा मानो थम चुका है.</p><p>बस ठंडी हवा है जो बह रही है, वरना दूर तक वीरान सड़कों के सिवा उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता.</p><p>बीते दो सप्ताह में उन्हें कई बार हथियारबंद सैनिक अपने […]

<figure> <img alt="आशीष यादव" src="https://c.files.bbci.co.uk/995E/production/_110826293_whatsappimage2020-02-09at5.34.55pm.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Ashish Yadav</footer> <figcaption>नेहा और आशीष यादव</figcaption> </figure><p>प्रोफ़ेसर आशीष यादव के अपार्टमेंट से बाहर का नज़ारा मानो थम चुका है.</p><p>बस ठंडी हवा है जो बह रही है, वरना दूर तक वीरान सड़कों के सिवा उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता.</p><p>बीते दो सप्ताह में उन्हें कई बार हथियारबंद सैनिक अपने अपार्टमेंट के बाहर घूमते दिखे हैं.</p><p>साथ ही चीन के सरकारी मीडिया के माध्यम से विचलित करने वाली कुछ सूचनाएं मिल रहीं हैं जो उनकी बेचौनी को और बढ़ा रही हैं.</p><p>जिस 32 मंज़िला अपार्टमेंट में आशीष ‘क़ैद’ होकर रह गए हैं, उसमें अब सिर्फ़ चार-पाँच चीनी परिवार ही बचे हैं. </p><p>उन्हें आशंका है कि उन तक कोई मदद पहुँच भी पाएगी. लेकिन वे जल्द से जल्द चीन के वुहान शहर से निकलना चाहते हैं.</p><figure> <img alt="Ashish Yadav" src="https://c.files.bbci.co.uk/12E6E/production/_110822477_f08c3215-f8cd-43ed-a78b-65db826892ef.jpg" height="849" width="976" /> <footer>Ashish Yadav</footer> <figcaption>आशीष यादव के अनुसार वे पिछले तीन हफ़्ते से अपने घर से नहीं निकल पाए हैं</figcaption> </figure><h1>पहली बार विदेश में डर का एहसास</h1><p>35 वर्षीय आशीष वुहान टेक्सटाइल यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं. </p><p>वे यूनिवर्सिटी कैंपस में स्थित अपने अपार्टमेंट के दो क़मरे के मकान में 22 जनवरी की रात से बंद हैं. उनके साथ उनकी पत्नी नेहा यादव भी हैं.</p><p>उत्तर प्रदेश के एटा ज़िले से वास्ता रखने वाले आशीष यादव बीते 12 वर्षों से विदेश में हैं. </p><p>अमरीका से उन्होंने फ़िज़िक्स की पढ़ाई की, फिर इटली से पीएचडी की और पाँच साल से चीन में नौकरी कर रहे हैं.</p><p>वे कहते हैं कि ‘ये पहली बार है, जब उन्हें विदेश में डर का अहसास हुआ है.'</p><p>आशीष एक साल पहले ही वुहान पहुँचे थे. वे लेज़रस्पेट्रोस्कोपी के विशेषज्ञ हैं. </p><p>पर वे अब एक ऐसे शहर में फंस गए हैं जो कोरोना नाम के जानलेवा वायरस का सबसे ज़्यादा प्रकोप झेल रहा है और इस बीमारी का केंद्र भी बताया गया है.</p><figure> <img alt="Wuhan" src="https://c.files.bbci.co.uk/AA66/production/_110822634_fca127fb-3bbd-4b7d-b8a2-3f11de65eaff.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>संख्या अधिक होने की आशंका</h1><p>अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने वाली कोई दवा तैयार नहीं की जा सकी है और आधिकारिक तौर पर इस वायरस से मरने वाले मरीज़ों की संख्या 800 से अधिक हो चुकी है. </p><p>ये संख्या 2003 में सार्स वायरस के फ़ैलने से हुई मौतों की संख्या को भी पार कर चुकी है. हालांकि आशीष से संपर्क में बने हुए उनके चीनी सहयोगियों को मरने वालों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा होने की आशंका है.</p><p>आशीष बताते हैं, &quot;जिन चीनी सोशल मीडिया ऐप्स का हम इस्तेमाल करते हैं, उन पर कई ग्रुप्स में मैं शामिल हूँ. चीन के जो लोग मेरे दोस्त हैं, वे कई अलग प्रांतों में रह रहे हैं, उनके अनुसार मरने वालों की संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती है. पर यहाँ सूचनाएं नियंत्रित हैं और मीडिया को रिपोर्ट करने की आज़ादी नहीं है. इसलिए ख़बरें नहीं मिलतीं, बल्कि सूचनाएं मिलती हैं जो सरकारी मीडिया जारी करता है.&quot;</p><figure> <img alt="Ashish Yadav" src="https://c.files.bbci.co.uk/20E6/production/_110822480_43c4e493-8d30-469d-9513-ba3a6b5cc5b3.jpg" height="1249" width="976" /> <footer>Ashish Yadav</footer> <figcaption>सभी बाज़ार 22 जनवरी 2020 से बंद हैं</figcaption> </figure><h1>डेढ लाख सैनिक शहर में उतारे गए</h1><p>बीबीसी से बातचीत में आशीष ने बताया, &quot;इस भयंकर वायरस के फ़ैलने की पहली सूचना हमें 26 दिसंबर 2019 को मिली थी. सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा होने लगी थी. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी कहा कि सब सतर्क रहें. लेकिन स्थानीय प्रशासन क़रीब तीन हफ़्ते तक स्थिति तो सामान्य बताता रहा.&quot;</p><p>&quot;इस बीच काफ़ी लोग चीनी नव वर्ष की छुट्टियाँ मनाने के लिए यूनिवर्सिटी छोड़ अपने-अपने प्रांत (घर) चले गए. हमारे अपार्टमेंट के अधिकांश लोग इसी दौरान वुहान से निकल गए थे. यूनिवर्सिटी में जो भारतीय छात्र हैं या नौकरीपेशा लोग हैं, उनमें से भी कुछ लोग निकल गए.&quot;</p><p>&quot;स्थानीय स्तर पर बताया जाता रहा कि स्थिति नियंत्रण में है और कुछ दिन में सब सामान्य हो जाएगा. इसलिए हम यहाँ बने रहे. लेकिन 21-22 जनवरी की दरमियानी रात को सारा शहर लॉक कर दिया गया. सभी सार्वजनिक सेवाएं बंद कर दी गईं, कह दिया गया कि अब कोई घर से बाहर ना निकले.&quot;</p><p>&quot;इसके बाद शहर में क़रीब डेढ़ लाख सैनिक उतार दिए गए ताकि वे लोगों को घरों से बाहर निकलने से रोकें. और ये सब बहुत तेज़ी से किया गया. इस वक़्त लोगों में इतना डर है कि अगर सरकार कुछ घंटों की ढील दे दे तो लोग शहर छोड़कर भागने लगेंगे.&quot;</p><figure> <img alt="आशीष यादव" src="https://c.files.bbci.co.uk/9616/production/_110822483_417f3da7-df5a-42f2-9921-ef41cc4f675b.jpg" height="949" width="976" /> <footer>Ashish Yadav</footer> <figcaption>वो कैंपस जहाँ आशीष यादव रहते हैं (कुछ दिन पुरानी फ़ोटो)</figcaption> </figure><h1>’पत्र है पर ज़रिया नहीं'</h1><p>रविवार सुबह चार सिपाही आशीष के अपार्टमेंट में आए जिन्होंने उनका और उनकी पत्नी नेहा का बुखार जाँचा और बताया कि उनकी बिल्डिंग को जल्द ही सील कर दिया जाएगा, ताकि वहाँ कोई आ ना सके.</p><p>पुलिस से मिली इस सूचना ने आशीष को अब और परेशान कर दिया है क्योंकि वे वहाँ से निकलने की सारी कोशिशें कर रहे थे. हालांकि सिपाहियों ने उन्हें एक अच्छी ख़बर भी दी, और वो ये कि उनके यूनिवर्सिटी कैंपस में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित कोई मरीज़ नहीं मिला है.</p><p>आशीष के मुताबिक़ स्थानीय प्रशासन से उन्हें अब तक कोई सहायता नहीं मिली है. सभी बाज़ार बंद हैं. गनीमत है कि यूनिवर्सिटी में उनके एक वरिष्ठ सहयोगी ने कुछ दिन पहले उन तक थोड़े चावल पहुँचा दिए थे जो शायद अगले दो दिन में ख़त्म हो जाएंगे.</p><p>आशीष दावा करते हैं कि बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने उन्हें चीन से निकलने का ‘आज्ञा-पत्र’ तो दे दिया है, पर अपार्टमेंट से निकलकर एयरपोर्ट पहुँचने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. उन्होंने बताया, &quot;भारतीय दूतावास ने जिस ड्राइवर का नंबर हमें दिया, उसने हमें एयरपोर्ट ले जाने से साफ़ मना कर दिया.&quot;</p><figure> <img alt="आशीष यादव" src="https://c.files.bbci.co.uk/242E/production/_110826290__110826288_152e94d4-8df4-4066-88dc-c7cedc6894a2.jpg" height="1209" width="976" /> <footer>Ashish Yadav</footer> </figure><p>आशीष कहते हैं कि ‘उन्हें उम्मीद थी कि भारत दो विमानों के बाद भी अपने लोगों को चीन से निकालने के लिए कोई विमान भेजेगा’, पर इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने अब तक कोई घोषणा नहीं हुई है.</p><p>आशीष ने बताया, &quot;भारतीय दूतावास चीनी प्रशासन से या तो बात नहीं कर रहा या वो उनकी सुन नहीं रहे. हमें समझ नहीं आ रहा. पर हॉटलाइन के जो नंबर दिये गए हैं, उन पर जिन लोगों से बात हुई, वे कोई हल नहीं निकाल पा रहे. फ़ोन मिलाने पर वे कहते हैं कि क़मरे में रहें, चिंता ना करें, ज़्यादा चिंता करेंगे तो बीमार हो जाएंगे.&quot;</p><p>बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने शनिवार को ख़ूबे प्रांत में फंसे भारतीयों के लिए अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कुछ हॉटलाइन नंबर जारी किये थे और दावा किया था कि ‘वो भारतीय नागरिकों को हर संभव मदद मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं.'</p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-51431830?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कोरोना वायरस को रूसी मीडिया अमरीकी साज़िश क्यों बता रहा?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-51401312?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कोरोना वायरस: पहली चेतावनी देने वाले डॉक्टर की मौत</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-51395395?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कोरोना वायरस: डर के चलते बिना मेहमान हुई शादी</a></li> </ul><figure> <img alt="सोशल मीडिया" src="https://c.files.bbci.co.uk/F49E/production/_110822626_07170a84-1911-48e4-a15a-8c413aa26aeb.jpg" height="1309" width="976" /> <footer>Ashish Yadav</footer> <figcaption>आशीष ने उन ग्रुप्स के कुछ चैट बीबीसी को भेजे जिनमें भारतीय लोग निराश होकर वहाँ फंसे होने की चर्चा कर रहे हैं</figcaption> </figure><h1>कोरोना वायरस: कितना ख़तरा?</h1><p>आशीष वुहान शहर में 43 और ख़ूबे प्रांत में रह रहे क़रीब 90 भारतीयों के बारे में जानते हैं और उनके अनुसार क़रीब 70 अब भी वहीं फंसे हैं.</p><p>उन्होंने कहा कि ‘उनके कुछ दोस्तों को बीते दो-तीन दिन से बुखार और अन्य लक्षण दिखाई दिए हैं. पर ये कोरोना वायरस से संबंधित हैं या नहीं, यहाँ इसकी कोई जाँच या मेडिकल मदद उन तक नहीं पहुँच पाई है.'</p><p>चीन के सरकारी मीडिया ने फ़िलहाल ये सूचना दी है कि 14 फ़रवरी को लॉकडाउन में थोड़ी ढील दी जाएगी. हालांकि मौजूदा हालात को देखते हुए यह तारीख़ आगे बढ़ाई भी जा सकती है.</p><p>चीन में अब तक क़रीब 35,000 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि की गई है. इसे देखते हुए चीन सरकार ने वुहान में एक और अस्थायी अस्पताल तैयार कर लिया है जिसमें 1500 मरीज़ों को रखा जा सकता है.</p><figure> <img alt="Reuters" src="https://c.files.bbci.co.uk/F11A/production/_110822716_9a8010bf-a5dc-48a1-b4b7-0ac1537f6949.jpg" height="649" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><h1>कितनी सतर्कता?</h1><p>विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार शनिवार तक 25 देशों में कोरोना वायरस से संक्रमित 270 से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है.</p><p>हांगकांग प्रशासन ने एक सख़्त आदेश जारी कर यह कहा है कि ‘जो लोग भी चीन के मुख्य भू-भाग से आ रहे हैं, उन्हें दो हफ़्ते तक होटल के कमरों या फिर सरकार द्वारा बनाए गए केंद्रों में अकेले रहना होगा.'</p><p>कई अन्य देशों ने भी ऐसे सख़्त प्रशासनिक आदेश जारी किये हैं ताकि कोरोना वायरस से संक्रमित लोग किसी भी तरह उनके यहाँ भीड़ का हिस्सा ना बन पाएं.</p><p>भारत सरकार भी दो किस्तों में बेहद व्यवस्थित तरीक़े से चीन से अपने नागरिकों को लेकर आई है जिन्हें दिल्ली से सटे कुछ मेडिकल कैंपों में रखा गया है.</p><p>भारत सरकार ने दावा किया है कि ‘जो लोग अपने आप चीन से लौट रहे हैं, उनकी भी स्क्रीनिंग (संविक्षा) की जा रही है. साथ ही ऐसे लोगों की भी जाँच हो रही है जो बीते कुछ सप्ताह में चीन का दौरा कर लौटे हैं.'</p><p>लेकिन जैसी सावधानी हांगकांग जैसे देश बरत रहे हैं, वैसी सतर्कता भारत में शायद नहीं बरती जा रही.</p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-51381814?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कोरोना वायरस का कहर अब डीज़ल-पेट्रोल की क़ीमतों पर </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-51347965?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या कोरोना वायरस चीनी सामान छूने से फैल सकता है?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-51347957?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कोरोना वायरस जिनके लिए यूं है वरदान </a></li> </ul><figure> <img alt="EPA" src="https://c.files.bbci.co.uk/13F3A/production/_110822718_9829376f-37b0-4268-a0b5-3f2a7055a937.jpg" height="619" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><h1>चीन से भारत का सफ़र</h1><p>शुक्रवार को ही कुआलालंपुर के रास्ते चीन के हेनान प्रांत से भारत लौटे डॉक्टर मोहम्मद शाहिद ने अपनी यात्रा के बारे में बीबीसी को बताया. </p><p>34 वर्षीय डॉक्टर शाहिद उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ ज़िले से वास्ता रखते हैं. वे केमिस्ट्री विषय के ज्ञाता हैं और ख़ूबे प्रांत से सटे हेनान प्रांत की सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रिसर्च साइंटिस्ट हैं.</p><p>चीन का हेनान प्रांत, कोरोना वायरस से चौथा सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्र है और डॉक्टर शाहिद इस प्रांत के काईफ़िग शहर में रहते हैं जिसे 17 फ़रवरी तक के लिए प्रशासन ने लॉक किया है.</p><p>जब वे इस शहर से भारत लौटे, तब तक वहाँ कोरोना वायरस के बीस से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी थी.</p><p>डॉक्टर शाहिद ने बताया कि ‘वुहान की तरह काईफ़िंग में भी सभी सार्वजनिक सेवाएं बंद हैं और लोगों को घरों से ना निकलने के आदेश हैं.'</p><p>फिर आप वहां से कैसे निकले? इसके जवाब में डॉक्टर शाहिद ने कहा, &quot;जान-पहचान के एक ड्राइवर ने वहाँ से निकलने में मेरी मदद की. उसने मुझे एयरपोर्ट तक छोड़ा जहाँ से मैंने कुआलालंपुर की फ़्लाइट ली क्योंकि चीन से भारत की सीधी फ़्लाइट का कोई विकल्प नहीं था.&quot;</p><figure> <img alt="Airport" src="https://c.files.bbci.co.uk/0AA2/production/_110822720_0b0e6538-c095-48a1-998b-258cba056b6c.jpg" height="649" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><h1>रवैया हैरान करने वाला?</h1><p>कुआलालंपुर से मलिंडो एयरलाइंस की फ़्लाइट लेकर डॉक्टर शाहिद सीधे उत्तर प्रदेश के वाराणसी पहुँचे.</p><p>वे बताते हैं, &quot;वाराणसी हवाई अड्डे पर उतरने तक भारतीय एजेंसियों को यह नहीं पता चल पाया था कि कोई यात्री चीन से भारत लौट रहा है.&quot;</p><p>इसलिए वाराणसी इमिग्रेशन पर उन्हें रोका गया और उनकी थर्मल जाँच की गई. साथ ही चीन से जुड़ा ब्यौरा उनसे पूछा गया, जैसे कि वे किस प्रांत से लौट रहे हैं, क्या वे वुहान के किसी आदमी के संपर्क में आये थे? वगैरह-वगैरह.</p><p>लेकिन आज़मगढ़ ज़िले के मेडिकल अफ़सरों के रवैये ने डॉक्टर शाहिद को बहुत हैरान किया.</p><p>उन्होंने बताया, &quot;हम घर पहुँचे तो कुछ अफ़सरों ने फ़ोन किया कि ज़्यादा घूमना मत, कमरे में ही रहना. फिर चार लोगों की एक टीम हमारे घर आई जो मुझसे क़रीब दस फ़ीट दूर खड़े होकर बात कर रही थी. वो मेरे लिए किसी का इस्तेमाल किया हुआ मास्क लेकर आये थे जिसे वो दूर रखी एक कुर्सी पर रखकर चले गए.&quot;</p><p>डॉक्टर शाहिद ने कहा कि उस टीम के लोग ख़ुद ही तैयार नहीं लग रहे थे.</p><p>ज़िला स्तर की इस टीम ने डॉक्टर शाहिद से कहा कि ‘वे कुछ दिन तक उनकी निगरानी में हैं’ और ये कहकर टीम लौट गई.</p><p>बहरहाल, दक्षिण भारत के केरल को छोड़कर अभी तक भारत के किसी अन्य राज्य से कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई पुष्ट मामला सामने नहीं आया है.</p><p>केरल में तीन मामले सामने आये थे जिसके बाद राज्य ने हेल्थ इमरजेंसी लागू की थी जिसे अब हटा लिया गया है.</p><figure> <img alt="स्पोर्ट्स विमेन ऑफ़ द ईयर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12185/production/_110571147_footerfortextpieces.png" height="281" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.</strong><strong>)</strong></p>

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